कोलेस्ट्रॉल बना रहा भुलक्कड़, गोरखपुर AIIMS का हैरान करने वाला शोध आया सामने
एम्स गोरखपुर के शोध में पाया गया कि उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर वाले व्यक्तियों में भूलने की समस्या अधिक होती है जिससे सोचने-समझने की शक्ति भी प्रभावित होती है। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों पर किए गए अध्ययन के बाद अब 40 से 60 वर्ष के आयु वर्ग पर शोध किया जाएगा। ICMR-मुद्रा टूल बॉक्स का उपयोग कर डिमेंशिया की जानकारी जुटाई जाएगी।

दुर्गेश त्रिपाठी, जागरण, गोरखपुर। बढ़ा कोलेस्ट्रॉल भुलक्कड़ बना रहा है। जिसके खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर जितना ज्यादा रहता है, उनमें भूलने की समस्या उतनी ही ज्यादा रहती है। यहां तक कि सोचने-समझने की शक्ति में भी गिरावट आती है। संवाद की स्थिति में व्यक्ति पुराने संदर्भों को जोड़कर अपनी बात नहीं रख पाता है।
यह निष्कर्ष निकला है एम्स गोरखपुर के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग की ओर से किए गए शोध में। 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के एक हजार से अधिक व्यक्तियों पर हुए शोध में सामने आया कि बड़ी संख्या में बुज़ुर्गों का कोलेस्ट्रॉल का स्तर निर्धारित मानक दो सौ से ज्यादा है। साथ ही कई अन्य कारण भी मिले।
इस कारण दिमागी कमजोरी मिली। शोध की गुणवत्ता और अच्छे परिणाम को देखते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने एम्स को 40 वर्ष से 60 वर्ष की आयु वालों पर भी शोध को कहा है। इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है।
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आइसीएमआर-मुद्रा टूल बाक्स का उपयोग
भूलने की स्थिति की जानकारी के लिए आइसीएमआर ने मुद्रा टूल बाक्स का उपयोग शुरू किया है। इसके माध्यम से लक्षित व्यक्ति से विभिन्न बिंदुओं पर सवाल किए जाते हैं। इसके आधार पर डिमेंशिया के बारे में जानकारी की जाती है।
शारीरिक सक्रियता की कमी भी खतरनाक
शोध में 80 प्रतिशत से अधिक लोगों में याददाश्त और समझ की क्षमता में गिरावट पाई गई। खासकर उन लोगों में जिनकी शारीरिक सक्रियता कम थी या जिन्हें पोषण संबंधी समस्या थी। दूसरे अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों में विटामिन डी और विटामिन बी12 की कमी थी, उनमें यह समस्या और ज्यादा पाई गई। जिनका कोलेस्ट्रॉल अधिक था या जो असंतुलित भोजन करते थे, उनकी मानसिक क्षमता भी कमजोर मिली।
40-60 वर्ष के लोगों पर हुआ शोध। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)
यह करना होगा
संतुलित आहार, धूप में समय बिताना, नियमित व्यायाम, तैलीय खाद्य पदार्थों खासकर एक ही तेल में कई बार जिनको तला जाता है, उनका इस्तेमाल न करना आदि।
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पांच दिन की कार्यशाला के माध्यम से सुधार करेंगे
एम्स गोरखपुर और आइसीएमआर के सहयोग से एक वर्षीय काग्निटी हार्मोनी कार्यक्रम की शुरुआत होने जा रही है। इसमें 40 से 60 वर्ष की उम्र के वयस्कों को केंद्र में रखा जाएगा। माना जाता है कि इस आयु वर्ग में भूलने की समस्या की शुरुआत होती है। ऐसे में समय रहते हस्तक्षेप कर मानसिक क्षय को रोका या धीमा किया जा सकता है। एक वर्ष तक हफ्ते में पांच दिन की कार्यशाला में योग, खेल, आहार परामर्श, नींद की जानकारी और संगीत-आधारित सत्र होंगे। इसे आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाएगा।
यह है उद्देश्य
काग्निटी हार्मोनी कार्यक्रम का उद्देश्य 40 से 60 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में याददाश्त और सोचने-समझने की शक्ति में गिरावट को समय रहते पहचानना और उसे रोकना है। इसमें योग अभ्यास, मानसिक खेल और गतिविधियां (जैसे कार्ड गेम, बोर्ड गेम), आहार परामर्श और विटामिन सप्लीमेंटेशन, नींद से संबंधित जागरूकता सत्र, संगीत आधारित ध्यान और शारीरिक गतिविधियां, धूमपान और नशा मुक्ति पर शिक्षा दी जाएगी।
10 आयुष्मान आरोग्य मंदिर शामिल
शोध के लिए 10 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को चुना गया है। यहां आने वाले 40 से 60 वर्ष की उम्र के लोगाें को तीन ग्रुप में बांटा जाएगा। पहले ग्रुप को सिर्फ जानकारी दी जाएगी, दूसरे को जागरूकता के लिए पुस्तक दी जाएगी और तीसरे ग्रुप को पांच दिन के विशेष सत्र में शामिल कराया जाएगा। इसके बाद रिपोर्ट बनाकर अध्ययन किया जाएगा।
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