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    एक दिन में बदले अखिलेश के सुर, बोले- 'धोखे खाए हैं, लेकिन हम दोस्त नहीं बदलते'

    समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि हम समाजवादी लोग दोस्त नहीं बदलते हैं। हम लोगों ने राजनीति में बहुत धोखे खाए हैं, इससे बहुत कुछ सीखा है।

    By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 11 Jan 2018 04:38 PM (IST)
    एक दिन में बदले अखिलेश के सुर, बोले- 'धोखे खाए हैं, लेकिन हम दोस्त नहीं बदलते'

    नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि हम समाजवादी लोग दोस्त नहीं बदलते हैं। हम लोगों ने राजनीति में बहुत धोखे खाए हैं, इससे बहुत कुछ सीखा है। अखिलेश ने कहा कि चुनाव के समय गठबंधन की बात होगी, फिलहाल अभी हमारी पार्टी का मकसद सियासी जमीन पर मजबूत करने का है। 

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    अखिलेश यादव ने कहा कि सपा अभी संगठन को दुरुस्त करने में लगी हुई है। गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा था कि उनकी पार्टी 2019 के आम चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं करेगी। अखिलेश के इस बयान को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए झटका माना जा रहा था, इन दोनों पार्टियों ने पिछला विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था।

    उन्होंने कहा, पहले पार्टी को मजबूत करना हमारी जिम्मेदारी है, गठबंधन की बात चुनाव के समय होगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन के इंतजार में हम पार्टी को मजबूत करने की प्रक्रिया को नहीं रोक सकते हैं। अखिलेश ने कहा कि समाजवादी लोग राजनीति में धोखे बहुत खाए हैं। जितना धोखा खाया उतने हम मजबूत हुए हैं। उन्होंने कहा कि समाजवादी खासकर मैं अपने दोस्त नहीं बदलता हूं। गठबंधन की बात होगी तो जरूर बता देंगे। अभी फिलहाल हम पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं।

    अखिलेश यादव ने बाराबंकी में नकली शराब से कई लोगों के जान जाने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने सराकर से सवाल पूछा, आखिर इन लोगों की जान ऐसे क्यों गई। अगर वे कारण जानते हैं तो उन्हें अपनी गिरेबान में झांकना चाहिए। एटा में भी ऐसा ही मामला सामने आने की बात अखिलेश यादव ने कही।

    बुधवार को अखिलेश ने अकेले चुनाव लड़ने का इशारा किया था
    वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने अपनी कमर कस ली है। सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में किसी से कोई समझौता नहीं करेगी और अकेले ही मैदान में उतरेगी। सपा ने यह फैसला पार्टी को मिले फीडबैक के बाद लिया है। अखिलेश यादव ने यह भी साफ कर दिया है कि फिलहाल वह आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए किसी गठनबंधन के बारे में विचार नहीं कर रहे हैं। उन्‍होंने सीटों के बंटवारे और गठबंधन को वक्‍त की बर्बादी तक करार दिया था।

    गठबंधन को लेकर पार्टी में नाराजगी

    दरअसल, पार्टी के अंदर पूर्व में कांग्रेस के साथ किए गए गठबंधन को लेकर रोष है। यह बात लखनऊ में हुई जिला अध्‍यक्षों की बैठक में भी सामने आई थी। सभी ने इस बात पर जो दिया कि इस बार कांग्रेस के साथ किसी तरह का कोई भी गठबंधन न किया जाए। पार्टी के ज्‍यादातर नेताओं का मानना है कि लोकल बॉडी के इलेक्‍शन में भी इसके चलते कोई पॉजीटिव रिजल्‍ट देखने को नहीं मिला है।

    सपा के लिए फायदेमंद साबित होगा ये फैसला

    वरिष्‍ठ पत्रकार प्रदीप सिंह भी मानते हैं कि सपा के लिए यह फैसला फायदेमंद साबित हो सकता है। दैनिक जागरण से बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि सपा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करके देख चुकी है। इसका उन्‍हें कोई फायदा नहीं हुआ। इतना ही नहीं कांग्रेस इस दौरान न तो अपना जनाधार ही बढ़ाने में सफल हो सकी और न ही सपा को फायदा दिला सकी। लिहाजा सपा का फैसला अपनी जगह पर सही है। उनके मुताबिक यह इसलिए भी अहम है क्‍योंकि इसके जरिए सपा ने यह साफ कर दिया है कि राज्‍य और देश में भाजपा को हराने की जिम्‍मेदारी सिर्फ उसकी ही नहीं है, इसमें सभी की भागीदारी का होना बेहद जरूरी है।

    सपा का बसपा से गठबंधन फायदे का सौदा

    उन्‍होंने यह भी कहा कि बीते विधानसभा चुनाव में यदि सपा बसपा से गठबंधन कर लेती तो उसको जरूर वहां पर फायदा हो सकता है। कांग्रेस की बात करें तो वह अपनी राजनीतिक जमीन को वहां पर खो चुकी है। बीते विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर कांग्रेस से पार्टी ने गठबंधन किया था उन पर सपा कार्यकर्ता मायूस होकर घर बैठ गया था। अब सपा की रणनीति से उसको एक ताकत मिलेगी और वह मजबूती से आगे बढ़ेगा। उन्‍होंने बातचीत में यह भी कहा कि रायबरेली और अमे‍ठी में भी कांग्रेस की हालत सही नहीं है। यहां के चुनाव भी वह सपा और बसपा के दम पर ही जीतती आई है। उनके मुताबिक मौजूदा समय में यूपी में सपा बसपा गठबंधन से अलग कुछ और सोचा भी नहीं जा सकता है।

    कांग्रेस की बढ़ेंगी मुश्किलें

    प्रदीप सिंह मानते हैं कि आने वाले दिन कांग्रेस के लिए काफी बुरे साबित हो सकते हैं। पूरे देश के मानचित्र पर देखें तो कांग्रेस के हाथ से उसके राज्‍य निकलते जा रहे हैं। इतना ही नहीं वह इन जगहों पर अपनी राजनीतिक पकड़ बनाने में भी नाकाम साबित हो रही है। आलम यह है कि यूपी में जो कुछ समय पहले अजीत सिंह की पार्टी का हाल था वही हाल आज यहां पर कांग्रेस का हो गया है। वह मानते हैं कि सपा के ताजा फैसले से भी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।

    लड़ाई में कहीं नहीं कांग्रेस

    सपा नेता नरेश अग्रवाल ने भी माना है कि लोकसभा चुनाव में बिना गठबंधन के उतरने का फैसला खुद अखिलेश यादव का है। उनके मुताबिक यूपी में भाजपा और सपा की सीधी लड़ाई है, इसमें कांग्रेस कहीं भी नहीं आती है। उनके मुताबिक हालिया चुनाव में यह बात भी सामने आई कि भाजपा को हराने की बजाए कांग्रेस सपा के खिलाफ ज्‍यादा नजर आई।

    जमीनी तौर पर मजबूत बनाने में जुटी सपा

    लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सपा अब अपनी पार्टी को जमीनी तौर पर मजबूत बनाने में जुटी है। अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को यह संदेश भी दिया है कि वह संगठन को मजबूत बनाने के लिए काम करें। अखिलेश यादव का यह भी कहना है कि यूपी की भाजपा सरकार सपा द्वारा शुरू किए कामों को अपना बताने में जुटी है। आपको याद दिला दें कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। हालांकि इसका फायदा उसे कुछ नहीं मिला और भाजपा चुनाव में बाजी मार ले गई थी। इस चुनाव में भाजपा को 325, सपा को 47 और कांग्रेस को महज सात सीटें मिली थीं।

    सपा की रणनीति का ये भी है एक हिस्‍सा

    समाजवादी पार्टी ने जहां प्रदेश सरकार को कई मुद्दों पर विफल बताते हुए प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ तहसीलों में माहौल बनाने की तैयारी की है, वहीं संगठनात्मक स्तर पर बूथों पर भी उसकी निगाह है। पार्टी ने बूथ स्तर पर भाजपा का मुकाबला उसी के हथियार से करने की रणनीति बनाई है। इसके तहत बूथों पर सक्रिय टीमों का डिजिटल डाटा तैयार किया गया है। इस टीम की पहली जिम्मेदारी मतदाता पुनरीक्षण में सपा समर्थक मतदाताओं का नाम सूची में दर्ज कराने की होगी।

    मतदाता पुनरीक्षण पर खास जोर

    सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक दिन पहले ही विधायकों और पूर्व विधायकों की बैठक में मतदाता पुनरीक्षण पर खास जोर देने का निर्देश दिया है। इसके पीछे नगरीय निकाय चुनावों से मिला फीडबैक भी एक मुख्य कारण है। खासतौर से नगर निगमों के चुनाव में पार्टी को बड़ी संख्या में यह शिकायतें मिली थीं कि उसके समर्थकों का मतदाता सूची में नाम ही नहीं था और वह चाहकर भी वोट नहीं डाल सके थे। खास तौर पर अयोध्या और इलाहाबाद से यह शिकायतें आई थीं। इसे देखते हुए ही पार्टी ने बूथों की मजबूती को डिजिटल डाटा तैयार कराया है।

    सक्रिय कार्यकर्ताओं को सीधे पार्टी मुख्‍यालय से जोड़ा

    हर बूथ के सक्रिय कार्यकर्ताओं का फोन नंबर से लेकर उनके ईमेल वाट्सएप आदि एकत्र कर उन्हें मुख्यालय से जोड़ा गया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के अनुसार, बूथों पर युवाओं को खास तौर से जोड़ा गया है और उनसे लगातार संपर्क भी रखा जा रहा है। इन युवाओं को ही बूथवार मतदाता सूचियों में नाम जोड़ने की जिम्मेदारी भी दी गई है। सपा ने इसके साथ ही सोशल नेटवर्किग को भी प्रमुखता दी है जो 2017 में भाजपा की जीत का मुख्य आधार था।

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