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    आखिर क्यों खतरनाक गोला-बारूद खरीदने जा रही सरकार? जानिए क्या है केंद्र की प्लानिंग और कैसे होगा इस्तेमाल

    Updated: Thu, 02 Jan 2025 11:40 PM (IST)

    केंद्र सरकार भारतीय सेना की वायु रक्षा क्षमता को मजबूत बनाने में जुट गई है। सरकार ने देश की कंपनियों से 23 मिमी गोला-बारूद के उत्पादन से जुड़ा ब्योरा मांगा है। हाल के युद्धों के विश्लेषण के बाद यह जानकारी सामने आई है कि वायु रक्षा प्लेटफॉर्म को तबाह करने में आत्मघाती ड्रोनों की भूमिका अहम रही है। अब सरकार इनके खिलाफ योजना बनाने में जुट गई है।

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। ( फाइल फोटो )

    पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय सेना की मौजूदा वायु रक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए सरकार ने भारतीय कंपनियों से 23 मिमी एंटी-ड्रोन गोला-बारूद के उत्पादन के लिए जानकारी (आरएफआई) मांगी है। यह गोला-बारूद ड्रोन नष्ट करने के लिए मौजूदा जू 23 मिमी और शिल्का वेपन सिस्टम में इस्तेमाल किए जाएंगे और दुश्मन ड्रोन के पास पहुंचते ही फट जाएंगे, जिससे इनकी निशाने को नष्ट करने की संभावना बढ़ जाएगी।

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    हमला करने वाले ड्रोन असरदार

    पहली जनवरी को जारी आरएफआई का मकसद मेक इन इंडिया के तहत सार्वजनिक क्षेत्र या निजी निर्माण इकाइयों की पहचान और चयन करना है। आरएफआई के अनुसार हाल की लड़ाइयों से पता चला है कि दुश्मन की वायु रक्षा को कमजोर करने और जमीन पर तैनात सेना के वायु रक्षा प्लेटफार्म पर सटीक निशाना लगाने में हमला करने वाले ड्रोन और खुद फट जाने वाले ड्रोन का काम असरदार रहा है।

    कैसे होते हैं सीओटीएस किस्म के ड्रोन?

    सीओटीएस किस्म के ड्रोन आकार में छोटे, बचने की ज्यादा क्षमता, कम कीमत के साथ कम राडार क्रास सेक्शन वाले होते हैं और मौजूदा प्रणाली के गोला-बारूद से इन्हें गिराना चुनौती भरा है। इसलिए ऐसे गोला-बारूद की जरूरत है जो मौजूदा सिस्टम में काम करे। दोनों मौजूदा प्रणालियों में तेज रफ्तार एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम है, जो महत्वपूर्ण और कमजोर स्थानों पर तैनात हैं।

    इनमें 23 मिमी आर्मर पियर्सिंग इंसेंडरी ट्रेसर और हाई एक्सप्लोसिव इंसेंडरी ट्रेसर गोला-बारूद होता है। हालांकि, इन दोनों के लक्ष्य पर लगने की संभावना कम है क्योंकि इन्हें मैनुअल ढंग से चलाया जाता है और निशाने से टकराने के बाद ही गोला-बारूद फटता है। जबकि नए गोला-बारूद में ड्रोन के करीब पहुंचते ही या एक निर्धारित समय बाद फटने की क्षमता होनी चाहिए।

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