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    Jagannath Darshan: पुरी जगन्नाथ मंदिर में महाप्रभु के दर्शन बंद, अंदर चल रही है ये खास प्रक्रिया

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 11:09 AM (IST)

    पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में अस्थायी रत्नभंडार से महाप्रभु जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा जी के अनमोल रत्न आभूषणों को मूल रत्नभंडार में स्थानांतरित किया जा रहा है। सुरक्षा कारणों से दर्शन अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं और मंदिर परिसर में भक्तों का प्रवेश निषिद्ध है। जस्टिस विश्वनाथ रथ के नेतृत्व में 11 सदस्यों का दल इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है।

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    पुरी जगन्नाथ मंदिर में महाप्रभु के दर्शन बंद। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर में आज सुबह से एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया शुरू हुई।अस्थायी रत्नभंडार में सुरक्षित रखे गए महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी के अनमोल रत्न आभूषणों को आज मूल रत्नभंडार में स्थानांतरित किया जा रहा है। इस कारण मंदिर प्रशासन ने आज पूर्वाह्न 10 बजे से दर्शन व्यवस्था अस्थायी रूप से बंद कर दी।

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    भक्तों की आवाजाही पर रोक

    रत्न स्थानांतरण प्रक्रिया के चलते मंदिर के मुख्य गर्भगृह और झूलन मंडप में भक्तों का प्रवेश पूरी तरह से निषिद्ध कर दिया गया है। इसके अलावा मंदिर परिक्रमा पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।ये सभी प्रतिबंध तब तक जारी रहेंगे जब तक आभूषण सुरक्षित रूप से रत्नभंडार में स्थानांतरित नहीं हो जाते।

    प्रशासनिक टीम की तैनाती

    मंदिर प्रशासन की ओर से गठित विशेष दल में जस्टिस विश्वनाथ रथ के नेतृत्व में 11 सदस्य शामिल किए गए हैं।यह दल कड़ी सुरक्षा और परंपरागत नियमों के तहत आभूषणों को रत्नभंडार तक ले जाने और सुरक्षित रखने की पूरी जिम्मेदारी निभा रहा है। इस दौरान मंदिर परिसर में अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था भी की गई है ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

    गौरतलब है कि 2024 की गुंडिचा यात्रा और 14 जुलाई को रत्नभंडार खोले जाने के बाद सबसे पहले बाहरी रत्नभंडार के आभूषणों को अस्थाई गृह स्थानांतरित किया गया था।

    इसके बाद जिला कोषागार से आई चाबी से भीतरी रत्नभंडार का ताला न खुलने पर 18 जुलाई को मजबूरी में ताला तोड़ा गया। ताला टूटने के बाद वहां से आभूषणों को मात्र दस फुट दूर स्थित खटशेइ घर में सुरक्षित रखा गया था।

    एएसआई का संरक्षण कार्य

    भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने रत्नभंडार के संरक्षण और मरम्मत का काम 17 दिसंबर 2024 से शुरू किया था। लगभग सात महीने तक चले इस कार्य को इस वर्ष 7 जुलाई को पूरा किया गया। काम पूरा होने के बाद अब आभूषणों को फिर से मूल रत्नभंडार में स्थापित करने की प्रक्रिया चलाई जा रही है।

    आगे की व्यवस्था

    प्रशासन का कहना है कि जैसे ही रत्न आभूषणों का स्थानांतरण कार्य संपन्न होगा, वैसे ही मंदिर में महाप्रभु के दर्शन पुनः सामान्य रूप से शुरू हो जाएंगे।तब तक भक्तों से धैर्य रखने और नियमों का पालन करने की अपील की गई है।

    यह पूरा आयोजन परंपरा, सुरक्षा और श्रद्धा तीनों पहलुओं को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, ताकि अनमोल धरोहर रत्नभंडार में यथावत सुरक्षित रह सके और भक्त जल्द से जल्द महाप्रभु का दर्शन कर सकें।

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