चीन का लियोनिंग अभ्यास महज बहाना, अमेरिका-ताइवान हैं असली निशाना
दक्षिण चीन सागर में लियोनिंग सैन्य अभ्यास को रूटीन एक्सरसाइज बता रहा है। लेकिन जानकार उसे अमेरिका और ताइवान को सीधी चुनौती के रूप में देख रहे हैं।
बीजिंग(एएफपी)। चीन और अमेरिका के रिश्तों में सहजता बहुत ही कम देखने को मिलती रही है। ताइवान के मुद्दे पर दोनों देश एक दूसरे के आमने-सामने आ सकते हैं। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने ताइवान के राष्ट्रपति के फोन का जवाब देकर ये साफ कर दिया है कि अब वो चीन के साथ आर पार की लड़ाई लड़ेगा। दरअसल पिछले चार दशक में ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका तटस्थ रुख अपनाता रहा है।
सैन्य अभ्यास बहाना, निशाने पर अमेरिका
चीन ने भी दक्षिण चीन सागर में अपने एकलौते एयरक्रॉफ्ट करियर लियोनिंग को उतार कर ये साफ कर दिया है कि वो अमेरिका के सामने नहीं झुकेगा। चीन के जानकारों का कहना है कि ये महज एक सैन्य अभ्यास है, इसका कोई राजनीतिक माएने नहीं है। लेकिन दूसरे जानकारों का कहना है कि इस अभ्यास के जरिए चीन ये संदेश देना चाहता है कि अगर उसके पड़ोसी देशों के साथ कोई आत्मीयता का भाव रखेगा तो वो शांत नहीं बैठेगा। इसके अलावा अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के समय वो नए प्रशासन को संदेश दे रहा है कि ताइवान के मुद्दे पर किसी तरह का रणनीतिक या कूटनीतिक पहल न करे।
दक्षिण चीन सागर में चीन के लियोनिंग अभ्यास से बिफरे जापान-ताइवान
ताइवान पर चीन की बुरी नजर
1949 के सिविल वार के समय चीन से ताइवान अलग हो गया था। लेकिन चीन उसे अपना अविभाज्य अंग मानता है। चीन हमेशा इस कोशिश में रहता है कि ताइवान उसका हिस्सा बन जाए भले ही उसे सैन्य शक्ति का इस्तेमाल करना पड़े। सोमवार को दक्षिण चीन सागर में लियोनिंग अभ्यास की पुष्टि ताइवान ने की थी। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने चीन के सैन्य अभ्यास को उकसाने वाला करार दिया था।
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दक्षिण चीन सागर पर फतह की तैयारी
जानकारों का कहना है कि चीन की तुलना में सैन्य शक्ति पर अमेरिका ज्यादा खर्च करता है। लेकिन चीन अपनी सैन्य क्षमता के बेहतर प्रदर्शन से ये साबित करना चाहता है कि वो सुपर पावर देशों से किसी भी मामले में कम नहीं है। चीन को डर है कि पदभार संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप दक्षिण एशिया और पूर्व एशिया में आक्रामक कूटनीति पर काम करेंगे जिससे दक्षिण चीन सागर के किनारे स्थित देश अमेरिका के पाले में जा सकते हैं। ब्रूनेई, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम पहले ही चीन की तरफ से मिल रही चुनौती के बारे में अपनी चिंता जता चुके हैं। ऐसे में आने वाले समय में दक्षिण चीन सागर लड़ाई के अखाड़े में तब्दील हो सकता है।
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