पांच महीने बीते, छात्रों को अभी भी स्कूल यूनिफॉर्म का इंतजार, सरकारी दावों की खुली पोल
झारसुगुड़ा में शैक्षणिक सत्र शुरू होने के पांच महीने बाद भी छात्रों को स्कूल यूनिफॉर्म नहीं मिली है। कई छात्र पुरानी या दो साल पहले की यूनिफॉर्म पहन रहे हैं। जिला शिक्षा विभाग ने टेंडर होने की बात कही है लेकिन वितरण में देरी हो रही है। सरकार की मुफ्त कपड़े योजना में सरकार बदलने के कारण देरी हुई है।

संवाद सहयोगी, झारसुगुड़ा। चालू शैक्षणिक वर्ष शुरू हुए पांच महीने बीत चुके हैं। कुछ दिन बाद छात्र मध्यावधि परीक्षाएं भी देंगे। लेकिन बच्चों को अभी तक स्कूल यूनिफॉर्म नहीं मिली है। कुछ ही छात्र स्कूल यूनिफॉर्म पहने हुए हैं, कुछ पिछले साल की यूनिफॉर्म पहने हुए हैं, तो कुछ दो साल पुराने कपड़े पहने हुए हैं।
सबसे अहम बात यह है कि बच्चों से लेकर स्कूल प्रशासन तक, सभी ने जिला शिक्षा विभाग से संपर्क किया है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस बारे में पूछे जाने पर जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. राधाकांत गड़तिया ने कहा कि टेंडर हो चुका है और जल्द ही वर्क ऑर्डर दे दिया जाएगा और इस महीने के अंत तक कपड़ों का वितरण शुरू हो जाएगा।
सरकार ने स्कूली छात्रों को मुफ्त कपड़े उपलब्ध कराने की योजना बनाई है, जबकि छात्रों को साल की शुरुआत से ही पोशाक दे दी जाती हैं। पिछले साल राज्य में सरकार बदल गई। मुख्यमंत्री छात्र ड्रेस कोड योजना में हाई स्कूल के छात्रों की यूनिफॉर्म का रंग बदल दिया गया है।
यह सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों पर लागू होगा। सरकार ने पिछले वर्ष चुनाव, सरकार परिवर्तन आदि को देखते हुए विद्यार्थियों को पोशाक वितरण की घोषणा की थी। वहीं सरकार परिवर्तन के कारण देरी तो हुई, लेकिन इस साल बच्चों को कपड़े देने में बहुत देरी के आरोप लगे हैं, जबकि ऐसी कोई छुट्टी नहीं थी।
झारसुगुड़ा शहर में म्युनिसिपल हाई स्कूल एकताली में 129 छात्र पढ़ते हैं। इस साल इस स्कूल के छात्रों को भी यूनिफॉर्म नहीं मिली है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि कक्षा 10 के छात्रों ने पिछले साल दी गई यूनिफॉर्म नहीं पहनी, बल्कि कक्षा 9 में पढ़ने वाले छात्र कक्षा 8 की नीली और सफेद वर्दी पहने हुए थे, जबकि कक्षा 10 के कुछ छात्र पिछली सरकार द्वारा दी गई हरी वर्दी पहनकर स्कूल आते दिखे।
हाई स्कूल में पढ़ने के बावजूद, कुछ छात्र अपने एमई स्कूल के हाफ पैंट में भी स्कूल आ रहे हैं। स्कूल के अधिकारी इसका विरोध नहीं कर सकते। हालांकि, यह सिर्फ एक स्कूल का उदाहरण है, लेकिन ऐसी ही स्थिति जिले भर के सरकारी हाई स्कूलों में देखी जा रही है।
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