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थर्रा गई धरती, कांप उठा आसमान जब भारत ने किया अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण, 8000 किलोमीटर तक साध सकती है निशाना

अग्नि 5 जब-जब पीछे नारंगी रंग का धुआं छोड़ते हुए और आसमान को चीरते हुए आगे बढ़ती है तो इसे देखते ही भारतीयों का सीना चौड़ा हो जाता है। लोग मौजूदा शासन व्‍यवस्‍था में शामिल पदाधिकारियों और रक्षा विभाग का आभार व्‍यक्‍त करते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenPublished: Tue, 20 Dec 2022 09:05 AM (IST)Updated: Tue, 20 Dec 2022 09:05 AM (IST)
थर्रा गई धरती, कांप उठा आसमान जब भारत ने किया अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण, 8000 किलोमीटर तक साध सकती है निशाना
भारत ने अग्नि 5 मिसाइल का किया सफल परीक्षण

लावा पांडे, बालेश्वर। 15 दिसंबर का दिन था, शाम के 5:30 बजे थे, सूरज ढल चुका था, लेकिन अचानक मानो एक दूसरा सूरज उदय हुआ | इसके पहले कि लोग कुछ समझ पाते मानो धरती थर्रा गई थी और आसमान कांपने लगा था क्योंकि भारतीय डीआरडीओ ने भारत का ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाला भारत की सबसे दूरी प्रहार करने वाला मिसाइल अग्नि-5 को हवा में उड़ाया था। उल्टी गिनती समाप्त हुई 5:40 पर अग्नि 5 अपने पीछे नारंगी रंग का धुआं छोड़ते हुए एक आग के गोले के रूप में आगे बढ़ने लगा था। जोरदार आवाज के साथ यह बैलेस्टिक मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल हवा से बातें करने लगा था। कुछ लोगों ने अपने मोबाइल फोन से तस्वीरें भी खींची तो कुछ लोग वीडियो भी बनाने लगे थे।

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भारत कई बार कर चुका है अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण

हालांकि, यह कोई पहला मौका नहीं था जब भारत ने अग्नि-5 का परीक्षण किया था। इसके पहले भी सुबह हो या शाम या फिर हो रात भारत अग्नि 5 मिसाइल का कई-कई बार परीक्षण कर चुका है। अग्नि-5 20 मिनट के अंतराल में 5000 किलोमीटर तक प्रहार करने की ताकत रखती है, वहीं एक टन वजन तक विस्फोटक ढोने की क्षमता रखती है।

अग्नि-5 ने उड़ाई चीन की चैन की नींद

बंगाल की खाड़ी के तट से उड़ाई गई यह मिसाइल ऊपर हवा को चीरता हुआ हिंद महासागर में अपने लक्ष्य को ध्वस्त करने में कामयाब हुआ। अग्नि-5 की मारक क्षमता को लेकर समय-समय पर पड़ोसी देश चीन सवाल खड़ा करता रहा है। चीन कहता रहा है कि अग्नि-5 की मारक क्षमता 5000 किलोमीटर के बजाय 8000 किलोमीटर है।

अग्नि-5 को हवा से बातें करता देख चौड़ा हुआ भारतीयों का सीना

चाहे कोई भी देश कुछ भी कहे, लेकिन जब भी भारत या भारत का डीआरडीओ चाहे चांदीपुर परीक्षण रेंज से हो या फिर अब्दुल कलाम द्वीप परीक्षण स्थल से जब भी मिसाइलों को हवा में उड़ाया जाता है इसे नंगी आंखों से देखने पर भारतीय नागरिकों का सीना चौड़ा हो जाता है क्योंकि मिसाइलों को उड़ते वक्त केवल दो ही मौके पर देखा जा सकता है या युद्ध के समय या फिर परीक्षण के समय।

मिसाइलें ही करेंगी युद्ध का फैसला

परीक्षण के समय जब भी मिसाइल हवा में उड़ती है तो लोग भारत के शासन अध्यक्ष का और भारत के रक्षा विभाग का आभार व्यक्त करते हैं क्योंकि आम जनता से लेकर सभी यह जानते हैं कि आने वाले दिनों में मिसाइलें ही करेंगी युद्ध का फैसला। मिसाइलों से ही आने वाला कोई भी युद्ध जीता जा सकता है। आज मिसाइलों के क्षेत्र में भारत पूरे विश्व में अपने आप को लोहा साबित कर चुका है तथा आत्मनिर्भर हो चुका है।

आत्‍मनिर्भर बनने की राह पर चला भारत

मिसाइलों के टेक्नोलॉजी के लिए भारत को अब विश्व के किसी भी देश पर निर्भर नहीं रहना पड़ रहा है, चाहे अग्नि एक हो या फिर अग्नि-5 या किसी भी बैलेस्टिक सीरीज की या फिर क्रूज सीरीज की मिसाइलें हो, भारत सारे मिसाइलों को स्वदेशी ज्ञान कौशल से बनाने में लगा है।

समय की मांग और वक्त की आवाज है कि आने वाले दिनों में भारत अग्नि-5 से भी ज्यादा दूरी तक प्रहार करने वाले मिसाइल का परीक्षण करेगा और नए टेक्नोलॉजी के साथ, नए ज्ञान कौशल के साथ उसे तैयार करेगा। अग्नि-5 जब भी हवा में उड़ती है तो मानो थर्रा जाती है धरती और कांप उठता है आसमान। 

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