नहीं रहे जाने-माने कवि जयंत महापात्र, राष्ट्रीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई, सीएम ने भी जताया शोक
Odisha News जाने-माने साहित्यकार व कवि पद्मश्री जयंत महापात्रा का अंतिम संस्कार राष्ट्रीय मर्यादा के साथ सोमवार को कटक के खान नगर श्मशान में किया गया। उन्होंने रविवार रात को अंतिम सांस ली। उन्हें निमोनिया हो गया था जिसके बाद उन्हें कटक बड़ा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अपनी साहित्य रचना से उन्होंने खूब लोकप्रियता हासिल की।

संवाद सहयोगी, कटक। Odisha News: जाने-माने साहित्यकार व कवि पद्मश्री जयंत महापात्रा का अंतिम संस्कार राष्ट्रीय मर्यादा के साथ सोमवार को कटक के खान नगर श्मशान में किया गया। इस मौके पर कई मशहूर हस्ती मौजूद थे।
रविवार रात को पड़ा दिल का दौरा
मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वाइं, पूर्व विधायक प्रभात रंजन विश्वाल, सीडीए अध्यक्ष अनील कुमार सामल, जिलाधीश भवानी शंकर चयनी, कटक मेयर सुभाष सिंह प्रमुख इस मौके पर उपस्थित रहे।
कवि जयंत महापात्रा पिछले कुछ दिनों से बढ़ती उम्र संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे। उन्हें कटक बड़ा मेडिकल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। रविवार रात को दिल के दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हो गया।
निमोनिया से अचानक बिगड़ी हालत
जयंत महापात्र ने अंग्रेजी और ओड़िआ भाषा में साहित्य रचना कर राज्य सहित पूरे देश व विदेशों में काफी नाम कमाया था। उन्हें निमोनिया हुआ तो 4 अगस्त की तारीख को कटक के बड़ा मेडिकल में भर्ती कराया गया। शनिवार की रात को उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें रात के 9:00 बजे से वेंटिलेटर में रखा गया था।
राष्ट्रीय मर्यादा संग दी गई अंतिम विदाई
रविवार की रात को 9 बजे उनका निधन हो गया। इसके बाद देर रात को उनके पार्थिव शरीर को कटक तीनकोनिआ बगीचा में मौजूद उनके आवास चंद्रभागा में ले जाया गया और उनकी अंतिम इच्छानुसार सोमवार को खान नगर श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
उन्हें राष्ट्रीय मर्यादा के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनके भतीजे देव कुमार महापात्र ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनके निधन की खबर मिलते ही उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए लोगों का तांता लगने लगा। सभी ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
कटक में हुए पैदा, यहीं ली अंतिम सांस
कवि जयंत महापात्र 22 अक्टूबर, 1928 को कटक में पैदा हुए थे। लेमूएल महापात्र और सुधांशु वाला दास के वह बड़े बेटे थे। वह पदार्थ विज्ञान के अध्यापक थे, लेकिन शौकिया तौर पर वह साहित्य की चर्चा करते थे।
अध्यापक के तौर पर उन्होंने रवेंशा कॉलेज, गंगाधर मेहर कॉलेज, बालेश्वर के फकीर मोहन कॉलेज, भुवनेश्वर के बीजेपी कॉलेज में अध्यापक के तौर पर काम किया। उन्होंने अंग्रेजी और उड़िया भाषा में कविताएं व लघु कहानियां लिखी। कई पुस्तकों के अनुवाद ने भी उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई।
ଯଶସ୍ଵୀ ସାହିତ୍ୟିକ ଜୟନ୍ତ ମହାପାତ୍ରଙ୍କ ଦେହାନ୍ତ ବିଷୟରେ ଜାଣି ମୁଁ ଦୁଃଖିତ। ସାହିତ୍ୟ ଜଗତରେ ଏହା ଏକ ଅପୂରଣୀୟ ଶୂନ୍ୟସ୍ଥାନ। ଉଭୟ ଓଡ଼ିଆ ଏବଂ ଇଂରାଜୀ ସାହିତ୍ୟରେ ଅନନ୍ୟ ସୃଜନସୃଷ୍ଟି ତାଙ୍କୁ ସର୍ବଦା ଅମର କରି ରଖିବ। ମହାନ ସାହିତ୍ୟିକଙ୍କ ଅମର ଆତ୍ମାର ସଦଗତି କାମନା ସହ ଶୋକସନ୍ତପ୍ତ ପରିବାରବର୍ଗଙ୍କ ପ୍ରତି ମୋର ସମବେଦନା ଜଣାଉଛି।
— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) August 27, 2023
इंडियन समय हंगर, रिलेशनशिप जैसी मशहूर अंग्रेजी कविताओं के चलते उन्होंने विदेशों में भी खूब पहचान मिली। उनके निधन के चलते मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पंडा एवं कई साहित्यिक संगठन आदि की ओर से भी शोक जताया गया है।
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