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    Bharat Jodo Yatra: भारत जोड़ो यात्रा में सोनिया गांधी की सांकेतिक भागीदारी ने ही कर्नाटक में बढ़ाई सियासी हलचल

    By Jagran NewsEdited By: Krishna Bihari Singh
    Updated: Thu, 06 Oct 2022 08:17 PM (IST)

    कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को वर्षों बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में वापसी की। राहुल गांधी की पदयात्रा में शामिल होकर उन्‍होंने एक बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की। पदयात्रा के दौरान मां सोनिया के जूते के खुले लेस को बांधते राहुल की तस्वीरें चर्चा के केंद्र में रहीं...

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    सोनिया गांधी की मौजूदगी ने कांग्रेस की भारत जोड़ो पदयात्रा में नई उर्जा भरने का काम किया।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कर्नाटक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मौजूदगी ने राहुल गांधी की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 3570 किमी की पदयात्रा में नई उर्जा भर दी। मंडया जिले में सोनिया गांधी के पदयात्रा में शामिल होने के दौरान उमड़े लोगों के हुजूम ने तमिलनाडु और केरल के मुकाबले कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा की सियासी हलचलें कहीं ज्यादा बढ़ा दी हैं।

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    बोम्‍मई का दावा- सूबे की राजनीति पर नहीं पड़ेगा असर

    दिलचस्प यह भी रहा कि कई वर्षों बाद जनता से जुड़े किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शरीक हुईं सोनिया इस दौरान एक शब्द भी नहीं बोलीं। मगर यात्रा में उनकी सांकेतिक भागीदारी ने ही सियासी गहमागहमी इतनी बढ़ा दी कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री भाजपा नेता बासवराज बोम्मई भी यह टिप्पणी करने को बाध्य हुए कि यात्रा का सूबे की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पढ़ें पूरी खबर- कर्नाटक में कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा', सीएम बोम्मई बोले- कोई फर्क नहीं पड़ता

    मां को संभालते-बचाते चलते नजर आए राहुल

    दशहरा के दो दिनों के विराम के बाद शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा के 27वें दिन पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं की नारेबाजी-जयकारे के बीच सोनिया गांधी कुछ किमी पदयात्रा में शामिल हुईं। इस दौरान उमड़ी भीड़ के हुजूम के बीच सुरक्षाकर्मियों के अलावा खुद राहुल गांधी कई बार अपनी मां को संभालते-बचाते चलते नजर आए। इस क्रम में मां-बेटे के निश्चछल प्रेम-अनुराग की कई झलकें भी नजर आयीं और इससे जुड़ी तस्वीरों और वीडियो ने इंटरनेट मीडिया पर भी हलचल मचाईं।

    अपनी अभिव्यक्ति नहीं रोक पाए दिग्‍गज

    पैदल चल रही सोनिया गांधी के जूते की खुली लेस नीचे बैठकर बांधते राहुल गांधी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तो यात्रा में शामिल नेताओं की भावनाएं भी और जोश के रूप में तब्दील हो गई। कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर से लेकर पार्टी के तमाम नेता इस तस्वीर के भावों को लेकर अपनी अभिव्यक्ति नहीं रोक पाए। पढ़ें पूरी खबर- सोनिया गांधी के जूतों के फीते बांधते नजर आए राहुल, शशि थरूर बोले- मां तो मां होती हैं

    राहुल ने दिया दृढ़ता का संदेश

    थरूर ने इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए टवीट मे कहा- 'वो सांस भी लेती हैं तो उनमें भी दुआएं होती हैं, मांओं का तोड़ नहीं होता, माएं तो मां होती हैं।' राहुल ने भी सोनिया गांधी के साथ अपनी एक अन्य भावनात्मक तस्वीर पोस्ट करते हुए पार्टी और देश को चुनौतियों से उबारने के लिए अपनी दृढ़ता का संदेश दिया।

    चुनौतियों की हदें तोड़ेंगे, मिलकर भारत जोड़ेंगे

    राहुल ने कहा- 'हम पहले भी तूफानों से कश्ती निकाल कर लाए हैं, हम आज भी चुनौतियों की हदें तोड़ेंगे, मिलकर भारत जोड़ेंगे।' कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं के बढ़े मनोबल और जोश को देखते हुए ही कांग्रेस अध्यक्ष आधे घंटे की जगह दो घंटे यात्रा का हिस्सा रहीं। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सोनिया गांधी पदयात्रियों के साथ मांड्या जिले में जक्कनहल्ली और कराड्या के बीच चलीं। उनका कार्यक्रम केवल 30 मिनट के लिए था।

    मल्लिकार्जुन खड़गे नहीं हुए शामिल

    मगर लोगों के समर्थन से उत्साहित होकर और हमारे संकल्प को मजबूत करते हुए वे दो घंटे यात्रा के साथ रहीं। इस मौके पर कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार, नेता विपक्ष सिद्धारमैया, राज्य के प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला और बीके हरिप्रसाद से लेकर सूबे के तमाम दिग्गज मौजूद थे। दिलचस्प यह भी रहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे सूबे के बड़े दिग्गज मल्लिकार्जुन खड़गे तमाम अटकलों के बावजूद इसमें शामिल नहीं हुए।

    इसलिए खड़गे ने बनाई दूरी

    अध्यक्ष चुनाव में तटस्थता का पालन करने की गांधी परिवार की घोषणा के बाद खड़गे यदि शामिल होते तो इसको लेकर सवाल उठ सकते थे इसीलिए उन्होंने इससे दूरी बनाई। सोनिया गांधी 2016 में वाराणसी में हुए रोड शो के दौरान बिगड़ी सेहत और के बाद सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर ही रहीं थी। इस दौरान उनके कंधे में भी फ्रैक्चर हुआ था और तब से वे 75 वर्षीया सोनिया गांधी सेहत की चुनौतियों की वजह से राजनीतिक भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रमों में शरीक नहीं हुईं थी।  

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