विपक्षी गठबंधन की बैठक से पहले सहयोगियों ने कांग्रेस को सुनाई खरी-खरी, ठाकरे गुट ने I.N.D.I अलायंस को बताया बिना सारथी वाला घोड़ा
विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए की दिल्ली में मंगलवार को हुई बैठक में सब कुछ ठीक जरूर रहा मगर बैठक से पूर्व घटक दलों के कई शीर्ष नेताओं ने परोक्ष रूप से कांग्रेस को बेलाग सियासी संदेश देने में कसर नहीं छोड़ी। एकजुटता की रफ्तार धीमी करने के लिए कांग्रेस को ही जिम्मेवार ठहराया और हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में भाजपा की जीत के लिए भी उसकी नीतियों पर सवाल उठाए।

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए की दिल्ली में मंगलवार को हुई बैठक में सब कुछ ठीक जरूर रहा मगर बैठक से पूर्व घटक दलों के कई शीर्ष नेताओं ने परोक्ष रूप से कांग्रेस को बेलाग सियासी संदेश देने में कसर नहीं छोड़ी।
एकजुटता की रफ्तार धीमी करने के लिए कांग्रेस जिम्मेवार
एकजुटता की रफ्तार धीमी करने के लिए कांग्रेस को ही जिम्मेवार ठहराया और हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में भाजपा की जीत के लिए भी उसकी नीतियों पर सवाल उठाए। मित्र दलों का कहना था कि कांग्रेस अगर अपनी स्थिति का आकलन कर लेती तो उसे इतनी बुरी हार का सामना नहीं करना पड़ता। कांग्रेस को आईना दिखाने वाले दलों में जदयू, शिवसेना (ठाकरे गुट) एवं तृणमूल कांग्रेस जैसे दल प्रमुख रहे।
कांग्रेस पर भड़के जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने तीन राज्यों में विपक्ष के सफाये के लिए कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया और कहा कि विपक्षी गठबंधन की बैठक अगर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले हो जाती और भाजपा से मुकाबले के लिए एक संयुक्त रणनीति बन जाती तो कांग्रेस के हाथ से राजस्थान और छत्तीसगढ़ नहीं जाता।
उन्होंने एक वर्ष बर्बाद करने का इल्जाम भी कांग्रेस पर लगाया और कहा कि विपक्षी एकता की शुरुआत पिछले वर्ष 22 सितंबर को दिल्ली में नीतीश कुमार एवं लालू प्रसाद की सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान ही हो गई थी, लेकिन अभी तक बैठकों के अलावा हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाए।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में कांग्रेस पर निशाना
शिवसेना (ठाकरे गुट) ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व पर प्रश्न खड़े किए। सामना के संपादकीय में आईएनडीआईए को बिना सारथी वाला घोड़ा करार दिया गया है। लिखा गया है कि रथ में 28 घोड़े हैं, लेकिन सारथी कौन है?
दिल्ली में उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि गठबंधन को भाजपा के विरुद्ध एक चेहरे की जरूरत है। एक संयोजक की जरूरत है। हमें किसी न किसी को समन्वयक बनाना चाहिए। कोई जरूरी नहीं कि जो समन्वयक होगा, वही प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी भी होगा। हालांकि प्रधानमंत्री चेहरे को लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक दिन पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यह फैसला चुनाव के बाद किया जाएगा। दिल्ली आकर भी ममता का स्वर नहीं बदला। उन्होंने कहा कि बंगाल में कांग्रेस के पास सिर्फ दो सीटें हैं फिर भी मैं गठबंधन पर बातचीत के लिए तैयार हूं।
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