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    Odisha News: पुरी के राजा की अंतरराष्ट्रीय इस्कॉन समाज को कड़ी चेतावनी, कहा- अब बहुत हो गया...

    Updated: Tue, 05 Nov 2024 04:26 PM (IST)

    पुरी के गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने इस्कॉन को चेतावनी दी है कि वार्षिक रथ यात्रा की असामयिक व्यवस्था पुरी श्रीमंदिर में परंपरा का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इससे दुनिया भर के जगन्नाथ भक्तों की भावनाएं आहत होंगी। इस्कान ने ह्यूस्टन में 9 नवंबर को रथ यात्रा समारोह आयोजित करने की योजना बनाई है। ओडिशा के कानून मंत्री ने भी गजपति महाराज का समर्थन किया है।

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    पुरी के गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव। फाइल फ़ोटो

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पुरी के गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने मंगलवार को इंटरनेशनल सोसाइटी फार कृष्णा कान्शियसनेस (इस्कान) को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि वार्षिक रथ यात्रा की असामयिक व्यवस्था पुरी श्रीमंदिर में परंपरा का उल्लंघन है और इस्कान को इससे दूर रहना चाहिए क्योंकि इससे दुनिया भर के करोड़ों जगन्नाथ भक्तों की भावनाएं आहत होंगी।

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    इस्कान द्वारा 9 नवंबर को ह्यूस्टन में असामयिक रथ यात्रा समारोह के आयोजन पर कड़ी चेतावनी देते हुए गजपति महाराज ने कहा है कि इस तरह के आयोजन से वे दूर रहें अन्यथा हम इसके खिलाफ कानूनी सहारा लेंगे।

    जानकारी के मुताबिक, गजपति महाराज के विरोध के बाद इस्कान समाज ने तीन नवंबर को भगवान जगन्नाथ की स्नान यात्रा आयोजित करने के निर्णय को वापस ले लिया था, लेकिन ह्यूस्टन में नौ नवंबर को निकाली जाने वाली रथ यात्रा के वापस लेने के संदर्भ में अभी तक कोई घोषणा नहीं की है।

    श्रीमंदिर की परंपरा को तोड़ना ठीक नहीं- गजपति महाराज

    गजपति महाराज ने कहा है कि श्रीमंदिर की परंपरा को तोड़ना ठीक नहीं है। निर्धारित स्नान यात्रा और रथ यात्रा को छोड़कर भगवान जगन्नाथ को मंदिर से बाहर नहीं होना चाहिए। स्कंद पुराण में इसका उल्लेख किया गया है और स्वयं भगवान जगन्नाथ ने इसकी घोषणा की है।

    अगर इस्कान दुनिया भर में वैष्णव धर्म फैलाने में रुचि रखता है, तो यह अच्छा है। हालांकि, उन्हें इसे दूसरा नाम देना चाहिए और असमय रथ यात्राएं नहीं करनी चाहिए और इसमें भगवान जगन्नाथ को शामिल नहीं करना चाहिए।

    यह पुरी श्रीमंदिर परंपरा का उल्लंघन है और यह दुनिया भर में भगवान जगन्नाथ के करोड़ों भक्तों की भावनाओं को आहत करेगा। इस्कान 1969 से असमय रथ यात्राओं का आयोजन कर रहा है। इस मामले को कई बार उनके साथ उठाने के बाद, 2021 से भारत में अब यह महोत्सव आयोजित नहीं किया जाता है।

    हालांकि, यह अभी भी विदेश में जारी है और यह सदियों पुरानी परंपरा का उल्लंघन है। गजपति महाराज ने कहा है कि हम इस्कान के वरिष्ठ सदस्यों और स्वामीजी के संपर्क में हैं। हमें मार्च का इंतजार करना होगा जब उनकी संचालन परिषद की बैठक होगी।

    उम्मीद है कि वे हमारे तर्क को स्वीकार करेंगे और दुनिया भर में असामयिक रथ यात्राओं को रोकेंगे क्योंकि वे धर्म, शास्त्र और रीति-रिवाजों में विश्वास करते हैं। उड़िया लोग बहुत धैर्यवान हैं और हमें कुछ और समय तक धैर्य रखना होगा। मुझे उम्मीद है कि वे इस परंपरा को स्वीकार करेंगे।

    हम इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से और सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करना चाहते हैं। यदि ऐसा नहीं होता है तो हम तब कानूनी रास्ता अपनाएंगे।

    ओडिशा के कानून मंत्री ने क्या कहा?

    इस बीच, गजपति दिव्य सिंहदेव का समर्थन करते हुए ओडिशा के कानून मंत्री  पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि अगर कोई जगन्नाथ संस्कृति को विकृत और अनादर करने का प्रयास करता है तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। जब असामयिक स्नान यात्रा और रथ यात्रा के बारे में इस्कान का कार्यक्रम सामने आया, तो दुनिया भर में भगवान जगन्नाथ के भक्तों ने प्रतिक्रिया दी। 

    वे इस संबंध में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों को देखने के लिए उत्सुक थे। इस घटनाक्रम के बाद सरकार ने मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक के साथ इस मामले पर सक्रिय रूप से चर्चा की।

    इससे पहले, गजपति महाराज ने इस्कान इंडिया मुख्यालय को एक पत्र लिखा था और उन्होंने पुरी श्रीमंदिर के कार्यक्रम के अनुसार अपने विभिन्न केंद्रों में विभिन्न उत्सव आयोजित करने के लिए एक सलाह जारी की थी।

    इसे दुनिया भर में उनके सभी केंद्रों में भी परिचालित किया गया है। तथापि, कुछ स्थानों पर विचलन हो रहा है और गजपति महारा ने इस संबंध में उन्हें पुन: पत्र लिखा है।

    हालांकि, उन्होंने तीन नवंबर को पवित्र त्रिमूर्ति की स्नान यात्रा आयोजित करने की अपनी योजना वापस ले ली है, लेकिन असामयिक रथ यात्रा समारोह के बारे में कोई घोषणा नहीं की है, जिसे वे 9 नवंबर को ह्यूस्टन में फेस्टिवल आफ ब्लिस कहते हैं।

    पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने कहा है कि इस मामले पर हमारा मत स्पष्ट है कि अगर किसी भी स्थान पर जगन्नाथ संस्कृति को विकृत और अपमानित किया जाता है, तो कार्रवाई की जाएगी और हम इस संबंध में गजपति महाराज के दृष्टिकोण का पूरा समर्थन करते हैं।

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