'Nitish फिर खाली हाथ, माया मिली न राम', BJP के सांसदों ने I.N.D.I.A की बैठक के बाद कसा तीखा तंज
Bihar Politics भारतीय जनता पार्टी के दो सांसदों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर तंज कसा है। उन्होंने इंडी गठबंधन की बैठक के बाद नीतीश कुमार के मीडिया से दूरी बनाने को लेकर जमकर हमला बोला है। भाजपा नेता सुशील मोदी का कहना है कि इस बैठक के बाद एक बार फिर नीतीश कुमार को खाली हाथ पटना लौटना पड़ेगा।

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने का सपना लेकर 2022 में दूसरी बार भाजपा से नाता तोड़ा था।
यही नहीं, पटना में अपने पक्ष में पोस्टर लगवाकर बड़ी उम्मीद से दिल्ली बैठक में गए थे, लेकिन किसी ने संयोजक पद के लिए भी उनके नाम का प्रस्ताव नहीं किया। प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी तो बहुत दूर की बात है।
खाली हाथ पटना लौटेंगे
मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार को न माया मिली, न राम। वे खाली हाथ जब पटना लौटेंगे, तब जदयू के लिए कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखना मुश्किल होगा। पार्टी में भगदड़ मच सकती है।
उन्होंने कहा कि आइएनडीआइए ने साल भर का समय बर्बाद किया। ममता बनर्जी एवं केजरीवाल ने संयोजक पद के लिए मल्लिकार्जुन खरगे का नाम सुझाया। हालांकि, इसे स्वीकार नहीं किया गया।
गठबंधन के दो बड़े दल नीतीश को नेतृत्व सौंपने के खिलाफ
मोदी ने कहा कि ममता एवं केजरीवाल के रुख से साफ है कि गठबंधन के दो बड़े दल नीतीश कुमार को नेतृत्व सौंपने के विरुद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि गठबंधन की चौथी बैठक भी कोई बड़ा फैसला नहीं कर पाई। हेमंत सोरेन बैठक में गए ही नहीं।
फोटो सेशन था बस, इंडी गठबंधन टोटल फेल : गिरिराज सिंह
इधर, इंडी गठबंधन की बैठक को लेकर केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने कहा कि अरे भाई कुछ नहीं था, ये फोटो सेशन की चौथी बैठक थी।
अच्छा-अच्छा फोटो सेशन हुआ और उसमें सबसे बड़ी बात हुई कि लालू यादव और नीतीश कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी नहीं रहे। बायकॉट करके निकल गए। अब क्या होगा उस इंडी गठबंधन का।
वो गठबंधन टोटल फेल है। वो बस खाओ-पियो, फोटो खिंचाओ और जाओ है। उन्होंने कहा कि गठबंधन में उन्हें पूछा ही नहीं गया तो वो निकल गए।
मजाक हो रहा है क्या?
संसद में उपराष्ट्रपति को लेकर मिमिक्री किए जाने के सवाल पर गिरिराज सिंह ने कहा कि ये क्या मजाक है कि प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति इनके साथ अगर इस ढंग की मिमिक्री की जाए। मजाक हो रहा है क्या? ये संसदीय व्यवस्था में कहीं ऐसा होता क्या? मजाक समझ लिया?
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