पुरुषों ने हाथ खड़े किए तो महिलाओं ने बंजर जमीन पर ला दी हरियाली
झारखंड में हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड की ये महिलाएं नारी सशक्तीकरण की मिसाल हैं।
हजारीबाग (मिथिलेश पाठक)। कल तक चूल्हे-चौके और घर की दहलीज में बंधी महिलाओं ने कमर क्या कसी, हालात बदल गए। दुर्गा महिला मंडल की महिलाओं ने सामूहिक प्रयास से उस जमीन पर खेती शुरू की जिसे बंजर बता पुरुषों ने हाथ खड़े कर दिए थे। जमीन जोतकर उसमें नौ प्रजाति के 260 केले के पौधे लगाए। बड़े होकर इन पौधों ने न सिर्फ चारों ओर हरियाली बिखेर दी है, बल्कि महिलाओं की आर्थिक समृद्धि की राह भी खोल दी है। झारखंड में हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड की ये महिलाएं नारी सशक्तीकरण की मिसाल हैं।
कुछ दिनों पूर्व तक टाटीझरिया प्रखंड के खैरा गांव की महिलाओं की हालत राज्य और देश के दूसरे गांवों की महिलाओं जैसी ही थी। घर का कामकाज और खेती-बाड़ी में पुरुषों का कुछ सहयोग कर देना इनका काम था। फिर इन महिलाओं ने हालात बदलने की ठानी। मिलकर दुर्गा महिला मंडल का गठन किया। इन्हें खेती-बाड़ी के क्षेत्र में काम करने वाले सृजन फाउंडेशन का साथ मिला। तय हुआ कि महिलाएं अब खुद खेती करेंगी। केले का पौधा लगाने का निश्चय किया गया। अपनी ओर से तैयारी तो कर ली थी, लेकिन समस्या यह आई कि खेती करें कहां। पतियों ने जमीन देने से इन्कार करते हुए कहा कि यह तुम लोगों के बस की बात नहीं है।
खुद समिति इतनी सशक्त थी नहीं कि कहीं जमीन ले सके। बाद में गांव के एक किनारे बंजर जमीन पर इनकी नजर पड़ी। मेहनत के डर से पुरुष किसान इस पर खेती नहीं करते थे। आपसी सहयोग से जमा किए चंद पैसे में लीज पर महिलाओं को अच्छी खासी जमीन मिल गई। बस, कमर कस कर खेती शुरू कर दी। केले के पौधे लगाए जो अब फलने ही वाले हैं। खेत और मन दोनों में हरियाली है। दुर्गा महिला मंडल की सदस्य सोनम देवी कहती हैं कि अब हमारे गांव में दूसरे गांव की महिलाएं आ रही हैं। पूछती हैं दीदी कैसे किया सबकुछ। हमें भी बताइये। हमने तय किया है कि उन्हें पूरा सहयोग देंगे। कारवां बढ़ता जाएगा।
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