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    Odisha: पहले 5 किमी. कंधे पर मरीज को लाद ले गए अस्‍पताल, मौत के बाद फिर इसी तरह शव लाए घर

    By Jagran NewsEdited By: Babita Kashyap
    Updated: Wed, 16 Nov 2022 10:26 AM (IST)

    Odisha ओडिशा के कंधमाल में एक बार फिर दुखद तस्‍वीर सामने आयी है। खराब सड़क के कारण मरीज को कंधे पर लादकर 5 किमी. दूर अस्‍पताल पहुंचाया गया और उसकी मौत के बाद फिर 5 किमी. तक उसके शव को ढो कर घर तक लाया गया ।

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    कंधमाल जिले में संचार और सड़क की गंभीर समस्या से एक दुखद तस्वीर सामने आई है।

    भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। आदिवासी बहुल कंधमाल जिले में संचार और सड़क की गंभीर समस्या से एक दुखद तस्वीर सामने आई है। सड़क खराब होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी और ग्रामीणों ने एक मरीज को कंधे पर लादकर 5 किमी. तक ढोया।

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    इतना ही नहीं उक्त मरीज की आज जब मौत हो गई तो भी शव को कंधे पर लादकर गांव लाया गया। यह दुर्लभ घटना कंधमाल जिले के फुलवाणी प्रखंड के तुड़ीपाजू पंचायत के ताड़पंगा गांव में देखने को मिली है।

    खबर के मुताबिक यह गांव सदर महकमा फुलवाणी से केवल 10 किमी. दूर है, लेकिन गांव में अच्छी सड़क नहीं है। देवेश्वर कहंर नाम के 70 वर्षीय व्यक्ति सोमवार को अचानक बीमार पड़ गए। ग्रामीणों ने एंबुलेंस बुलाई। एंबुलेंस आई लेकिन सड़क खराब होने के कारण गांव नहीं पहुंच सकी।

    सड़क खराब होने के कारण नहीं पहुंच पायी शव वाहक गाड़ी

    नतीजतन, परिवार के सदस्य और ग्रामीणों ने मिलकर ताडपंगा गांव से गुमी, सुदुबली और मिणियाकाठी गांव होते हुए डकांगी तक देवेश्वर को अपने कंधों पर लादकर ले आए। यहां से उन्हें एंबुलेंस के जरिए फुलवाणी जिला मुख्य अस्पताल लाया गया। लेकिन देवेश्वर का आज निधन हो गया।

    अस्पताल से शव यात्रा वाहक गाड़ी से शव लाने के बाद यह गाड़ी रास्ता खराब होने के कारण डकांगी गांव के पास रूक गई। इसके बाद गांव वालों ने पुन: देवेश्वर के शव को कंधे पर रखकर गांव तक लाए जो अत्यन्त ही पीड़ादायक था।

    जिला प्रशासन की क्षमता पर सवाल

    सदरमहकमा से महज 10 किमी दूर रहने वाले गांव की इस तरह दुर्दशा ने जिला प्रशासन की क्षमता पर सवाल खड़ा कर दिया है। ग्रामीण बार-बार पक्की सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि प्रशासन उनकी बात नहीं सुन रहा है। सिर्फ एक गांव ही नहीं, जिले में 500 से ज्यादा ऐसे गांव और टोले हैं, जहां पक्की सड़कें नहीं हैं। नतीजतन ग्रामीण अभी भी एंबुलेंस सेवा से वंचित हैं।

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