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    भारत को F-35 क्यों बेचना चाहता है अमेरिका, चीन के सामने क्या साबित होगा गेमचेंजर? इस वजह से डील पर फंस सकता पेंच

    Updated: Fri, 14 Feb 2025 07:31 PM (IST)

    अमेरिका भारत को अपना सबसे उन्नत लड़ाकू विमान एफ- 35 बेचना चाहता है। वाशिंगटन में पीएम मोदी के सामने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह एलान किया। हालांकि भारत इस विमान को खरीदेगा या नहीं... अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। भारत की नजर पांचवीं पीढ़ी के विमान पर जरूर है। मगर वह एफ-35 के अलावा कई अन्य विमानों पर दिलचस्पी दिखा रहा है।

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    अमेरिका ने भारत को एक-35 बेचने पर दिखाई दिलचस्पी। ( फोटो- रॉयटर्स )

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में 10 से 14 फरवरी तक चले एयरो इंडिया 2025 में शामिल दो विमानों की सबसे अधिक चर्चा रही। पहला विमान है एफ- 35 और दूसरा विमान रूस का सुखोई-57 है। सोशल मीडिया पर इन विमानों की चर्चा के बाद ट्रंप के एलान ने सबका ध्यान खींचा है।

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    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी की मौजूदगी में एफ- 35 फाइटर प्लेन भारत को बेचने की पेशकश की। मौजूदा समय में एफ-35 को दुनिया का सबसे घातक लड़ाकू विमान माना जाता है। रूस का सू-57 इसका कॉम्पिटीटर है। मगर कई मायनों में एफ-35 अधिक घातक है।

    आइए जानते हैं कि अमेरिका इसे भारत को क्यों बेचना चाहता है। भारत के लिए यह सौदा कितने फायदे का होगा, इस फाइटर प्लेन की खासियत क्या हैं?

    अमेरिका क्यों बेचना चाहता है

    • भारत खुद का स्वदेशी जेट इंजन कावेरी विकसित करने में जुटा है। हाल ही में इस इंजन का रूस में परीक्षण भी किया गया। वहीं फ्रांस की मदद से 5वीं पीढ़ी का जेट इंजन विकसित करने की कोशिश की जा रही है। दोनों देश पांचवीं पीढ़ी के विमान के डिजाइन को भी तैयार करने में जुटे हैं। अगर भारत ने पांचवीं पीढ़ी का इंजन विकसित कर लिया तो लड़ाकू विमान के विकास में वह काफी हद तक आत्मनिर्भर हो सकता है। मगर अमेरिका उससे पहले अपने विमान को बेचना चाहता है।

    • 11 फरवरी को ही खबर आई है कि रूस ने भी भारत को सुखोई एसयू-57 देने की पेशकश की है। रूस ने तो इन विमानों को भारत में तैयार करने का प्रस्ताव भी दिया है। रूस ने भारत को तकनीक ट्रांसफर करने की बात भी कही है। भारत सबसे अधिक हथियार रूस से ही खरीदता है और भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार बाजार है। रूस ने भारत के AMCA कार्यक्रम में भी मदद की पेशकश की है। यही वजह है कि ट्रंप यह डील रूस के हाथों नहीं जाने देना चाहते हैं।

    • अमेरिका भारत को एफ-35 क्यों बेचना चाहता है? इसकी एक वजह का पता ट्रंप के बयान से भी चलता है। दरअसल, वह सैन्य हथियारों के माध्यम से भारत के साथ होने वाले व्यापार घाटे को पाटना चाहते हैं। ट्रंप ने कहा कि इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर की सैन्य बिक्री बढ़ाएंगे। भारत को एफ- 35 स्टेल्थ लड़ाकू विमान बेचेंगे। ट्रंप ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ है। इसके तहत भारत दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करने के लिए अधिक मात्रा में अमेरिकी तेल और गैस का आयात भी करेगा।

    कितनी है कीमत?

    लॉकहीड के मुताबिक एक एफ-35A की कीमत लगभग 80 मिलियन डॉलर है। एफ-35B की 115 मिलियन और एक-35C की 110 मिलियन डॉलर कीमत है। विमान का संचालन भी बेहद मंहगा है। प्रत्येक F-35 की लागत लगभग 36,000 डॉलर प्रति उड़ान घंटे है। इन सब वजहों से यह दुनिया का सबसे महंगा विमान बन जाता है।

    क्या है खासियतें?

    एक- 35 फाइटर प्लेन को हवा, जमीन और समुद्र में लड़ने में महारत हासिल है। इजरायल इस विमान का युद्ध में इस्तेमाल करने वाला पहला देश है। इस विमान के पायलट दुनियाभर में खतरनाक से खतरनाक ऑपरेशन को अंजाम देकर सुरक्षित घर लौट सकते हैं। प्लेन वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग कर सकता है।

    विमान एक बार में 2200 किमी की दूरी तय कर सकता है। विमान में एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिकली स्कैंड एरे रडार लगा है। इस रडार से 370 किमी दायरे में मौजूद लक्ष्य का सटीक पता लगा सकता है। विमान उन्नत तकनीक, इलेक्टॉनिक वारफेयर सिस्टम और घातक रडार से लैस है।

    एफ-35 के सामने कौन-कौन विमान?

    चीन के जे-20, जे-35, रूस का एसयू-57, फ्रांस का राफेल, यूरोप का यूरोफाइटर और ग्रिपेन को एफ-35 का प्रतिस्पर्धी माना जाता है। मगर कई मामलों में एफ-35 इन विमानों से काफी बेहतर है। रूस के एसयू-57 को ही एफ-35 का करीबी प्रतिस्पर्धी माना जाता है। चीन के पास पांचवीं पीढ़ी के दो स्टेल्थ विमान जे-20 माइटी ड्रैगन और जे-35 हैं। तुर्किये के कान फाइटर प्लेन को भी एफ-35 का प्रतिस्पर्धी माना जाता है। यह भी पांचवीं पीढ़ी का विमान है।

    इन देशों के पास एफ-35 फाइटर प्लेन

    एक- 35 लाइटिंग विमान को कुछ देश ही अमेरिका से खरीद सकते हैं। मौजूदा समय में ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, इजरायल, इटली, जापान, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम को एफ-35 फाइटर जेट बेचने की अनुमति है।

    मोदी के बयान में जिक्र नहीं

    डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में एफ-35 का जिक्र किया। मगर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में एफ-35 का कोई उल्लेख नहीं किया। ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इसका उल्लेख पीएम मोदी ने नहीं किया। विदेश सचिव विक्रम मिसरी का कहना है कि एफ-35 स्टेल्थ लड़ाकू विमान सौदा फिलहाल एक प्रस्ताव है। इस पर कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं चल रही है। उधर, विमान को तैयार करने वाली लॉकहीड मार्टिन ने भी ट्रंप के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

    सरकार से सरकार के बीच होता है सौदा

    एफ- 35 विमान को लॉकहीड मार्टिन सीधे किसी देश को बेच नहीं सकती है। इस विमान का सौदा सरकार से सरकार के बीच होता है। पेंटागन इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। डोनाल्ड ट्रंप ने अभी तक इन विमानों को भारत को देने से जुड़ी कोई समय सीमा नहीं बताई है। मगर रॉयटर्स के मुताबिक स्टेल्थ एफ-35 जेट की डिलीवरी में वर्षों का समय लग जाता है।

    भारत को जरूरत क्यों?

    चीन और पाकिस्तान से मुकाबला करने के लिए भारत को तेजी से अपनी सेनाओं क आधुनिक बनाना होगा। स्वदेशी के साथ-साथ विदेशी हथियारों की भी जरूरत है। खासकर उन अमेरिकी हथियारों पर भारत की निगाहें, जो चीन को टक्कर देने में काबिल हैं। चीन के पास पहले ही पांचवीं पीढ़ी के दो स्टेल्थ विमान हैं।

    विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय सेना में F-35 का शामिल होना नई दिल्ली के लिए एक बड़ी जीत होगी। पिछले साल भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी सीगार्जियन और स्काईगार्जियन ड्रोन खरीदने पर हामी भरी थी। भारत अमेरिका से सी-17 ग्लोबमास्टर और चिनूक हेलीकॉप्टर भी खरीद चुका है।

    इन विमानों में भारत की दिलचस्पी

    भारतीय वायुसेना के पास कुल 31 स्क्वाड्रन हैं। जबकि जरूरत 42 की है। देश को अभी 114 मल्टीरोल लड़ाकू विमानों की भी आवश्यकता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के विमान को भी जल्द अपने बेड़े में शामिल करना चाहता है।

    माना जा रहा है कि भारत बोइंग F-15EX, डसॉल्ट राफेल, यूरोफाइटर टाइफून, लॉकहीड मार्टिन F-21 (F-16V का री-बैज्ड संस्करण) और साब ग्रिपेन E/F में से किसी एक को खरीदने में दिलचस्पी दिखा सकता है। इस प्रतिस्पर्धा में एफ-35 के शामिल होने की बात भी कही जा रही है। मगर देखना होगा कि भारत किस विमान को चुनता है।

    सौदे पर क्यों फंस सकता है पेंच?

    • भारत और अमेरिका के बीच एफ- 53 के सौदे पर पेंच भी फंस सकता है। भारत खुद का पांचवीं पीढ़ी का विमान एएमसीए (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) बना रहा। फ्रांस इसमें सहयोग कर रहा है। रूस ने भी मदद की पेशकश की है। ऐसे में भारत अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान को अहमियत दे सकता है।
    • ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के रूस से गहरे संबंध है। ऐसे में अमेरिका भारत को एफ- 35 देने से बच सकता है, क्योंकि उसे तकनीकी चोरी की शंका रहती है। रूस के साथ भारत की एस-400 डील भी बाधा बन सकती है। दरअसल, अमेरिका पहले तुर्किये के साथ एफ-35 का उत्पादन करने को इच्छुक था। मगर रूस से एस-400 खरीदने के बाद अमेरिका ने अपने हाथ पीछे खींच लिए थे।

    • माना जा रहा है कि मोदी सरकार का फोकस अगले फाइटर प्लेन की डील के दौरान भारत में उत्पादन और तकनीक ट्रांसफर पर होगा। अगर ऐसा हुआ तो एफ-35 डील खटाई में पड़ सकती है। दरअसल, अमेरिका तकनीक ट्रांसफर पर सहमत नहीं होगा।
    • एफ-35 विमान बेहद महंगा है। इसका संचालन और रखरखाव भी मंहगा है। माना जा रहा है कि इसी वजह से भारत के लिए एफ-35 विमान की डील चुनौतीपूर्ण है।

    क्या है स्टेल्थ तकनीक?

    स्टेल्थ तकनीक को कम अवलोकनीय तकनीक भी कहा जाता है। इस तकनीक का विकास 1958 में अमेरिका में हुआ था। इस तकनीक का उद्देश्य अपनी मौजूदगी को दुश्मन से छिपाना है। स्टेल्थ तकनीक में विमान की आवाज को भी कम किया जाता है, ताकि उसके शोर से भी दुश्मन विमान को डिटेक्ट न कर सके।

    वहीं तरंगों के माध्यम से दुश्मन को धोखा दिया जाता है। रडार से आने वाली तरंगों को रिडायरेक्ट किया जाता है। इस वजह से दुश्मन का रडार स्टेल्थ तकनीक वाले विमान, पनडुब्बी, मिसाइल और जहाजों को पकड़ नहीं पता है। स्टेल्थ विमान को रडार, इन्फ्रारेड, सोनार समेत अन्य तकनीक से पकड़ पाना मुश्किल है।

    Source:

    • अमेरिकी एयरफोर्स (US Air Force):
    • https://www.af.mil/About-Us/Fact-Sheets/Display/Article/478441/f-35a-lightning-ii/
    • लॉकहीड मार्टिन कॉर्पोरेशन (अमेरिकी रक्षा और एयरोस्पेस कंपनी):
    • https://www.f35.com/f35/about.html
    • रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स:
    • https://www.airforce.gov.au/aircraft/f-35a-lightning-ii
    • द वॉशिंगटन पोस्ट (अमेरिकी समाचार पत्र):
    • https://www.washingtonpost.com/sf/brand-connect/the-f-35-how-it-works/
    • पॉपुलरमैकेनिक्स.कॉम (popularmechanics.com):
    • https://www.popularmechanics.com/military/aviation/a35281371/f-35-history/

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