Indus Water Treaty: सिंधु जल समझौते को लेकर पैदा हुआ मतभेद, विश्व बैंक के रुख पर भारत ने उठाया सवाल
जम्मू-कश्मीर की दो पनबिजली परियोजनाओं को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद की स्थिति बनी हुई है। विश्व बैंक इस समझौते में तीसरा पक्ष है। पिछले हफ्ते भारत ने इस मसले पर पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है।
नई दिल्ली, पीटीआई। Indus Water Treaty: सिंधु जल समझौते को लेकर पैदा हुए मतभेदों को दूर करने के लिए विश्व बैंक द्वारा दोहरे प्रयासों पर भारत ने सवाल उठाया है। भारत ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ उसके पैदा हुए मतभेदों पर निर्णय के लिए विश्व बैंक ने एक तरफ तो मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने का निर्णय लिया है, दूसरी तरफ मतभेदों के निपटाने के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञ की नियुक्ति भी की है।
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर की दो पनबिजली परियोजनाओं को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद की स्थिति बनी हुई है। विश्व बैंक इस समझौते में तीसरा पक्ष है। पिछले हफ्ते भारत ने इस मसले पर पाकिस्तान को नोटिस दिया है और 62 वर्ष पुराने जल प्रबंधन समझौते की समीक्षा करने के लिए कहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि वह नहीं समझते कि विश्व बैंक इस समझौते की व्याख्या करने में सक्षम है। यह हमारे दोनों देशों के बीच की संधि है।
भारत ने 25 जनवरी को जारी किया नोटिस
अरिंदम बागची ने कहा कि हमने पाकिस्तान को 1960 की सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए 25 जनवरी को नोटिस जारी किया है। मुझे पाकिस्तान या विश्व बैंक की ओर से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया की जानकारी नहीं मिली है। इसी बीच उन्होंने पाकिस्तान को आखिर नोटिस क्यों जारी किया गया, इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को यह नोटिस संधि के भौतिक उल्लंघन को सुधारने के लिए बातचीत का अवसर देने के उद्देश्य से जारी किया गया था।
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