BJD में टूट की आहट! ओडिशा के सीनियर नेता अमर सतपथी ने दिए बड़े राजनीतिक बदलाव के संकेत
बीजेडी नेता अमर प्रसाद सतपथी ने एक नई बीजेडी के गठन का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि केवल सच्चे कार्यकर्ता ही इस पार्टी को आकार देंगे। उनकी यह टिप्पणी बीजेडी सदस्यों के बीच बढ़ती असंतुष्टि के बीच आई है क्योंकि उन्हें लगता है कि नेतृत्व अपनी विचारधारा से भटक रहा है।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। बीजेडी (बीजू जनता दल) के वरिष्ठ नेता अमर प्रसाद सतपथी ने बुधवार को संकेत दिया कि एक नई बीजेडी का गठन हो सकता है।उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सिर्फ सच्चे बीजेडी कार्यकर्ता और समर्थक ही इस नई पार्टी को आकार देंगे।
अमर सतपथी की यह टिप्पणी उस बढ़ती असंतुष्टि के बीच आई है, जिसमें कई बीजेडी सदस्य महसूस कर रहे हैं कि वर्तमान नेतृत्व अपनी मूल विचारधारा से भटक रहा है और जमीनी कार्यकर्ताओं से दूरी बना रहा है।
वरिष्ठ नेता ने चिंता जताई कि मौजूदा बीजेडी अब न तो जनता से जुड़ी है और न ही पार्टी कार्यकर्ताओं से।उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पार्टी अपनी स्थापना के सिद्धांतों और नीतियों से भटकती रही, तो आने वाले दिनों में और भी नेता और कार्यकर्ता पार्टी छोड़ सकते हैं।
जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि बीजेडी का "एकनाथ शिंदे" कौन होगा? यानी पार्टी में संभावित विद्रोह का नेतृत्व कौन करेगा, तो अमर सतपथी ने रहस्यमयी अंदाज में जवाब दिया, “कौन कह सकता है कि वह व्यक्ति अभी गोप में उभर रहा है या पहले ही मथुरा पहुंच चुका है?”
उनका यह बयान पूर्व सांसद ताथागत सतपथी की कल की सूक्ष्म टिप्पणी को और वजन देता है, जिसे अब अमर ने खुले तौर पर समर्थन दिया है।
क्या कहते हैं राजनीतिक संकेत?
राजनीतिक संकेत साफ हैं कि पार्टी की मौजूदा दिशा से असंतुष्ट नेताओं के नेतृत्व में जल्द ही एक समानांतर बीजेडी आंदोलन खड़ा हो सकता है।अमर सतपथी ने कहा कि अगर पार्टी (बीजेडी) सिद्धांतों और नीतियों पर नहीं चलेगी, तो ओडिशा की जनता धीरे-धीरे हमसे दूर होती जाएगी।
कल जो घटनाएं हुईं पूर्व राज्यसभा सांसद एन. भास्कर राव और लाल बिहारी हिमिरिका का पार्टी छोड़ना, यह केवल रायगढ़ा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य की स्थिति को दर्शाता है।
पूर्व सांसद ताथागत सतपथी ने भी कल अपने एक्स (एक्स) हैंडल पर लिखा था कि ओडिशा की बीजू जनता दल (बीजेडी) ने कल के उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान न करने का फैसला करके अपनी बची-खुची राजनीतिक अस्तित्व को भी खो दिया है।
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