Move to Jagran APP

Ram Jethmalani Passes Away: वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे और फिर उन्हीं के खिलाफ चुनाव लड़े

Ram Jethmalani Passes Away सात दशक तक बेधड़क वकालत करने वाले राम जेठमलानी ने राजनीति भी अपनी शर्तो पर ही की। वे अटल जी के कार्यकाल में मंत्री रहे फिर उन्हीं के खिलाफ चुनाव लड़े।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 12:42 PM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 01:45 PM (IST)
Ram Jethmalani Passes Away: वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे और फिर उन्हीं के खिलाफ चुनाव लड़े
Ram Jethmalani Passes Away: वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे और फिर उन्हीं के खिलाफ चुनाव लड़े

नई दिल्ली, जेएनएन। Ram Jethmalani Passes Away, दिग्गज वकील और राजनेता राम जेठमलानी का रविवार को सुबह निधन हो गया। उनकी उम्र 95 साल थी। सात दशक तक बेधड़क वकालत करने वाले जेठमलानी ने राजनीति भी अपनी शर्तो पर ही की। वे किसी के आगे नहीं झुके। इसका सबसे बड़ा उदाहरण साल 2004 का लोकसभा चुनाव रहा। इस चुनाव में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ लड़ा। इससे पहले वे वाजपेयी सरकार में ही मंत्री रहे। उन्होंने वाजपेयी सरकार में 1996 और 1999 में केन्द्रीय कानून मंत्री व शहरी विकास मंत्री के तौर पर काम किया। तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल सोली सोराबजी से मतभेद होने के बाद उन्हें कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया।

prime article banner

क्यों लड़ा वाजपेयी के खिलाफ चुनाव
जेठमलानी को साल 2004 के आम चुनाव से पहले उनके बयानों के चलते भाजपा से बाहर कर दिया गया। इससे वे पार्टी से खफा हो गए और उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ इस चुनाव में लखनऊ सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया। उन्होंने इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गए। उन्हें लगभग 60 हजार वोट मिला और वे तीसरे नंबर पर रहे। बता दें कि जेठमलानी 6वीं और 7वीं लोकसभा में के टिकट पर मुंबई से दो बार चुनाव जीते। उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत आपातकाल के बाद हुए चुनाव में की थी। उन्होंने यह चुनाव कनाडा रहते हुए लड़ा था। 

भाजपा में वापसी और फिर बाहर
जेठमलानी को 7 मई 2010 को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद उनकी एक फिर भाजपा में वापसी हुई और उन्हें राजस्थान से राज्यसभा का टिकट दिया गया। लेकिन वे पार्टी में ज्यादा दिन तक नहीं टिके। साल 2013 में वे एक बार भाजपा से बाहर कर दिए गए। उन्होंने इस दौरान पार्टी के खिलाफ बयानबाजी की उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। जानकारी अनुसार इससे एक साल पहले उन्होंने तत्कालीन भाजपा प्रमुख नितिन गडकरी को पत्र लिखकर पार्टी नेताओं पर सत्तारूढ़ यूपीए -2 के भीतर भारी भ्रष्टाचार पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया था। 

यह भी पढ़ें: कोई यूं ही राम जेठमलानी नहीं बन जाता, कोर्ट क्राफ्ट और हाजिर जवाबी में थे माहिर

यह भी पढ़ें: Ram Jethmalani Passes Away: जानिए निधन पर क्या बोले योगी आदित्यनाथ

यह भी पढ़ें: राजीव गांधी के हत्यारों से लेकर हाजी मस्तान तक के वकील रहे जेठमलानी, इतनी लेते थे फीस


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.