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    सेना हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार: दलबीर सिंह

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Fri, 15 Jan 2016 02:51 PM (IST)

    68वें सेना दिवस के मौके पर तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने आज अमर जवान ज्‍योति पर जाकर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस माैके पर थल सेना प्रमुख ने कह ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। 68वें सेना दिवस के मौके पर आज थल सेना प्रमुख दलबीर सिंह ने कहा कि भारतीय सेना हर चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि देश में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान भी भारतीय सेना ने आगे बढ़कर सभी की मदद की है। नेपाल में आए भीषण भूकंप में भी सेना के जवानों ने दिन-रात एक कर राहत कार्य चलाया था, जिसको पूरी दुनिया ने देखा है।

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    सेना दिवस के मौके पर जवानों और परेड को संबोधित करते हुए उन्होंने सेना के आधुनिकीकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आर्मी बेस अस्पताल में जल्द ही सेवानिवृत जवानों के लिए अलग से विंग तैयार की जाएगी, जहां उन्हें बेहतर इलाज के साथ बेहतर सुविधाएं भी मिल सकेंगी। इस मौके पर उन्होंने थल, जल और वायु सेना के बीच बेहतर तालमेल की बात भी कही।

    इससे पूर्व तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने अमर जवान ज्योति पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर दिल्ली में एक परेड का भी आयोजन किया गया जिसकी सलामी सेना प्रमुख ने ली। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में कहा है कि वह दिन रात देशवासियों की सुरक्षा के लिए सेवा तत्पर जवानों के हौसले को सलाम करते हैं। उनके अलाव केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने भी इस मौके पर ट्वीट कर जवानों को बधाई दी है। गौरतलब है कि भारतीय थल सेना चीन के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है।

    क्यों मनाया जाता है सेना दिवस

    देश की सीमाओं की चौकसी करने वाली भारतीय सेना अपनी गौरवशाली परंपरा का निर्वाह करते हुए हर साल जनवरी में सेना दिवस मनाती है और इस दौरान अपने दम-खम का प्रदर्शन करने के साथ ही उस दिन को पूरी श्रद्धा से याद करती है, जब सेना की कमान पहली बार एक भारतीय के हाथ में आई थी। दसअसल आज ही के दिन 1948 को तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल केएम करियप्पा ने भारतीय सेना के पहले कमांडिग इन चीफ के रूप में अंतिम ब्रिटिश कमांडर सर फ्रैंसिस बुचर से पद भार संभाला था। इस तरह लेफ्टिनेंट करियप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे। उनकी ही याद में हर वर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत यहां पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ होती है।

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    इसी दिन राजधानी दिल्ली और सेना के सभी छह कमान मुख्यालयों में परेड आयोजित की जाती है और सेना अपनी मारक क्षमता का प्रदर्शन करती है जिसमें सेना के अत्याधुनिक हथियारों और साजो-सामान जैसे टैंक, मिसाइल, बख्तरबंद वाहन आदि प्रदर्शित किए जाते हैं। इसके अलावा जवानों को सम्मानित भी किया जाता है। सेना दिवस पर शाम को सेना प्रमुख चाय पार्टी आयोजित करते हैं जिसमें तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिमंडल के सदस्य हिस्सा लेते हैं।

    भारतीय सेना का गौरवशाली इतिहास

    1947 में आजा़दी मिलने के बाद ब्रिटिश भारतीय सेना को नये बने राष्ट्र भारत गणराज् और इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान की सेवा के लिये दो भागों में बांट दिया गया। ज्यादातर इकाइयों को भारत के पास रखा गया। चार गोरखा़ सैन्य दल को ब्रिटिश सेना में स्थानांतरित किया गया जबकि शेष को भारत के लिए भेजा गया।

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    भारतीय सेना का गौरवशाली इतिहास रहा है। इसमें भारत-पाकिस्तान युद्ध में दुश्मन को धूल चटाने से लेकर बांग्लादेश को आजाद कराना और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित करना भी शामिल है। इसके अलावा आजादी के बाद कश्मीर, हैदराबाद, गोवा, दमन और दीव के विलय का भी श्रेय भारतीय सेना को दिया जाता है। इसके अलावा भारतीय सेना संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती रही है। श्रीलंका में शांति सेना के रूप में भारतीय सेना ने कमाल का काम किया था।

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