Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Exclusive Solomon: रैगिंग के चलते ली ताइक्वांडो की ट्रेनिंग, ब्रूस ली को देख MMA से हुआ प्यार; जेसन ऐसे बने 'दिल्ली डॉन'

    By Umesh KumarEdited By: Umesh Kumar
    Updated: Fri, 13 Oct 2023 07:17 PM (IST)

    मैट्रिक्स फाइट नाइट (MFA) भारत की प्रमुख मिक्स मार्शल आर्ट (MMA) का ही एक रूप है। यह साउथ ईस्ट एशिया का सबसे बड़ा एमएमए का प्लेटफॉर्म है। यह बॉलीवुड एक्टर टाइगर श्रॉफ उनकी मां आयशा श्रॉफ और बहन कृष्णा श्रॉफ के दिमाग की उपज है। 12 मार्च 2019 को मुंबई में पहली बार एमएफएन का आयोजन किया गया। एक बार फिर इसका आयोजन नोएडा में 28 अक्टूबर को किया जाएगा।

    Hero Image
    Exclusive Interview Jason Ramesh Solomon Jagran News

    उमेश कुमार, नई दिल्ली। भारतीय मिक्स मार्शल आर्ट (MMA) फाइटरों के बारे में बातचीत करते हैं तो 'द दिल्ली डॉन' यानी जेसन रमेश सोलोमन का उल्लेख किए बिना बात पूरी नहीं हो सकती। भारतीय एमएमए में सबसे बड़े नामों में से एक, सोलोमन एक लाइटवेट और वेल्टरवेट फाइटर हैं। दिल्ली के रहने वाले सोलोमन फिलहाल यूएसए में ट्रेनिंग ले रहे हैं। उनसे जागरण ऑनलाइन के स्पोर्ट्स संवाददाता उमेश कुमार ने खास बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश:-

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मिक्स मार्शल आर्ट में करियर बनाने की प्रेरणा कहां से मिली?

    -इसकी शुरुआत बचपन से ही हो गई थी। ब्रूस ली और जैकी चैन को टीवी पर लड़ते हुए देखने पर मुझे आश्चर्य हुआ था। उन्हीं दोनों को देखने के बाद अंदर से लगा की मैं भी लड़ सकता हूं। बचपन से ही लड़ने का का शौक था। ताइक्वांडो सीखा। फिर किक बॉक्सिंग सीखी। कॉलेज के लिए अमरीका आया था तो यहां मिक्स मार्शल आर्ट के बारे में जानकारी हुई। पहली ही नजर में एमएमए से प्यार हो गया। आज से 10 साल पहले भारत में इस तरह का कोई टूर्नामेंट नहीं था। भारत आकर मैंने मुंबई में एक ट्रेनिंग जिम में हिस्सा लिया। ट्रायल दिया उसके बाद दो तीन फाइट जीती। वहां से फिर सिलसिला शुरु हो गया।

    बचपन की ऐसी कौन सी याद दिमाग में घर कर गई, जिसने आपको लड़ने के लिए प्रेरित किया?

    -पापा हिन्दुस्तानी और मां विदेशी हैं, तो हाईस्कूल में मेरे साथ रैगिंग होता था। मेरी हिंदी उतनी अच्छी नहीं थी। गोरा था अन्य बच्चों की अपेक्षा। नाम से भी विदेशी लगाता हूं। तो स्कूल में बच्चे मेरे साथ पंगे लेते थे। बहुत रैगिंग करते रहते थे। दो तीन बार सीनियर्स के साथ लड़ाई हो गई थी। क्लास में बहुत ज्यादा परेशान किया था। घर जाकर खूब रोया था, तब पापा ने सेल्फ डिफेंस के लिए ताइक्वांडो की ट्रेनिंग दिलाई थी।

    द दिल्ली डॉन नाम के पीछे की कहानी क्या है?

    -इसके पीछे कोई खास कहानी नहीं है। बस फाइट में आने के लिए एक खास नाम सोच रहा था। तब पता नहीं कैसे ये नाम दिमाग में आ गया। कूल लगा तो रख लिया। क्यों असली का डॉन तो नहीं पर एमएमए का डॉन जरूर हूं। फाइट में जाते वक्त दिमाग में ये चलता रहता था कि मैं किसी भी लड़ सकता हूं, उससे जीत सकता हूं। दिल्ली का प्रतिनिधित्व करना रहता थो दिल्ली डॉन नाम रख लिया था। मुझे गर्व है कि मैं भारत के दिल्ली शहर से हूं।

    यह भी पढ़ें- BAN vs NZ: Trent Boult ने रचा इतिहास, बांग्लादेश के खिलाफ दो विकेट लेकर दिग्गजों की लिक्ट में हुए शामिल

    शुरू-शुरू में एमएमए में आने के बाद किन-किन चुनौतियों का समाना करना पड़ा?

    -शुरु में किसी को पता नहीं था एमएमए क्या है। जब घर में मां-पापा से बात की तो उन्होंने डांटा था। हर फैमली की तरह वो चाहते थे कि मैं अच्छी नौकरी करूं। घर का बिजनेस संभालूं। लेकिन मैंने अपने सपने को फॉलो किया। दिल्ली से नासिक चला गया, वहां एक एमएमए ट्रेनिंग कैंप लगा था। वहां रहना खाना सब मिलता था। दो-तीन साल तक यहां ट्रेनिंग ली। फिर फाइट में हिस्सा लिया। जीत मिली नाम मिला और शोहरत भी मिली तो घरवालों को भी लगा मैं कुछ कर लूंगा, तो मां-पापा ने भी सपोर्ट किया। फिर थाइलैंड, बैंकॉक में मिक्स मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली। सुपर फाइट लीग खत्म होने के बाद आज नए युग की मैट्रिक्स फाइट नाइट ने ले ली है। अब यूके, यूएएस में ट्रेनिंग लेता हूं और भारत में जूनियर्स को सिखाता हूं।

    2015 में अमितेष चौबे से हारने के बाद क्या बदलाव आया जीवन में और अब विरोधियों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

    -वो फाइट मेरे करियर के लिए बहुत महत्वपूर्ण फाइट रही। लोगों को लगा की मुझे फाइट करना नहीं आता। पर ये फाइट है कोई भी हार सकता है, लेकिन मैंने अपनी स्किल, तकनीक पर काम किया। जब आप हारते हैं तो आप अपनी गलती पर गौर करते हैं। ताकी वो गलती दोबारा न हो। सभी को मेरा संदेश है कि एमएमए है, यहां कुछ भी हो सकता है। आपको अपनी गलतियों से सीखना है और जीतना है।

    यह भी पढ़ें- Cricket in Olympic: 128 साल बाद ओलंपिक में क्रिकेट की हुई वापसी, IOC ने होस्ट देश का प्रस्ताव किया मंजूर

    अगर आप फाइटर नहीं होते तो क्या बनते जीवन में ?

    - मुझे हीरो बनना था। मैट्रिक्स फाइट नाइट लीग के बाद अगर टाइगर श्राप या कृष्णा मैम ने एक रोल दिया तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा। विलन का रोल, डॉन का रोल भी चलेगा। (हंसते हुए)