कटक का एक अनोखा पूजा पंडाल, जहां हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन मिलकर मनाते हैं दशहरा; भाईचारे की पेश करते हैं मिसाल
ओडिशा के कटक शहर का एक पूजा पंडाल सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है। कटक के सुताहाट में स्थित श्री श्री पूजा पंडाल में आसपास के 13 मोहल्लों में बसे हिंदू मुस्लिम क्रिश्चियन सभी संप्रदाय के लोग दशहरे को बड़े ही धूमधाम से मना रहे हैं। दूसरे पूजा पंडालों की भांति यहां पर भी इन दोनों मां दुर्गा की पूजा के लिए तैयारियां जोरों से चल रही है।

संवाद सहयोगी, कटक। इन दिनों देश-दुनिया के हर कोने में सांप्रदायिक भेदभाव के चलते हिंसा की घटनाएं देखने में मिल रही हैं, लेकिन कटक शहर में एक पूजा पंडाल ऐसा भी है, जो सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश कर रहा है।
कटक शहर के सुताहाट पूजा पंडाल में 13 मोहल्लों में बसे हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन सभी संप्रदाय के लोग दशहरे को बड़े ही धूमधाम से मना रहे हैं। दूसरे पूजा पंडालों की भांति, यहां भी इन दोनों मां दुर्गा की पूजा के लिए तैयारियां जोरों से चल रहा हैं।
मोहल्ले के लोग चुनते हैं पूजा पंडाल के पदाधिकारी
पूजा के लिए चंद रोज बाकी होने के कारण यहां के तमाम कार्यकर्ता, कारीगर सब पूजा कार्य के लिए लगे हुए हैं। इस पूजा पंडाल के नए पदाधिकारियों को मोहल्ले के लोगों ने चुना है। ये सभी पदाधिकारी पूजा को अनुशासन के तहत खत्म करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।
पूजा पंडाल के नए अध्यक्ष सुभाशीष कर का कहना है कि, यह पूजा पंडाल शहर के दूसरे पूजा पंडालों से बिल्कुल अलग है। यहां पर हमारे धर्मनिरपेक्ष भारत की झलक साफ तौर पर दिखा जा सकता है।
हर समुदाय मिलकर मनाता है दुर्गापूजा
उन्होंने कहा कि यहां पर 13 मोहल्ले में बसने वाले हजारों लोग हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन, तेलुगु, बिहारी हर एक भाषा और संप्रदाय के लोग रहते हैं और दुर्गा पूजा को मनाने के लिए हर कोई एक महीना पहले से अपना काम काज में समय निकाल कर रोज कुछ ना कुछ समय देते हैं, जिसके चलते यहां पर पूजा शांतिपूर्ण तरीके से होता है।
भाईचारे के लिए जाना जाता है यह शहर
इस साल भी मां की पूजा को सफल बनाने के लिए तमाम तैयारी आखिरी पड़ाव में पहुंच चुका है। ठीक उसी प्रकार पूजा पंडाल के एक वरिष्ठ सदस्य लियाकतउद्दीन अहमद का कहना है कि यह प्राचीन नगरी कटक गली-मोहल्ले का शहर है और यह शहर भाईचारे के शहर के तौर पर जाना जाता है। कटक शहर में पूजा का माहौल शुरू हो चुका है। यहां पर बसने वाले लोगों के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं है।
कंधे से कंधा मिलाकर मनाते हैं हर त्योहार
लियाकतउद्दीन ने कहा कि हम लोग दुर्गा पूजा में शामिल होते हैं और वह हमारे ईद त्यौहार में कंधे से कंधा मिलाकर शरीक होते हैं और हमें बधाई देते हैं। यह जो परंपरा कई सालों से चली आ रही है एवं इससे हमें काफी खुशी मिलती है।
सोने की होती मां की आंख
श्री श्री दुर्गा पूजा कमेटी सुताहाट के संगठन सचिव विश्वजीत पांडे का कहना है कि, यहां पर मां की पूजा को परंपरा के अनुसार किया जाता है और पूजा के ऊपर यहां पर काफी अहमियत दी जाती है। यहां पर मां की जो आंख है वह दूसरे पूजा पंडालों में बनने वाली प्रतिमाओं से थोड़ी अलग है। यहां पर मां की आंख सोने से बनी होती है।
स्वामी नायडू ने कहा कि यहां के पूजा कमेटी के तमाम सदस्यों के बीच काफी उत्साह है। सभी मां की पूजा को अनुशासन के तहत इस साल संपूर्ण करने के लिए दिन-रात लगे हुए हैं। इस साल मां दुर्गा की पूजा परंपरा के तहत शांतिपूर्ण तरीके से यहां पर खत्म होगा।
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