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    नेपाल में फिर भूकंप के झटके, मृतकों की संख्‍या 4000 के पार

    By Sudhir JhaEdited By:
    Updated: Tue, 28 Apr 2015 09:59 AM (IST)

    मंगलवार की सुबह फिर नेपाल भूकंप के झटकों से थर्रा गया। सुबह 5 बजकर 5 मिनट पर फिर भूकंप के झटकों ने नेपाल को हिला दिया। आंखें जिस ओर उठती हैं, सिर्फ तब ...और पढ़ें

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    काठमांडू। मंगलवार की सुबह फिर नेपाल भूकंप के झटकों से थर्रा गया। सुबह 5 बजकर 5 मिनट पर फिर भूकंप के झटकों ने नेपाल को हिला दिया। इस बीच आंखें जिस ओर उठती हैं, सिर्फ तबाही के निशान नजर आते हैं। रिक्टर पैमाने पर 7.9 की तीव्रता का भूकंप आने के तीन दिन बाद काठमांडू मलबों का शहर दिखाई दे रहा है।

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    भूकंप से धराशायी नेपाल की अर्थव्यवस्था

    हालात ये है कि डरे-सहमे लाखों लोग अपने घर लौटने को तैयार नहीं हैं। सोमवार शाम तक मरने वालों की तादाद 4,000 को पार कर चुकी है। आठ हजार से ज्यादा लोग घायल हैं और सैकड़ों लोगों का कहीं कोई अता-पता नहीं है। 13 भारतीयों के भी मारे जाने की खबर है। इनमें असम के सात पर्यटक और तेलुगु फिल्मों के 21 वर्षीय कोरियोग्राफर विजय भी शामिल हैं।

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    दोबारा भूकंप आने के डर से लाखों लोग सड़कों पर और पार्कों में समय बिता रहे हैं। कंपकंपाती ठंड के बावजूद वे रात के वक्त भी घर लौटने को तैयार नहीं हैं। विनाशकारी भूकंप के बाद लगातार झटके आने से खौफ और बढ़ गया है। सोमवार को भी सुबह और शाम के वक्त 5.1 तीव्रता के दो झटके आए। इससे लोगों में दहशत फैल गई। बाद में पता चला कि इसका केंद्र पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग स्थित मिरिक में था।

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    पार्कों में ले रहे पनाह

    काठमांडू का हर पार्क इस समय लोगों से भरा हुआ है। कोई भी जगह खाली नहीं है। आर्मी परेड ग्राउंड में 1,200 टेंट लगाए गए हैं। इनमें 24,000 महिला, पुरुष और बच्चे रह रहे हैं। इसके साथ ही कई तरह के अभाव से जूझते लोगों में नाराजगी भी बढ़ रही है। भोजन और पानी के लिए मारामारी हो रही है। बिजली नदारद है, तो जरूरी दवाओं का घोर अभाव हो गया है। व्यवस्था बहाल करने में प्रशासनिक अधिकारी जी-जान से लगे हुए हैं।

    हताहतों की बढ़ेगी संख्या

    भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर पांच हजार होने की आशंका जताई गई है। सुदूर ग्रामीण इलाकों में अभी राहत कर्मी नहीं पहुंचे हैं। वहां पर मलबा हटाने का काम भी शुरू नहीं हुआ है। राहत एजेंसी वल्र्ड विजन के प्रवक्ता मैट डैरवस के मुताबिक, यहां के गांवों में समय-समय पर भूस्खलन होता रहता है। आश्चर्य नहीं कि दो सौ, तीन सौ या हजार लोगों की आबादी वाले कई गांव पूरी तरह खत्म हो गए होंगे।

    जिंदगी बचाने की जंग तेज

    अब मलबों के ढेर से जिंदगी खोजने और उन्हें बचाने की जंग तेज हो गई है। भूकंप के झटके थमने और बारिश खत्म होने बाद भारत समेत अन्य देशों के बचाव कर्मी खोजी कुत्तों, उन्नत साजो-सामान और तकनीक के जरिये लापता लोगों को खोजने में लगे हुए हैं। नेपाल के मुख्य सचिव लीलामणि पौडेल ने कहा कि नेपाल इस संकट से निकलने में विदेशी मदद के लिए वाकई बेचैन है। मारे गए लोगों के सामूहिक अंतिम संस्कारों का सिलसिला जारी है।

    5,400 भारतीय निकाले गए

    भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बताया कि अब तक 5,400 से अधिक भारतीयों को नेपाल से सुरक्षित निकाल लिया गया है। इनमें 30 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। इस बीच, भारत सरकार ने राष्ट्रीय आपदा हेल्पलाइन नंबर 1078 जारी किया है। कोई भी व्यक्ति 011-1078 डायल कर नेपाल में चल रहे राहत अभियान या वहां फंसे अपने परिजनों के बारे में पूछताछ कर सकता है।

    सौरपानी में एक घर नहीं बचा

    सौरपानी। हिमालय की गोद में बसा एक छोटा सा गांव है सौरपानी। गोरखा जिले का यह गांव ग्रीन वैली जैसा नजर आता है। राजधानी काठमांडू से महज 80 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में बसा हुआ। नेपाल को बर्बादी की कगार पर ला खड़ा करने वाले भूकंप का केंद्रबिंदु यहीं पर था। शनिवार दोपहर तक गांव में 1,300 घर थे। अब एक भी नहीं है। सेना से रिटायर शंकर थापा बताते हैं कि कितने लोग मारे गए या गायब हुए हैं, कुछ नहीं पता।

    11 लाशों के लिए एक अर्थी

    सोमवार को अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार करने सौरपानी के लोग एक अर्थी पर 11 लाशों को लेकर दरौदी नदी के तट पर पहुंचे। पास ही निर्माण कार्य में जुटे कुछ मजदूरों ने गड्ढे खोद दिए। नौ लाशों को दफनादिया गया। दो लोगों ने दफनाने से इंकार किया। वे ङ्क्षहदू रिवाज से अंतिम संस्कार करना चाहते थे। उनके लिए जंगल से लकड़ी लाकर चिता बनाई गई। शंकर थापा इशारा करते हैं, 'इसने अपनी मां, इसने अपने पिता और इसने अपनी बहन को तुरंत विदाई दी है।'

    भारी बारिश की चेतावनी

    मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि अगले 24 घंटे में नेपाल में भारी बारिश हो सकती है। साथ ही कहा गया है कि 30 अप्रैल को भी भारी बारिश हो सकती है। भूकंप के बाद नेपाल में राहत बचाव कार्य जोरों पर चल रहा है। मौसम राहत कार्यों में बाधा डाल सकता है।

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