कोई यूं ही नहीं बन जाता राम जेठमलानी, कोर्ट क्राफ्ट और हाजिर जवाबी में थे माहिर
राम जेठमलानी ने क्रिमिनल लॉयर के तौर पर अपनी अलग ही पहचान बनाई थी उनके लड़े गए केस और उस पर आए फैसले इतिहास में दर्ज हो गए।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। कोई यूं ही राम जेठमलानी नहीं बन जाता है, उसके लिए हाजिर जवाब होना, निर्भयी होना और तर्कों के साथ अपनी बात रखनी होती है। तेज दिमाग के साथ जज की कुर्सी पर बैठे लोगों को संतुष्ट भी करना होता है। क्रिमिनल लायर के तौर पर राम जेठमलानी ने जो मुकाम हासिल किया वहां तक पहुंचने का वकीलों का सपना ही होता है। उनके कई केस इतिहास में दर्ज हो गए, अब आने वाली पीढ़ी को उन केसों और उसके निर्णय का उदाहरण दिया जाएगा। वो बहुत तेज दिमाग वकील थे।
जब वो किसी केस को लेकर कोर्ट में पहुंचते थे तो जज भी उनकी बात को बहुत ध्यान से सुनते थे। जज ये मानते थे कि यदि जेठमलानी जी किसी केस की पैरवी करने के लिए आए हैं तो उस केस में अब कुछ नया जरुर होगा। यही वजह थी कि उन्होंने कई नामी-गिरामी केस लड़े और जीत हासिल की। उनके जीते गए केसों में दिए गए तर्क और सबूतों का आज भी लोहा माना जाता है। रविवार की सुबह 95 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
कोर्ट क्राफ्ट में माहिर थे जेठमलानी
सुप्रीम कोर्ट के वकील एसके पाल बताते हैं कि राम जेठमलानी कोर्ट क्राफ्ट में माहिर थे। कोर्ट में जज की कुर्सी पर बैठे लोग किस पॉइंट पर क्या पूछ लेंगे उनके पास उसका जवाब पहले से ही तैयार होता था। इसी के साथ वो ये भी देखते थे कि किस पॉइंट को कितनी मजबूती के साथ जज के सामने रखना है जिससे केस हल्का न पड़ने पाए। जब वो कोई केस ले लेते थे तो वो उस पर पूरी बहस करते थे। बहस करने से पहले उनके पास सारे सबूत होते थे जिससे यदि जज सबूत देने के लिए कहे तो उसे तुरंत ही दे सकें। अपनी हर बात को मजबूती के साथ जज के सामने रखते थे।
हारना नहीं सीखा
बतौर क्रिमिनल लॉयर राम जेठमलानी की अपनी अलग ही पहचान थी। आज के समय के नए वकीलों के लिए राम जेठमलानी एक आदर्श है। वो जिस केस को हाथ में लेते थे उसमें उनको हरा पाना मुश्किल था। उन्होंने हारना नहीं सीखा था इसी वजह से कई वकील उनके सामने बहस के लिए खड़े होने से कतराते थे। बताते हैं कि उन्होंने जितने भी बड़े केस अपने हाथ में लिए वो उसमें कभी हारे नहीं, मजबूत सबूतों और बहसों के जरिये उन्होंने उसमें कामयाबी ही हासिल की।
इतिहास बना गए
राम जेठमलानी ने कई महत्वपूर्ण केस लड़े थे, उन्होंने जो केस अपने हाथ में लिए उन्होंने इतिहास बना दिया। केस में उन्होंने जज के सामने जो तर्क रखे वो उसी की बदौलत केस जीतने में कामयाब रहे। उनके लिए कहा जाता है कि यदि उन्होंने कोई केस ले लिया तो वो उसे बहुत ध्यान से पढ़ते थे, अगले दिन वो केस की हर बारीकी से अपने मुवक्किल से चर्चा कर लेते थे। कई बार तो ऐसा भी देखने में आया कि मुवक्किल को अपने केस के उस पॉइंट का पता नहीं होता था जिसे राम जेठमलानी पकड़ लेते थे और उसके बारे में बात करते थे।
जज भी उनके केस पर देते थे ध्यान
सुप्रीम कोर्ट के जज भी राम जेठमलानी के हर केस को ध्यान से सुनते थे। यदि जजों को ये पता चल जाता था कि राम जेठमलानी किसी केस में बहस करने के लिए आ रहे हैं तो वो उनकी बातों और तर्कों को बहुत ही ध्यान से सुनते थे। क्रिमिनल लॉयर के तौर पर उनका कोई सानी नहीं था। अपने हर केस की बात को वो बहुत ही संजीदगी से जजों के सामने रखते थे।
केस के हर पहलू पर करते थे मेहनत
राम जेठमलानी को जानने वाले वकील बताते हैं कि यदि उनके पास कोई केस आता था और वो केस लड़ने के लिए तैयार हो जाते थे तो उस केस के हर पहलू पर मेहनत करते थे। वो उस केस से जुड़ी हर छोटी से छोटी बात को जान लेते थे, उसके लिए तर्क तैयार रखते थे। जजों की बेंच के सामने वो अपने तर्क से उनको संतुष्ट कर देते थे।
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