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    Jagdeep Dhankhar Resign: जल्द से जल्द कराना होगा उपराष्ट्रपति चुनाव, क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 68?

    By Agency Edited By: Piyush Kumar
    Updated: Tue, 22 Jul 2025 07:58 AM (IST)

    Jagdeep Dhankhar Resigns जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार यह चुनाव जल्द से जल्द कराया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है और उनका कार्यकाल पांच साल का होता है।

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    जगदीप धनखड़ के सोमवार शाम उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया।(फोटो सोर्स: पीटीआई)

    पीटीआई, नई दिल्ली। जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए चुनाव यथाशीघ्र कराना होगा। संविधान के अनुच्छेद 68 के खंड 2 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के निधन, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से होने वाली रिक्ति को भरने के लिए जल्द-जल्द चुनाव कराया जाएगा।

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    रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति अपने पदभार ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्ष की पूर्ण अवधि तक पद धारण करने का हकदार होगा। हालांकि, संविधान में इस बात का जिक्र नहीं है कि उपराष्ट्रपति की मृत्यु या कार्यकाल समाप्त होने से पहले त्यागपत्र देने की स्थिति में या जब उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है, तो उसके कर्तव्यों का निर्वहन कौन करेगा।

    क्या कहता है संविधान?

    उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच वर्ष का होता है, लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद, वे तब तक पद पर बने रह सकते हैं जब तक उनका उत्तराधिकारी पदभार ग्रहण नहीं कर लेता।

    संविधान में एकमात्र प्रविधान उपराष्ट्रपति के राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य के संबंध में है, जो रिक्ति की अवधि के दौरान उपसभापति या भारत के राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत राज्यसभा का कोई अन्य सदस्य करता है।

    उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंपकर अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। त्यागपत्र स्वीकार किए जाने के दिन से प्रभावी हो जाता है।

    उपराष्ट्रपति पद से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें 

    उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है और कोई अन्य लाभ का पद धारण नहीं करता है। जिस अवधि के दौरान उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या उसके कार्यों का निर्वहन करता है, वह राज्यसभा के सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन नहीं करता है और राज्यसभा के सभापति को देय किसी भी वेतन या भत्ते का हकदार नहीं होता है।

    संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से किया जाता है।

    उपराष्ट्रपति चुनाव तक उपसभापति के अधीन काम करेगी राज्यसभा

    उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने एक बार फिर भारत के संसदीय ढांचे में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए संवैधानिक तंत्र की ओर ध्यान आकर्षित किया है। यद्यपि यह दुर्लभ है, परंतु उपराष्ट्रपति पद से मध्यावधि त्यागपत्र देना कोई नई बात नहीं है, तथा संविधान में आगे क्या होगा, इसके लिए स्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत किया गया है।

    धनखड़ के तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने के फैसले को राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है, जो स्वैच्छिक त्यागपत्र की अनुमति देता है।

    यह इस्तीफा स्वाभाविक रूप से राज्यसभा में नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े करता है, क्योंकि उपराष्ट्रपति इसके पदेन सभापति होते हैं। कानूनी विशेषज्ञों और संसदीय सूत्रों ने इस बात पर जोर दिया है कि कोई संवैधानिक संकट उत्पन्न होने की संभावना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के वकील और संवैधानिक विशेषज्ञ विराग गुप्ता ने बताया कि धनखड़ का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया है और संवैधानिक प्रविधान लागू हो गए हैं।

    इससे पहले भी कई उपराष्ट्रपति इस्तीफा दे चुके हैं। उनकी अनुपस्थिति में राज्यसभा के उपसभापति उनकी जिम्मिेदारियां संभालते हैं। यह संस्थागत व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि विधायी कार्य निर्बाध रूप से जारी रहें। गुप्ता ने जोर देकर कहा कि इस बदलाव के परिणामस्वरूप कोई संवैधानिक संकट नहीं होगा।

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