'दिल्ली में AAP की हार पर हमें दोष देना गलत', कांग्रेस बोली- केजरीवाल ने ही कहा था... अकेले चुनाव लड़ेंगे
दिल्ली की सत्ता में एक दशक तक राज करने के बाद आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। 70 में से 48 सीटों पर जीतकर भाजपा ने 27 साल बाद दिल्ली में वापसी की है। कांग्रेस लगातार तीसरे चुनाव में अपना खाता नहीं खोल पाई है। मगर आप की हार के पीछे कांग्रेस की भूमिका को अहम माना जा रहा है।

पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आइएनडीआइ के घटक दलों आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की आपसी लड़ाई से भाजपा को फायदा होने संबंधी दावों के बीच सोमवार को विपक्षी गठबंधन के कई नेताओं ने आपसी एकजुटता पर जोर दिया। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने कहा कि उसे दोष देना गलत है, क्योंकि आप ने विधानसभा चुनाव में गठबंधन से इन्कार कर दिया था।
गलत व्यक्ति से सवाल पूछ रहे सहयोगी
कांग्रेस ने यह भी कहा कि आइएनडीआइए का गठन 2024 के आम चुनाव के लिए किया गया था। विधानसभा चुनावों में राज्य स्तर की परिस्थिति के हिसाब से गठबंधन को आगे बढ़ाना था। दिल्ली में आप का खेल बिगाड़ने के आरोप को लेकर कांग्रेस की आलोचना करने वालों को जवाब देते हुए पार्टी सांसद और लोकसभा में सचेतक मणिकम टैगोर ने कहा कि गठबंधन सहयोगी गलत व्यक्ति से सवाल पूछ रहे हैं। उन्हें उस व्यक्ति से सवाल पूछना चाहिए, जिसने दिल्ली में गठबंधन तोड़ा। उनका इशारा स्पष्ट रूप से आप संयोजक अर¨वद केजरीवाल की ओर था।
हम विनम्र और शिष्ट हैं
सपा नेता राम गोपाल यादव की आलोचना और कुछ वर्गों द्वारा कांग्रेस को अहंकारी कहे जाने के बारे में पूछे जाने पर टैगोर ने कहा कि हम विनम्र और शिष्ट हैं। इसीलिए वे बोल रहे हैं और हम चुप हैं। शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप और कांग्रेस के एक-दूसरे से लड़ने के कारण भाजपा को फायदा मिला।
केजरीवाल ने कहा था- अकेले चुनाव लड़ेंगे
संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में मणिकम टैगोर ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने एक दिसंबर को घोषणा की थी कि वह अकेले चुनाव लड़ेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे गठबंधन के साथी इस बात को समझेंगे कि वे गलत व्यक्ति से सवाल पूछ रहे हैं।
राज्य चुनाव में अलग रणनीति अपनाई जाएगी
टैगोर ने यह भी स्पष्ट किया कि आईएनडीआईए के गठन का मकसद पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा विरोधी ताकतों को एक मंच पर लाना था। यह काम पहले ही किया जा चुका है। अब संसद में समन्वय हो रहा है। राज्य चुनावों में अलग रणनीति अपनाई जाएगी। राज्य चुनाव राज्य स्तरीय गठबंधनों के आधार पर लड़े जाएंगे।
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