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    रायगढ़ा में बीजेडी को बड़ा झटका! पूर्व सांसद और मंत्री ने छोड़ी पार्टी, किया नए संगठन का एलान

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 07:20 PM (IST)

    रायगढ़ा में पूर्व राज्यसभा सांसद एन. भास्कर राव और पूर्व मंत्री लाल बिहारी हिमिरिका ने बीजेडी से इस्तीफा दे दिया है जिससे पार्टी में खलबली मच गई है। दोनों नेताओं के साथ कई कार्यकर्ताओं ने भी पार्टी छोड़ दी है। इसके साथ ही बीजू स्वाभिमान मंच का गठन किया गया है। यह फैसला भास्कर राव के आवास पर हुई एक बैठक में लिया गया।

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    पूर्व राज्यसभा सांसद एन. भास्कर राव और पूर्व मंत्री लाल बिहारी हिमिरिका।

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। बीजेडी में एक बार फिर से खलबली मच गई है। रायगढ़ा के प्रभावशाली नेता एवं पूर्व राज्यसभा सांसद एन. भास्कर राव और पूर्व मंत्री लाल बिहारी हिमिरिका ने बीजेडी से इस्तीफा दे दिया है।

    दोनों के साथ पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ताओं ने भी बीजेडी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही ‘बीजू स्वाभिमान मंच’ का गठन हुआ।

    नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा के बाद पंचायत प्रतिनिधि, पार्षद और वरिष्ठ नेताओं ने भास्कर राव के आवास पर बैठक कर यह निर्णय लिया।

    कुछ दिनों से ही चर्चा थी कि भास्कर राव गुट जल्द कोई बड़ा फैसला लेगा। इस चर्चा को और बल तब मिला जब कल उस स्थान पर, जहां “बीजेडी कार्यालय” लिखा था, सफेद रंग से पुताई कर दी गई।

    वर्ष 2024 के चुनाव के दौरान भास्कर राव को जिला अध्यक्ष घोषित करने के बाद इस कार्यालय का उद्घाटन हुआ था। लगभग एक दशक से भास्कर राव और सुधीर दास गुट के बीच विवाद चल रहा है।

    राज्य संगठन द्वारा बार-बार भास्कर राव गुट की अनदेखी और उनके खिलाफ फैसले लेने से जिला बीजेडी में विवाद गहराता गया।

    सुधीर दास गुट का भास्कर राव के खिलाफ लगातार सक्रिय रहना और राज्य संगठन द्वारा उनकी अनदेखी की घटनाओं ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि पहले 2019 में रायगढ़ा विधानसभा और कोरापुट लोकसभा क्षेत्र बीजेडी के हाथ से निकल गए।

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    इसके बाद 2024 के चुनाव में बीजेडी पूरी तरह साफ हो गई। 2024 के चुनाव में राज्य संगठन ने भास्कर राव से कोई गंभीर बातचीत किए बिना तीन विधानसभा सीटों के लिए टिकट दिया।

    रायगढ़ा सीट को लेकर विवाद बहुत उग्र हुआ। उस समय भास्कर राव गुट के वरिष्ठ नेताओं ने अपने पदों से इस्तीफा भी दे दिया था।

    अब अध्यक्ष के रूप में जगन्नाथ सारका का नाम घोषित होने के बाद भास्कर गुट के नेताओं के सामूहिक इस्तीफे की चर्चाएं राजनीतिक हलकों में जोर पकड़ चुकी थीं, जो आखिरकार सच साबित हुईं।