पूरे देश में SIR कराएगा चुनाव आयोग, 15 करोड़ से ज्यादा लोगों के कट सकते हैं नाम
चुनाव आयोग ने राज्य चुनाव अधिकारियों को 30 सितंबर तक मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के लिए तैयार रहने को कहा है। इसका उद्देश्य जन्म स्थान की जांच करके विदेशी अवैध प्रवासियों को बाहर निकालना है। अधिकारियों को पिछले एसआइआर के बाद प्रकाशित मतदाता सूचियां तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं। अनुमान है कि देशभर में एसआइआर से 15 करोड़ मतदाताओं के नाम हट सकते हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने राज्य चुनाव अधिकारियों को 30 सितंबर तक मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के लिए तैयार रहने को कहा है। यह इस बात का संकेत है कि चुनाव आयोग अक्टूबर-नवंबर की शुरुआत में मतदाता सूचियों में सुधार का काम शुरू कर सकता है। इस एसआइआर का मुख्य उद्देश्य जन्म स्थान की जांच करके विदेशी अवैध प्रवासियों को बाहर निकालना है। यह कदम बांग्लादेश और म्यांमार सहित विभिन्न राज्यों में अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर महत्वपूर्ण है।
अधिकारियों के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) के एक सम्मेलन में चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने उन्हें अगले 10 से 15 दिनों में एसआइआर के लिए तैयार रहने को कहा था। लेकिन अधिक स्पष्टता के लिए 30 सितंबर की समय सीमा तय की गई थी। मुख्य चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे पिछले एसआइआर के बाद प्रकाशित अपने राज्यों की मतदाता सूचियां तैयार रखें।
कई राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों ने अपने पिछले एसआइआर के बाद प्रकाशित मतदाता सूचियां अपनी वेबसाइटों पर पहले ही अपलोड कर दी हैं। दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूचियां हैं, जब राष्ट्रीय राजधानी में आखिरी बार गहन पुनरीक्षण हुआ था। उत्तराखंड में पिछली एसआइआर 2006 में हुआ था और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
पिछला एसआइआर होगी कट-ऑफ तिथि
राज्यों में पिछला एसआइआर ही कट-आफ तिथि होगी, जैसे बिहार की 2003 की मतदाता सूची का उपयोग चुनाव आयोग द्वारा गहन पुनरीक्षण के लिए किया जा रहा है। अधिकांश राज्यों में पिछला एसआइआर 2002 एवं 2004 के बीच हुआ था और पिछले एसआइआर के अनुसार वर्तमान मतदाताओं का मिलान लगभग पूरा हो चुका है। गौरतलब है कि असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं।
हट सकते हैं 15 करोड़ से अधिक लोगों के नाम
बिहार में चल रहे एसआइआर के दौरान जिस तरह 65 लाख मतदाताओं के नाम हटे, उससे यह अनुमान है कि यदि पूरे देश में एसआइआर हुआ तो लगभग 15 करोड़ मतदाताओं के नाम हट सकते हैं। ये मतदाता या तो मृत हो चुके हैं या उनके पास दोहरे मतदाता पहचान पत्र हैं या वे स्थानांतरित हो चुके हैं। यह अनुमान इसलिए भी है क्योंकि बिहार में एसआइआर के दौरान करीब दस प्रतिशत मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हट गए हैं। इनमें बड़ी संख्या में मृत, स्थानांतरित और दो स्थानों से नाम दर्ज कराने वाले मतदाताओं के अतिरिक्त बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों से आए विदेशी नागरिक शामिल हैं।
मतदान प्रतिशत में भी आएगा बड़ा उछाल
विश्लेषकों का कहना है कि देशभर में एसआइआर से मतदाता सूचियों की गड़बडि़यां दूर होंगी। इससे मतदान प्रतिशत में वृद्धि होगी और मतदान की वास्तविक तस्वीर भी दिखेगी। यदि 15 करोड़ लोगों के नाम हटे तो मतदान प्रतिशत में लगभग 10 प्रतिशत का उछाल आ सकता है। उदाहरणार्थ, 2024 में सौ करोड़ मतदाताओं वाले चुनाव में 66 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 85 करोड़ मतदाताओं पर यह मतदान प्रतिशत लगभग 77 प्रतिशत हो जाएगा।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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