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    क्या है सर क्रीक जिसको लेकर रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को चेताया, दोनों देशों के लिए कितना महत्वपूर्ण?

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 01:56 PM (IST)

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि सर क्रीक सेक्टर में किसी भी हरकत का भारत निर्णायक जवाब देगा जिससे इतिहास और भूगोल बदल सकते हैं। उन्होंने गुजरात के भुज में कहा कि भारत ने सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिश की पर पाकिस्तान की नीयत ठीक नहीं है।

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    सर क्रीक को लेकर राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को दी चेतावनी।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को पाकिस्तान को सीधी चेतावनी दी। राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सर क्रीक सेक्टर में किसी भी तरह की हरकत का भारत की ओर से निर्णायक जवाब होगा जो इतिहास और भूगोल दोनों बदल सकता है।

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    दरअसल, गुरुवार को रक्षा मंत्री ने गुजरात के भुज में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान को सीधी चेतावनी दी। आइए आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि सर क्रीक क्या है और भारत-पाकिस्तान के लिए ये इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

    क्या है सर क्रीक?

    • सर क्रीक भारत में गुजरात और पाकिस्तान में सिंध की सीमा पर स्थित है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जो कच्छ के रण के दलदली विस्तार से होकर लगभग 96 किलोमीटर तक फैला है, जहां अरब सागर भूमि में विलीन हो जाता है।
    • पिछले कई दशकों में सक क्रीक को लेकर दोनों पड़ोसी देशों के बीच विवाद, सीमा निर्धारण के तरीके के बारे में अलग-अलग परिभाषाओं के कारण उत्पन्न हुआ है। क्रीक के मुहाने से लेकर उसके सबसे उत्तरी बिंदु तक, तथा फिर पूर्व की ओर उस स्थान तक विवाद देखने को मिलता रहा है।
    • बता दें कि 1947 में विभाजन के बाद सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बन गया, जबकि गुजरात भारत में ही रहा। वहीं, 1968 में एक अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने कच्छ के रण सीमा मुद्दे का अधिकांश भाग सुलझा लिया, परन्तु सर क्रीक पर विवाद अभी भी जारी है।

    पाकिस्तान करता है अलग दावा

    उधर, पाकिस्तान का दावा है कि पूरा सर क्रीक सिंध में आता है। पाकिस्तान शुरू से ही 1914 के एक प्रस्ताव का हवाला देता है जिसमें सर क्रीक के पूर्वी तट पर सीमा निर्धारित की गई थी। हालांकि, भारत का कहना है कि यह प्रस्ताव, जिसे थलवेग सिद्धांत भी कहा जाता है, जो नौगम्य जलधारा के मध्य में सीमा निर्धारित करता है।

    जहां एक ओर भारत अपने दावे का समर्थन 1925 के एक मानचित्र और जलधारा के मध्य में लगाए गए चिह्नों से करता है, तो दूसरी तरफ पाकिस्तान का तर्क है कि थलवेग सिद्धांत केवल नदियों के लिए प्रासंगिक है और सर क्रीक जैसे ज्वारीय मुहानाओं पर लागू नहीं होता है।

    सर क्रीक का आर्थिक महत्व काफी ज्यादा

    गौरतलब है कि सर क्रीक का सैन्य महत्व भले की कम हो, लेकिन इसका आर्थिक महत्व बेहद कम है। माना जाता है कि इस क्षेत्र में तेल और गैस के भंडार हो सकते हैं, जो भारत के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकते हैं।

    दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र का विवाद मछुआरों को भी प्रभावित करता है। कई बार मछुआरे गलती से पड़ोसी देश के नियंत्रण वाले जलक्षेत्र में चले जाते हैं, जिसके कारण उनकी गिरफ्तारी हो जाती है। अंतरराष्ट्रीय कानून में नरमी के बावजूद भी पाकिस्तान कई बार भारत के मछुआरों को लंबे समय तक बंदी बनाए रखता है।

    रक्षा मंत्री की पाकिस्तान को चेतावनी

    गुरुवार को कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा था कि अगर सर क्रीक क्षेत्र में पाकिस्तान की ओर से कोई दुस्साहस किया गया, तो उसका करारा जवाब दिया जाएगा।

    उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि आजादी के 78 साल बाद भी सर क्रीक इलाके में सीमा विवाद को हवा दी जा रही है। भारत ने इसे बातचीत के ज़रिए सुलझाने की कई कोशिशें की हैं, लेकिन पाकिस्तान की नीयत में खोट है; उसकी नीयत साफ नहीं है। जिस तरह से पाकिस्तानी सेना ने हाल ही में सर क्रीक से सटे इलाकों में अपने सैन्य ढांचे का विस्तार किया है, उससे उसकी नीयत का पता चलता है।

    आगे कहा कि भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल (BSF) मिलकर और सतर्कता से भारत की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं। अगर सर क्रीक इलाके में पाकिस्तान की तरफ से कोई दुस्साहस किया गया, तो उसे ऐसा करारा जवाब मिलेगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे। 1965 के युद्ध में भारतीय सेना ने लाहौर तक पहुंचने की क्षमता का प्रदर्शन किया था। आज 2025 में पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची जाने का एक रास्ता सर क्रीक से होकर गुजरता है।

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