कांग्रेस के लिए काफी अहम हैं राजस्थान में तीन सीटों पर होने वाले उपचुनाव, जानें क्यों
राजस्थान में अलवर और अजमेर की लोकसभा सीट और मंडलगढ़ की विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। इसके लिए कांग्रेस जी जान से जुटी है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन इससे पहले यहां पर होने वाले उप-चुनाव कांग्रेस और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गए हैं। दरअसल यहां की अलवर और अजमेर की लोकसभा सीट और मंडलगढ़ की विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। इसके लिए सचिन पायलट और सीपी जोशी के अलावा राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कांग्रेस की तरफ से नामांकन किया है। विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले ये चुनाव इसलिए भी बेहद खास हैं क्योंकि इनसे यह पता चल जाएगा कि हवा का रुख किस तरफ बह रहा है।
विपरीत फैसला आने पर होगा एक इशारा
हालांकि भारतीय राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार शिवाजी सरकार मानते हैं कि उपचुनाव से आने वाले बड़े चुनाव का आंकलन करना या होना बेहद मुश्किल होता है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि यदि राजस्थान की तीनों सीटों पर फैसला विपरीत आता है तो यह जरूर एक इशारा करता है। दैनिक जागरण से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा के बीच जो सबसे बड़ा अंतर है वह उसकी रणनीति का है, जिसमें काग्रेस अभी तक भी फेल होती दिखाई दे रही है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा इस ओर बड़ी कामयाबी के साथ बढ़ी है और अब उसका फल भी सभी के सामने नजर आ रहा है।
बूथ लेवल पर कमजोर है कांग्रेस
उनके मुताबिक कांग्रेस आज भी बूथ लेवल पर काफी कमजोर दिखाई देती है। तीनों उपचुनाव के मद्देनजर उन्होंने कहा कि इस तरह के चुनावों में अकसर देखा गया है कि प्रशासन और सरकार का फायदा रुलिंग पार्टी को ही मिलता है। ये चुनाव पूरी तरह से स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं जिनका आंकलन पूरे राज्य या फिर देश पर करना सही नहीं है। शिवाजी ने कहा कि वर्ष 2018 राजनीतिक पार्टियों के लिए काफी अहम है। इस दौरान कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा कांग्रेस को अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए काफी मेहनत करनी होगी।
2013 में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी
2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी और वह सत्ता से बाहर हो गई थी। लेकिन अब कांग्रेस ऐसा दोबारा नहीं होने देना चाहती है। सचिन पायलट के मुताबिक उपचुनाव में प्रचार के लिए सभी वरिष्ठ नेताओं ने कमर भी कस ली है। उन्होंने कहा है कि यह चुनाव कांग्रेस जरूर जीतेगी। खुद गहलौत का कहना है कि भाजपा नफरत और हिंसा की राजनीति कर रही है लेकिन कांग्रेस इस तरह की राजनीति को पसंद नहीं करती है। उनके मुताबिक लोग कांग्रेस को लेकर अपना मन बना चुके हैं।
भाजपा के लिए कांग्रेस कहीं नहीं
हालांकि भाजपा के प्रदेश चीफ अशोक प्रनामी कांग्रेस की इस दलील को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि राजस्थान में कांग्रेस के लिए कोई चांस ही नहीं है। उनके मुताबिक राजस्थान में सरकार ने काफी काम किया है और यहां पर कहीं भी सत्ता विरोधी लहर दिखाई नहीं देती है। उन्होंने भी इन तीनों सीटों पर बड़े अंतराल से जीत दर्ज करने का दावा किया है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी पूर्व में धोलपुर में उपचुनाव में जबरदस्त जीत हासिल कर चुकी है। यह सीट ऐसी थी जहां पर पहले भाजपा नहीं थी।
यादव बहुल है क्षेत्र
आपको बता दें कि अजमेर और अलवर के अंदर आने वाली विधानसभा की 15 सीटों में से 14 पर भाजपा और एक पर कांग्रेस का कब्जा है। अजमेर और अलवर की सीट भाजपा नेता संवर लाल जाट और चंद नाथ के निधन के बाद रिक्त हुई हैं। यहां पर ये भी दिलचस्प है कि अलवर यादव बहुल है और यही वजह है कि दोनों पार्टियों ने इस जगह से यादवों को ही उतारा है। यह दोनों ही पूर्व में इस सीट से सांसद भी रह चुके हैं। इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से 71 वर्षीय करण सिंह यादव और भाजपा की तरफ से जसवंत सिंह यादव मैदान में हैं। जसवंत यादव फिलहाल राज्स्थान सरकार में मंत्री भी हैं। वहीं दूसरी सीट पर भाजपा ने सांवर लाल जाट के 30 वर्षीय बेटे राम स्वरूप लांबा को मैदान में उतारा है। हालांकि कांग्रेस के नेता सचिन पायलट उन्हें अनुभवहीन नेता मानते हैं। वहीं उनका यह भी कहना है कि भाजपा संवल लाल के नाम पर सहानुभूति वोट बटोरना चाहती है।
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