Odisha News: सिंगापुर के राष्ट्रपति ने रघुराजपुर गांव और कोणार्क सूर्य मंदिर का किया दौरा, कलाकारी देखते ही हुए खुश
Singapore President Tharman Shanmugaratnam सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम ने शनिवार को ओडिशा के पुरी जिले में ऐतिहासिक गांव रघुराजपुर और कोणार्क के सूर्य मंदिर का दौरा किया। इस दौरान उनकी पत्नी जेन युमिको इटोगी भी साथ रही। सिंगापुर के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी ने रघुराजपुर गांव में लगभग एक घंटे व्यतीत किया। इस दौरान राष्ट्रपति ने वहां उपस्थित कलाकारों से भी बातचीत की।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा के दो दिवसीय दौरे पर आए सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम ने अपने दौरे के आखिरी दिन पुरी जिले में मौजूद ऐतिहासिक गांव रघुराजपुर एवं कोणार्क सूर्यमंदिर का दौरा किया।राष्ट्रपति ने गांव विरासत, शिल्प और कलात्मक विविधता का पता लगाया। इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी जेन युमिको इटोगी भी थीं।
बारीकी से देखी पेंटिंग
राष्ट्रपति ने रघुराजपुर गांव के कलाकारों द्वारा कई प्रकार के बनाए गए पटचित्रों को ना सिर्फ बारीकी से देखा, बल्कि चित्रकारी के बारे में कलाकारों से बातचीत कर जानकारी भी ली।
सिंगापुर के राष्ट्रपति ने रघुराजपुर ऐतिहासिक गांव का भ्रमण किया। इसके अलावा आज अपराह्न में अंधारूआ में मौजूद भारत बायोटेक के टीका प्रस्तुत केन्द्र का भी परिदर्शन किया है। सिंगापुर के राष्ट्रपति ने वहां के अधिकारियों के साथ भी बात की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का अनुभव कर रहा हूं। सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन ने ओडिशा के सुंदर रघुराजपुर गांव का दौरा किया। इसकी विरासत, शिल्प और कलात्मक विविधता के बारे में जानकारी हासिल की।
सुरक्षा के थे कड़े इंतजाम
सिंगापुर के राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए तमाम जगहों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर स्वांई ने कहा है कि राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए सभी प्रकार के इंतजाम किए गए हैं।
राष्ट्रपति ने रघुराजपुर में पटचित्र कलाकारों के साथ बातचीत की है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस बल की 21 प्लाटून के साथ एसपी रैंक के एक अधिकारी, चार अतिरिक्त एसपी, आठ डीएसपी और 15 इंस्पेक्टर तैनात किए गए थे।
राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान आतिथ्य और अन्य व्यवस्थाओं पर विशेष जोर दिया गया है। गौरतलब है कि ओडिशा के प्रसिद्ध तीर्थस्थल और समुद्रीतटीय शहर पुरी से लगभग 10 किमी. दूर रघुराजपुर गांव में प्रवेश करते ही आपको साफ-सुथरी कतारों में बने घर दिखाई देंगे।
ऐतिहासिक है रघुराजपुर गांव
इस गांव के प्रत्येक घरों की दीवारें चित्रों से सजी हुई हैं। बिना पूछे ही आपको एहसास हो जाएगा की आप कलाकारों के गांव में प्रवेश कर चुके हैं। वर्ष 2000 में, भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट (इंटाक) ने रघुराजपुर को ''विरासत गांव'' घोषित किया था, जिससे कलाकारों को अन्य पारंपरिक कला रूपों को तलाशने में मदद मिली।
पटचित्र और ताड़ के पत्तों की पेंटिंग के अलावा, कागज की लुगदी से बने खिलौने, मुखौटे, नारियल शिल्प, लकड़ी के खिलौने आदि बनाते हुए पाएंगे। कलाकार के रूप में पुरुष और महिला दोनों काम करते हैं। कलाकार ज्यादातर आगंतुकों के प्रति दोस्ताना व्यवहार रखते हैं और कला की उत्पत्ति या इसमें शामिल तकनीकों के बारे में विवरण साझा करने में संकोच नहीं करते।
कई परिवार आगंतुकों को अपने घर पर भी आमंत्रित करते हैं। आप कलाकारों की कलाकृतियां सीधे उनसे खरीद सकते हैं। इस गांव को ओडिशा की प्राचीन पटचित्र कला के संरक्षक के रूप में भी जाना जाता है। जिसका श्रेय मुख्य रूप से स्व. जगन्नाथ महापात्र (1965 में राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता) को जाता है।
आज भी इस गांव में विभिन्न पारंपरिक कलाओं का अभ्यास करने वाले कलाकार रहते हैं। रघुराजपुर में प्रचलित एक और महत्वपूर्ण कला ताड़ के पत्तों की पेंटिंग है। ताड़ के पत्तों की आपस में जुड़ी पट्टियों पर काले रंग से, कभी-कभी रंगों के सात नाजगुक रेखा चित्र बनाए जाते हैं।
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