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    Jawahar Point: चांद पर 'जवाहर प्वाइंट' को लेकर छिड़ा सियासी घमासान, क्या है चंद्रयान-1 से कनेक्शन?

    By AgencyEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Sat, 26 Aug 2023 06:50 PM (IST)

    Know Moon Jawahar Point भारत के पहले चंद्रमा मिशना चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को पीएसएलवी रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-1 ने 14 नवंबर 2008 को चांद की सतह पर क्रैश लैंडिंग की थी। जिस जगह पर चंद्रयान-1 की क्रैश लैंडिंग हुई थी उसे जवाहर प्वाइंट नाम दिया गया। चंद्रयान-1 की मदद से ही भारत ने चंद्रमा पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।

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    चंद्रयान-1 ने जहां लैंडिंग की थी, उस जगह को जवाहर प्वाइंट कहा जाता है।

    नई दिल्ली, एजेंसी। Jawahar Point: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफलता पर आज पूरी दुनिया भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ कर रही है। इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने खुद इसरो के बेंगलुरु कार्यालय जाकर वैज्ञानिकों को बधाई दी और अगले मिशन के लिए हौसला बढ़ाया।

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    क्या है शिव शक्ति प्वाइंट? 

    प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का नामकरण किया। पीएम ने कहा कि जहां चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग हुई है, उस जगह को 'शिव शक्ति प्वाइंट' (Shiv Shakti Point) के नाम से जाना जाएगा।

    चंद्रयान-2 से जुड़ा है तिरंगा प्वाइंट

    इसके साथ ही पीएम मोदी ने उस जगह का भी नामकरण किया, जहां चंद्रयान-2 की क्रैश लैंडिंग हुई थी। चंद्रयान-2 ने जहां पर चंद्रमा की सतह को छुआ था, उसे 'तिरंगा प्वाइंट' नाम दिया गया। इसके अलावा उन्होंने 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) के रूप में मनाने की घोषणा की।

    चंद्रमा पर क्या है जवाहर प्वाइंट?

    ऐसा नहीं है कि पहली बार किसी लैंडिंग साइट का नामकरण किया गया है। इससे पहले चंद्रयान-1 की लैंडिंग साइट का नामकरण किया गया था। भारत के पहले चंद्रमा मिशन चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को पीएसएलवी रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-1 ने 14 नवंबर 2008 को चांद की सतह पर क्रैश लैंडिंग की थी। जिस जगह पर चंद्रयान-1 की क्रैश लैंडिंग हुई थी, उसे जवाहर प्वाइंट (Jawahar Point) नाम दिया गया।

    जवाहर प्वाइंट क्यों दिया गया नाम?

    चंद्रयान-1 की क्रैश लैंडिंग साइट को जवाहर प्वाइंट (Jawahar Point) इसलिए नाम दिया गया, क्योंकि जिस दिन चंद्रयान-1 ने चांद की सतह को छुआ था वह दिन 14 नवंबर था और इसी दिन पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन है। इसलिए, उस जगह को जवाहर प्वाइंट कहा गया। उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने ये फैसला लिया था। इसके बाद उस जगह को जवाहर प्वाइंट के नाम से जाना गया।

    चंद्रयान-1 ने जुटाई थी अहम जानकारी

    चंद्रयान-1 की मदद से ही भारत ने चंद्रमा पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। इस मिशन से भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कई तरह की जानकारी जुटाई थी। इस मिशन से इसरो ने चंद्रमा पर पानी का पता लगाया था, जो काफी महत्वपूर्ण है। चंद्रयान-1 ने आठ नवंबर 2008 को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था और इसका 29 अगस्त 2009 को ऑर्बिटर के साथ संपर्क टूटा था।

    नामकरण को लेकर सियासी घमासान

    बता दें कि जवाहर प्वाइंट नाम को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीति शुरू हो गई है। भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने एक्स (पहले ट्विटर) पर इसे लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा।

    भाजपा नेता ने कहा कि अगर यूपीए की सरकार होती और उन्होंने चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 भेजा होता, तो उसका नाम इंदिरा पॉइंट और राजीव पॉइंट रखा जाता।

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