अमेरिका में मोदी को लेकर दीवानगी चरम पर, लगे मोदी-मोदी के नारे
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका की धरती पर कदम रखने के साथ ही उनके प्रति दीवानगी चरम पर जा पहुंची है। प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को एयर इंडिया के बोइंग विमान से फ्रैंकफर्ट होते हुए न्यूयॉर्क के जॉन एफ. कैनेडी हवाई अड्डे पर पहुंचे।
न्यूयॉर्क। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका की धरती पर कदम रखने के साथ ही उनके प्रति दीवानगी चरम पर जा पहुंची है। प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को एयर इंडिया के बोइंग विमान से फ्रैंकफर्ट होते हुए न्यूयॉर्क के जॉन एफ. कैनेडी हवाई अड्डे पर पहुंचे। वहां से न्यूयॉर्क पैलेस होटल पहुंचते ही बड़ी संख्या में मौजूद उनके समर्थकों ने मोदी-मोदी के साथ ही हर-हर मोदी के भी नारे लगाए। पीएम ने भी हाथ हिलाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया। मोदी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में अमेरिका को भारत का स्वाभाविक वैश्विक साझीदार बताया।
अगले दो दिनों तक न्यूयॉर्क में उनके कई कार्यक्रम हैं। लोगों की सबसे अधिक निगाहें मैडिसन स्क्वायर गार्डेन (एमएसजी) पर रविवार को होनेवाली उनकी सभा पर हैं। इस सभा में शामिल होने के लिए लोग किसी सीमा तक जाने को तैयार हैं। आलम ये है कि जिन लोगों को सभा का टिकट नहीं मिल सका है, वे लोग स्वयंसेवक बनने के लिए जुगाड़ भिड़ा रहे हैं। इस कार्यक्रम में अमेरिका के 48 राज्यों के अलावा कनाडा से भी भारतीय समुदाय के लोग मौजूद रहेंगे। जो लोग इस सभा में शामिल नहीं हो सकेंगे, उनके लिए टाइम्स स्क्वायर सहित देश में 50 जगहों पर सीधे प्रसारण की व्यवस्था की जाएगी। इस मौके पर 16,000 आम लोगों और 2,600 वीआइपी अतिथियों के सामने मोदी के भाषण के लिए 360 डिग्री घूमने वाला प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा।
इस कार्यक्रम के आयोजक इंडियन अमेरिकन कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष भरत बरई के मुताबिक मोदी की सभ के सभी टिकट हफ्तों पहले बिक चुके हैं। इसके बावजूद टिकट के लिए प्रतिदिन सैकड़ों पत्र, ईमेल और फोन कॉल आ रहे हैं। मैरिलैंड निवासी डॉ. शंभु एन. बानिक 80 के दशक से इंदिरा गांधी, नरसिंह राव और अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान समारोहों से सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं। उनका कहना है कि मैंने भी अपनी जिंदगी में किसी दूसरे भारतीय नेता के प्रति ऐसी दीवानगी नहीं देखी है। मोदी की लोकप्रियता किसी रॉकस्टार जैसी हो गई है।
मोदी जब सभा को संबोधित करेंगे तो यह अमेरिकी इतिहास में पहला मौका होगा, जब किसी विदेशी शासनाध्यक्ष के सामने मैडिसन स्क्वायर गार्डेन खचाखच भरा हुआ रहेगा। आमतौर पर यहां किसी रॉकस्टार या खिलाड़ी का ही कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
इस बाबत अटलांटा में रहने वाली सॉफ्टवेयर इंजीनियर पलक जैन का कहना है, 'जब यहां स्वामी विवेकानंद आए थे, तो मैं नहीं थी। मैंने सरदार पटेल को भी नहीं देखा है। अब मैं अपने समय के भारत के महान नेताओं में शुमार नरेंद्र मोदी को देखने या उनका भाषण सुनने का मौका हाथ से गंवाना नहीं चाहती।'
अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की कुल आबादी लगभग 30 लाख है। यह कुल आबादी का लगभग एक फीसद और सबसे तेजी से बढ़ रहे समुदाय में शामिल है।
बतौर प्रधानमंत्री यह मोदी की पहली अमेरिका यात्रा है। इससे पहले वे दो बार अमेरिका जा चुके हैं, लेकिन 2005 में गुजरात का मुख्यमंत्री होने के बावजूद अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद उनके वीजा के सवाल पर अमेरिका की ओर से बार-बार यही कहा गया कि पहले वह इसके लिए आवेदन करें। लोकसभा चुनाव के पहले मोदी की जीत की संभावना को देखते हुए अमेरिका ने रिश्ते सुधारने की कोशिश शुरू कर दी थी।
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