ओडिशा में इंसान और हाथियों के बीच जमकर टक्कर, रिकॉर्ड संख्या में हो रही लोगों की मौतें, समस्या बनी गंभीर
ओडिशा में इंसान और हाथी के बीच मुठभेड़ होने और जान-माल को नुकसान पहुंचने की घटनाओं में लगातार वृद्धि होती जा रही है। ऐसे में जरूरी है कि हाथी के लिए बने गलियारों को बिना बाधा पहुंचाए सुरक्षित रखा जाए ताकि ये इंसानी बस्ती में न घुस सके।

अनुगुल, संतोष पांडे। जहां ओडिशा उच्च न्यायालय ने हाथियों की मौत पर एक महत्वपूर्ण सुनवाई के लिए 18 जनवरी की तारीख को निर्धारित किया है, वहीं राज्य में मानव-हाथी की मुठभेड़ के कारण रिकॉर्ड संख्या में लोगों की मौत हुई है।
मानव-हाथी मुठभेड़ में सैकड़ों ने गंवाई जान
अप्रैल 2019 और मार्च 2020 के बीच मानव-हाथी मुठभेड़ में 117 लोगों की मौत हुई, जो एक साल पहले दर्ज की गई 115 मानव मौतों को पार कर गया। यह आशंका जताई जा रही है कि राज्य में धान की कटाई के मौसम के दौरान मानव मृत्यु में और वृद्धि होगी। 2022 में ओडिशा में मानव-हाथी मुठभेड़ की 202 घटनाएं हुईं।
अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक राज्य में 204 ऐसे एनकाउंटर हुए। मानव-हाथी संघर्ष की परेशान करने वाली तस्वीर तब देखी गई जब मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति एमएस रमन की ओडिशा उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 18 जनवरी को हाथियों की मौत से संबंधित जनहित याचिकाओं पर अगली सुनवाई स्थगित कर दी।
जंगलों में कम हो रहा हाथियों के लिए खाना
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, हाथी धान और अन्य कृषि उपज की तलाश में नए आवासों में जा रहे थे क्योंकि जंगल के साथ-साथ हाथियों के लिए भोजन तेजी से कम हो रहा था। हाथियों, विशेष रूप से नर में अपनी मादा समकक्षों की तुलना में फसल पर छापा मारने की पांच गुना अधिक प्रवृत्ति होती है।
इस वजह से इंसानी बस्ती का रूख कर रहे हैं हाथी
वन्यजीव विशेषज्ञ बिस्वजीत मोहंती ने कहा , “हाथी गलियारों के विखंडन के कारण वे मानव आवासों की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उनका आवागमन बाधित हो गया है क्योंकि राज्य सरकार औद्योगिक, खनन और सड़क परियोजनाओं के अंधाधुंध विस्तार किये जा रही है।
हाथी गांवों में मचा रहे हैं उत्पात
हाथियों की गतिविधियों को उन क्षेत्रों में देखा गया, जहां लोगों को पहले हाथियों का सामना करने की आदत नहीं थी। केंद्रापड़ा और पुरी जैसी जगहों पर अब हाथियों की आवाजाही देखी गई है। नबरंगपुर जिले में हाल ही में एक हाथी के हमले में एक मानव मृत्यु दर्ज की गई। पिछले हफ्ते ओडिशा के अनुगुल जिले में एक नर वयस्क हाथी ने चार लोगों को कुचल कर मार डाला था, जो विभिन्न गांवों में उत्पात मचा रहा था।
हाथी गलियारों को मुक्त रखना है जरूरी
ओडिशा सरकार ने करीब दो दशक पहले 14 हाथी गलियारों की पहचान की थी, लेकिन वे खंडित थे। दिसंबर 2022 में ओडिशा उच्च न्यायालय के समक्ष एक प्रस्तुति के दौरान भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के मानद प्रोफेसर सुकुमार ने कहा कि इन गलियारों को हाथियों की आवाजाही के लिए मुक्त रखा जाना चाहिए था।
ऐसे रोका जा सकता है हाथियों की इंसानी बस्तियों में आवाजाही
उन्होंने बताया, “ओडिशा में मयूरभंज हाथी रिजर्व को अधिसूचित किया गया है और यह एक बहुत अच्छा रिजर्व है। संबलपुर एलीफेंट रिजर्व आकार में पर्याप्त नहीं है। जबकि रिजर्व का क्षेत्र लगभग 400 वर्ग किमी है, हाथियों की गति की सीमा लगभग 1,000 वर्ग किमी है। महानदी हाथी रिजर्व 2000 वर्ग किमी से अधिक है। संबलपुर एलीफेंट रिजर्व और महानदी रिजर्व के बीच कॉरिडोर को मजबूत करने की जरूरत है।”
प्रोफेसर सुकुमार ने आगे कहा, “संबलपुर और महानदी दोनों हाथी अभ्यारण्यों को एक हाथी गलियारे से जोड़ा जा सकता है। ये दोनों अभ्यारण्य, जो हाथियों की 75 प्रतिशत आबादी का घर हैं, हाथियों के संरक्षण की अपार संभावनाएं रखते हैं। शेष 2 प्रतिशत हाथी अन्य क्षेत्रों में घूम रहे हैं।”
हाथियों की मुक्त आवाजाही के लिए नुआगांव-बरूनी और हदगढ़-कुलडीहा कॉरिडोर के महत्व का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “नुआगांव-बरूनी कॉरिडोर में दाएं और बाएं चल रहे निर्माण के कारण हाथियों के मुक्त आवागमन में बाधाएं हैं। मंझोर सिंचाई परियोजना की मुख्य नहर इन दोनों नहरों में जानवरों के पार जाने के लिए कोई रैंप या ओवरपास नहीं है। इसी तरह, हदगढ़-कुलडीहा में100 से अधिक पत्थर की खदानें हाथियों की आवाजाही को बाधित करती हैं।”
हाथी गलियारों को सुरक्षित करना है जरूरी
सुकुमार के अनुसार, "ओडिशा वन विभाग को दो महत्वपूर्ण गलियारों- नुआगांव-बरूनी और हदगढ़-कुलडीहा गलियारों को सुरक्षित करने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए। भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट की रिपोर्ट में सूचीबद्ध सात अन्य गलियारों को बाद में लिया जाना चाहिए।”
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