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    अपने गढ़ बारामती में फंस गई अजित पवार की सीट! 'दादा' के सामने चाचा शरद पवार ने रचा खास चक्रव्यूह

    Updated: Mon, 11 Nov 2024 11:03 PM (IST)

    महाराष्ट्र की बारामती विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है। अपने सगे चाचा शरद पवार से बगावत करने वाले अजित पवार के खिलाफ एक खास चक्रव्यूह रचा गया है। शरद पवार ने अजित के खिलाफ उनके सगे भतीजे को चुनाव में उतारकर बड़ी चुनौती दी है। शरद पवार और सुप्रिया सुले पूरे दमखम के साथ प्रचार में भी जुटे हैं।

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    Maharashtra Assembly 2024: अजित और शरद पवार।

    ओमप्रकाश तिवारी, बारामती (पुणे)। पांच बार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री रह चुके अजित पवार आठवीं बार अपने परंपरागत बारामती विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। मगर उनके सगे चाचा शरद पवार ने उनके विरुद्ध उनके ही सगे भतीजे युगेंद्र पवार को उतारकर राजनीति के साथ-साथ पारिवारिक मोर्चे पर भी उन्हें ऐसा घेर दिया है कि अजित पवार इस बार फंसे-फंसे से दिखाई पड़ रहे हैं।

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    शरद पवार ने सबक सिखाने की ठानी

    अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर उनकी पार्टी तोड़ दी, यहां तक तो ठीक था। मगर पिछले लोकसभा चुनाव में शरद पवार की पुत्री एवं अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के विरुद्ध बारामती लोकसभा क्षेत्र से अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को चुनाव लड़वाकर उन्होंने मानो बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है। उस चुनाव में उनकी पत्नी को तो हार का मुंह देखना ही पड़ा, अब विधानसभा चुनाव में बारामती विधानसभा क्षेत्र में खुद अजित पवार को भी अपने ही भतीजे युगेंद्र पवार से तगड़ी चुनौती मिल रही है, क्योंकि अब शरद पवार ने उन्हें सबक सिखाने की ठान ली है।

    इसमें कोई शक नहीं कि शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे शातिर खिलाड़ी माने जाते हैं। वह अपने परिवार के भी सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं। यहीं कारण है कि लोकसभा चुनाव के समय से ही करीब-करीब पूरा पवार परिवार अजित को छोड़ शरद पवार के साथ नजर आने लगा था। उनमें अजित के सगे भाई श्रीनिवास पवार भी शामिल थे, जिनका बेटा युगेंद्र अब अजीत पवार के विरुद्ध चुनाव लड़ रहा है।

    युगेंद्र के नामांकन में पहुंचे शरद पवार

    शरद पवार ने न सिर्फ युगेंद्र को बारामती से अपनी पार्टी राकांपा (शरदचंद्र पवार) का उम्मीदवार घोषित किया, बल्कि क्षेत्र के लोगों को संदेश देने के लिए उसका नामांकन करवाने भी साथ गए थे। अब अजित पवार के अपने परिवार को छोड़कर बाकी पूरा पवार परिवार युगेंद्र के प्रचार अभियान में लगा हुआ है। क्षेत्र के लोगों पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है।

    सुप्रिया सुले भी चुनावी रण में उतरीं

    शरद पवार ने अपने 60 वर्ष के राजनीतिक जीवन में जो भी संबंध बारामती में बनाए हैं, वह उन सबका उपयोग इस समय युगेंद्र के लिए करने से चूक नहीं रहे हैं। उनकी पुत्री सुप्रिया सुले भी जमकर भतीजे युगेंद्र का प्रचार कर रही हैं। सुप्रिया सुले लोकसभा चुनाव में ही डेढ़ लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज कर इस मिथक को तोड़ने में कामयाब रही हैं कि वह अब तक अजित पवार की ही मेहनत के बल पर जीतती आई थीं। यही नहीं, बारामती विधानसभा क्षेत्र में उन्हें मिली करीब 48,000 मतों की बढ़त भी इस समय अजित पवार की चिंता बढ़ाने का काम कर रही है।

    बारामती शहर में अजित की चर्चा

    खासतौर से बारामती के ग्रामीण इलाकों में ‘बड़े साहब’ (शरद पवार) का ही जलवा दिखाई दे रहा है। हां, बारामती शहर में लोग अजित पवार के काम की प्रशंसा करते जरूर दिखाई देते हैं, क्योंकि इस छोटे से शहर को अजित पवार ने बड़े जतन से सजाया-संवारा है। वह जब बारामती में रहते हैं तो अक्सर सुबह-सुबह यहां हो रहे किसी न किसी काम का निरीक्षण करने खुद पहुंच जाते हैं। उनकी इसी सक्रियता के कारण बारामती शहर में लोग आज कहते सुनाई पड़ते हैं कि दादा (अजित पवार) काम करनेवाले व्यक्ति हैं।

    क्या कहते हैं बारामती के लोग?

    विधानसभा में तो उन्हीं को चुनकर आना चाहिए। लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे बारामती का मतदाता चुप था। कुछ बोल नहीं रहा था। मगर इस बार लोग खुलकर ‘ऊपर दीदी, नीचे दादा’ की बात कहते सुनाई दे रहे हैं।

    बारामती शहर के ही रिक्शाचालक गणेश पवार कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में हमने सुप्रिया ताई (मराठी में बड़ी बहन को ताई और बड़े भाई को दादा कहते हैं) को चुनकर भेजा, क्योंकि संसद के लिए वह सुनेत्रा जी से बेहतर उम्मीदवार थीं। मगर विधानसभा में दादा ही बेहतर हैं।

    अजित पवार के साथ पढ़ाई करने का दावा करने वाले शहर के ही एक साप्ताहिक पत्र के संपादक अविनाश दौलतराव रणसिंग यह कहकर संशय बढ़ा देते हैं कि साहेब (शरद पवार) को मानने वालों की संख्या बहुत है। वे वही करेंगे, जो साहेब कहेंगे।

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