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Pakistan Politics: बाढ़ से पाकिस्‍तानी आवाम बेहाल फ‍िर भी सेनाध्‍यक्ष बदलने की जल्‍दबाजी में क्‍यों शहबाज सरकार..?

बाढ़ की मार से बेहाल पाकिस्तानी आवाम भीषण आर्थिक तंगी का सामना कर रही है। हालांकि शहबाज शरीफ की सरकार नए सेना प्रमुख की नियुक्‍ति को लेकर माथापच्‍ची कर रही है। ऐसे में सवाल यह कि शहबाज सरकार सेनाध्‍यक्ष को बदलने की जल्‍दबाजी में क्‍यों है..?

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 25 Sep 2022 04:57 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 05:27 PM (IST)
Pakistan Politics: बाढ़ से पाकिस्‍तानी आवाम बेहाल फ‍िर भी सेनाध्‍यक्ष बदलने की जल्‍दबाजी में क्‍यों शहबाज सरकार..?
शहबाज सरकार सेनाध्‍यक्ष को बदलने की जल्‍दबाजी में क्‍यों है..? जाने इस सवाल का जवाब..।

नई दिल्‍ली, ऑनलाइन डेस्‍क। बाढ़ की मार से बेहाल पाकिस्तानी आवाम भीषण आर्थिक तंगी का सामना कर रही है। इतना ही नहीं इस बाढ़ ने पहले से ही बदहाली की शिकार पाकिस्‍तानी अर्थव्‍यवस्‍था के लिए 'कोढ़ में खाज' वाली स्थितियां पैदा कर दी है। आवाम के लिए बीमारियों की खतरा भी बढ़ गया है। बाढ़ से अब तक 1600 से ज्यादा लोगों की मारे जाने की रिपोर्टें सामने आ रही हैं। ऐसे में सरकार की जिम्‍मेदारियां बढ़ जाती है। हालांकि शहबाज शरीफ की सरकार नए सेना प्रमुख की नियुक्‍ति को लेकर माथापच्‍ची कर रही है। ऐसे में सवाल यह कि शहबाज सरकार सेनाध्‍यक्ष को बदलने की जल्‍दबाजी में क्‍यों है..?

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नवंबर में खत्म हो रहा बाजवा का कार्यकाल

दरअसल, मौजूदा सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल इस साल नवंबर में खत्म हो रहा है। क्या बाजवा को सेवा विस्तार दिया जाएगा या वह पद छोड़ देंगे। उनकी जगह कौन ले सकता है..? इन मुद्दों पर अटकलों का बाजार गर्म है। पाकिस्तान के रक्षा रक्षा मंत्रालय का कहना है कि जल्द ही इस पर कोई फैसला ले लिया जाएगा।

सियासी खींचतान भी तेज

इस मसले पर पाकिस्‍तान में सियासी खींचतान भी तेज हो गई है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने नए सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर दिखाई जा रही जल्‍दबाजी पर सवाल उठाए हैं। इमरान खान ने जल्द से जल्‍द आम चुनाव कराए जाने की मांग की। साथ ही यह भी कहा कि सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा को नई सरकार के चुने जाने तक सेवा विस्तार दिया जाना चाहिए।

इमरान के आरोपों से बेचैनी

हाल ही में इमरान खान ने आरोप लगाया था कि आसिफ अली जरदारी और नवाज शरीफ अपने चहेते को अगला सेना प्रमुख बनाना चाहते हैं। खान ने यह भी कहा कि जरदारी और शरीफ को डर है कि यदि सेना प्रमुख के पद पर कोई देशभक्त आ गया तो वह उनसे उनकी लूट के बारे में सवाल पूछने लगेगा। इमरान के इन आरोपों से सेना और सरकार दोनों बैकफुट पर नजर आ रहे हैं।

इतना आसान नहीं है बाजवा के उत्‍तराधिकारी का चयन

इस बार सेना प्रमुख के उत्तराधिकार का मुद्दा अधिक चुनौति‍पूर्ण माना जा रहा है। इसकी सबसे ठोस वजह यह कि पूर्व पीएम इमरान खान के पाकिस्तानी सेना के साथ रिश्‍ते किसी से छिपे नहीं हैं। खान पहले ही बाजवा का कार्यकाल बढ़ाए जाने की मांग उठा चुके हैं। ऐसे में शहबाज शरीफ की सरकार के लिए नए सेना प्रमुख का चयन करना बेहद चुनौतिपूर्ण है। सनद रहे सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने महज 17 घंटे में पूर्व की नवाज शरीफ सरकार का तख्‍तापलट कर दिया था।

शहबाज ने शरीफ से किया था मशविरा

पाकिस्‍तान की समा टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ लंदन में नवाज शरीफ से मंत्रणा करने पहुंचे थे। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने वहां बयान दिया था कि जनरल मुख्यालय (जीएचक्यू) अक्टूबर के अंत तक अगले सेनाध्यक्ष की नियुक्ति पर विचार विमर्श शुरू कर देगा।

विनाशकारी बाढ़ ने बढ़ाई सरकार की चुनौतियां

हालांकि नए सेना प्रमुख की नियुक्‍ति‍ का मसला इतना सरल भी नहीं नजर आ रहा है क्‍योंकि पाकिस्‍तान के इतिहास में पहली बार है कि विपक्षी नेता के तौर पर इमरान खान इस मसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं। गौर करने वाली बात यह कि इमरान खान पाकिस्‍तान की उस आवाम के बीच जाकर रैलियों में ऐसे बयान दे रहे हैं जो बाढ़ के दर्द से पहले ही बेहाल है। यही नहीं आवाम मौजूदा सरकार से भी बेहद खुश नहीं बताए जाते हैं। सनद रहे इमरान पहले भी मौजूदा सरकार पर अमेरिका परस्‍ती के आरोप लगाते रहे हैं।

राजनीति में सेना की अहम भूमिका

पाकिस्तानी सेना देश की राजनीति में एक भूमिका निभाती आई है। इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय और कूटनीतिक मामलों पर भी उसकी दखल होती है। यही नहीं आम चुनावों में भी सेना की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में नए सेना प्रमुख के चयन का मसला सरकार और विपक्ष दोनों के लिए बेहद अहम हो चला है। शरीफ के खेमे का मानना ​​है कि अगले मई यानी सरकार के कार्यकाल के अंत तक बने रहना बेहद जरूरी है। शरीफ के खेमे को यह भी लगता है कि चुनाव तक सरकार की नई नीतियों के जरिए वह पाकिस्‍तान में अपनी खोई सियासी जमीन को फिर से हासिल कर सकती है।

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