Buxar Third Bridge: बक्सर में प्रस्तावित तीसरे पुल के डिजाइन में बदलाव, भरौली में बनेगा गोलंबर
बक्सर के तीसरे पुल के निर्माण में एक बार फिर बदलाव किया गया है। नए डिजाइन के अनुसार पुल के यूपी छोर पर ए ग्रेड रोटरी यानी जमीन की सतह से ऊपर एक गोलंबर का निर्माण किया जाएगा। इससे भरौली गोलंबर पर जाम की समस्या खत्म होगी। इस बदलाव के बाद गंगा पर बने दूसरे पुल का यूपी छोर का संपर्क पथ भी पूरी तरह एलिवेटेड हो जाएगा।

शुभ नारायण पाठक, बक्सर। उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच गंगा पर प्रस्तावित बक्सर के तीसरे पुल के डिजाइन में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने एक बार फिर बदलाव किया है। इसके साथ ही इस पुल के निर्माण के लिए तीसरी बार संशोधित अंतरराष्ट्रीय निविदा निकाली गई है। एनएचएआई के नए डिजाइन के अनुसार, बक्सर में तीन लेन का नया पुल, दो लेन के पुराने पुल से सटकर पश्चिम में बनेगा।
इसी पुराने पुल के पूरब में सटे हुए दूसरा पुल एक साल पहले चालू हुआ है। नए पुल के निर्माण में अब उत्तर प्रदेश के भरौली छोर पर ए ग्रेड रोटरी यानी जमीन की सतह से ऊपर एक गोलंबर का निर्माण किया जाएगा। वाहन इस गोलंबर को पार करते हुए आगे जाकर जाकर उतरेंगे। बक्सर में हाल के दिनों में बनकर तैयार हुआ दूसरा पुल भी इस रोटरी से जुड़ेगा।
एनएच की नई डिजाइन में यूपी छोर के भरौली गोलंबर के ठीक ऊपर पटना के आर ब्लॉक या जीपीओ गोलंबर की तरह ऊपर भी एक रोटरी यानी गोलंबर बनेगा। नई डिजाइन में गाजीपुर, बलिया या करीमुद्दीनपुर की ओर से आने वाले वाहन भरौली गोलंबर से पहले ही एलिवेटेड रोड पर चढ़ जाएंगे। इसके बाद भरौली में बनने वाले ऊपरी गोलंबर से होकर सीधे गंगा पुल पर पहुंच जाएंगे।
इससे भरौली गोलंबर पर जाम की समस्या खत्म होगी और स्थानीय लोगों को सुविधा होगी। इस बदलाव के बाद गंगा पर बने दूसरे पुल का यूपी छोर का संपर्क पथ भी पूरी तरह एलिवेटेड हो जाएगा। सतह पर बने मौजूदा संपर्क पथ की उपयोगिता पूरी तरह खत्म हो जाएगी। तीसरे पुल का संपर्क पथ भी एलिवेटेड होगा, जो पहले पुल के संपर्क पथ के ठीक ऊपर से गुजरेगा।
बक्सर छोर पर एलिवेटेड रोड या रोटरी की योजना नहीं
बीते दिनों डीएम अंशुल अग्रवाल और सदर एसडीओ धीरेंद्र मिश्र ने एनएचएआइ के स्थानीय अधिकारी के साथ बैठक कर तीसरे पुल के कारण बक्सर गोलंबर पर संभावित यातायात व्यवस्था की चुनौतियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया था। प्रशासन के स्थानीय अधिकारियों का कहना था कि तीसरे पुल के माध्यम से आने वाले वाहन बक्सर गोलंबर पर यातायात की स्थिति और जटिल कर सकते हैं। यहां प्रशासन पहले ही यूपी जाने वाले ट्रकों के कारण गंभीर चुनौती से जूझ रहा है।
प्रशासन का कहना था कि पुल से आने वाले वाहनों को एलिवेटेड रोड के जरिए सीधे अहिरौली से आगे एनएच 922 पर उतारा जाए। इस पर एनएच के अधिकारी ने कहा था कि वह अपने मुख्यालय को बक्सर में भी ए ग्रेड रोटरी बनाने का प्रस्ताव देंगे। हालांकि ऐसा बीते सोमवार को प्रकाशित निविदा में दिख नहीं रहा है। इसके कारण इस निविदा के एक बार फिर टलने की आशंका भी प्रबल हो गई है।
मार्च में पहली बार निकली थी निविदा
एनएचएआई ने बक्सर में तीन लेन के नए पुल के निर्माण के लिए इसी साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च महीने में पहली बार निविदा आमंत्रित की थी। तब एनएचएआइ के पटना जोन की इस योजना में पटना-बक्सर एनएच 922 का बक्सर में तीन लेन के नए पुल के साथ पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के दक्षिणी अंतिम छोर पर हैदरिया तक विस्तार करना भी शामिल था।
इसी बीच एनएचएआई के आजमगढ़ जोन ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से संपर्कता के साथ नए ग्रीनफील्ड हाइवे और 17 किलोमीटर लंबे भरौली स्पर (विस्तार) का निर्माण शुरू कर दिया, जिसके माध्यम से बक्सर को करीमुद्दीनपुर के पास पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की संपर्कता अगले एक साल के अंदर मिल जाने की उम्मीद है। इस योजना ने हैदरिया स्पर की जरूरत को खत्म कर दिया। इसलिए एनचएआइ ने योजना में संशोधन कर हैदरिया स्पर का विचार स्थगित करते हुए केवल तीन लेन के पुल के निर्माण के लिए निविदा निकाली थी।
सबसे बड़ी चुनौती एलिवेटेड गोलंबर पर कैसे होगी वाहनों की जांच?
फिलहाल बक्सर और भरौली दोनों गोलंबर पर लगने वाले जाम की पहली वजह यूपी छोर पर बालू लदे ट्रकों की जांच है। बालू लदे ट्रकों की जांच भरौली गोलंबर और पुल के बीच ही की जाती है। इसके कारण जांच के इंतजार में ट्रक पुल पर ही खड़े रहते हैं। ऐसा करने के पीछे बड़ी मजबूरी है। भरौली गोलंबर से आगे बढ़ते ही वाहनों के लिए फिलहाल दो मार्ग हैं। एक साल के अंदर यहां एक और फोरलेन हाइवे जुड़ जाएगा। इसके बाद बक्सर की तरफ से जाने वाले वाहन गोलंबर पार करते ही तीन अलग-अलग दिशाओं में चले जाएंगे।
ऐसे ही स्थिति बक्सर गोलंबर पर भी है। वाहनों की जितनी अधिक तादाद इस हाइवे पर है, उसके अनुरूप दोनों छोर पर इंटिग्रेटेड चेकपोस्ट बनाने के लिए पर्याप्त जगह की जरूरत होगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी वाहन बगैर जांच दूसरे राज्य की सीमा में प्रवेश नहीं कर सके। यह तभी संभव है, जब इंटिग्रेटेड चेकपोस्ट के लिए जगह पहले चिह्नित कर ली जाए और उसे हाइवे की डिजाइन में शामिल किया जाए। अगर ऐसा चेकपोस्ट पुल से सटे बनाया जाता है, तो जाम की समस्या शायद ही खत्म होगी।
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