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    D Gukesh: बेटे के लिए पिता ने दांव पर लगाया था करियर, लोन लेकर टूर्नामेंट में लिया हिस्‍सा

    सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन गुकेश की सफलता के पीछे उनके माता-पिता को भी बहुत त्याग करने पड़े। गुकेश ने शतरंज में अच्छा करना शुरू किया तो पेशे से डॉक्टर पिता रजनीकांत को नौकरी छोड़नी पड़ी। दरअसल विदेश में टूर्नामेंट होने के कारण वह मरीजों को समय नहीं दे पाते थे और बेटे को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें अपना क्लीनिक बंद करना पड़ा और उनकी आय सीमित हो गई।

    By Jagran News Edited By: Rajat Gupta Updated: Fri, 13 Dec 2024 11:24 PM (IST)
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    गुकेश ने गुरुवार को रचा था इतिहास।

     नई दिल्ली, जेएनएन : सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन गुकेश की सफलता के पीछे उनके माता-पिता को भी बहुत त्याग करने पड़े। गुकेश ने शतरंज में अच्छा करना शुरू किया तो पेशे से डॉक्टर पिता रजनीकांत को नौकरी छोड़नी पड़ी।

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    पिता को अपना क्लीनिक बंद करना पड़ा

    दरअसल, विदेश में टूर्नामेंट होने के कारण वह मरीजों को समय नहीं दे पाते थे और बेटे को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें अपना क्लीनिक बंद करना पड़ा और उनकी आय सीमित हो गई। गुकेश के टूर्नामेंट और परिवार के खर्च का बोझ मां पद्मा पर आ गया। उस समय गुकेश को प्रायोजक नहीं मिल रहे थे जबकि विदेश में टूर्नामेंट खेलने का खर्च बहुत अधिक था। ऐसे में कई बार टूर्नामेंट में शामिल होने के लिए उन्हें लोन तक लेने पड़े।

    तीन बार फ्लाइट छोड़नी पड़ी

    एक साक्षात्कार में गुकेश के पिता रजनीकांत ने बताया था कि 2021 में जब वे गुकेश को यूरोप लेकर गए तब उन्हें भारत वापस आने में लगभग चार महीने लग गए थे। दरअसल गुकेश ने इस दौरान 13 से 14 टूर्नामेंट खेले।

    उन्हें तीन बार फ्लाइट छोड़नी पड़ी। यूरोप में टूर्नामेंट के दौरान पैसों की बचत के लिए वह और गुकेश एयरपोर्ट पर ही सो गए थे। 2020 में कोरोना काल आर्थिक रूप से उनके परिवार के लिए अच्छा साबित हुआ। शतरंज के टूर्नामेंट ऑनलाइन हो रहे थे हो रहे थे। ऐसे में यात्रा का खर्च बचता था।

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    12 साल में जूनियर विश्व चैंपियन बने

    सात वर्ष की उम्र से गुकेश ने शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। 2015 में उन्होंने अंडर-9 एशियन स्कूल शतरंज चैंपियनशिप जीती। 2017 में उन्होंने 34वें कैप्पेल ला ग्रैंड ओपन में अंतरराष्ट्रीय मास्टर (आइएम) बनने के मानक पूरे किए। 2018 में अंडर-12 वर्ग में विश्व यूथ शतरंज चैंपियनशिप का खिताब जीता। 15 जनवरी 2019 को 12 साल 7 महीने और 17 दिन की उम्र में दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंड मास्टर बने थे।

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