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    जेटली ने रखी अच्छे दिनों की बुनियाद, बढ़ी राज्यों की जिम्मेदारी

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Sun, 01 Mar 2015 12:36 PM (IST)

    न खांटी समाजवाद। न ही उदारवाद का अतिरेक। सबका साथ, सबका विकास के मोदी मंत्र पर समावेशी आम बजट। मध्य वर्ग को अरुण जेटली का यह बजट कुछ कसैला लगेगा, लेकिन वंचित तबके को ताकत का टॉनिक देने की कोशिश जरूर है। हालांकि, मुख्य जोर भरपूर निवेश और उसके लायक

    नई दिल्ली, [नितिन प्रधान]। न खांटी समाजवाद। न ही उदारवाद का अतिरेक। सबका साथ, सबका विकास के मोदी मंत्र पर समावेशी आम बजट। मध्य वर्ग को अरुण जेटली का यह बजट कुछ कसैला लगेगा, लेकिन वंचित तबके को ताकत का टॉनिक देने की कोशिश जरूर है। हालांकि, मुख्य जोर भरपूर निवेश और उसके लायक माहौल बनाने पर। काला धन और भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का जज्बा भी बरकरार। बुनियादी ढांचे के साथ-साथ हर स्तर पर समाज की बुनियाद मजबूत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को समेटने की बहुत हद तक वित्त मंत्री ने कोशिश की है। मोदी के टीम इंडिया के नारे को भी बजट में साकार कर राज्यों को मदद के साथ विकास में उनकी भी जिम्मेदारी बढ़ा दी है।

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    विकास का रोडमैप

    एक भारत और श्रेष्ठ भारत या मेक इन इंडिया को जमीन पर उतारने के लिए इस बजट में निवेश का माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लालफीताशाही पर अंकुश लगाकर और उद्यमियों को हर तरह का प्रोत्साहन देकर मजबूत अर्थव्यवस्था का एक रोडमैप दिया है। वित्त मंत्री ने अपनी पांच चुनौतियों को गिनाते हुए विकास का एजेंडा स्पष्ट कर दिया है। टैक्स नीति की निरंतरता को बनाए रखने का वादा करते हुए विदेशी निवेशकों डराने वाले कर प्रावधान 'गार' को और दो साल के लिए टाल दिया गया है। कारपोरेट टैक्स में पांच फीसद की कमी का ऐलान कर उद्योग जगत की मन की मुराद पूरी कर दी है, जबकि देश में घरों की तिजोरियों में बंद पड़े सोने को सिस्टम में लाने का महत्वपूर्ण कदम वित्त मंत्री ने उठाया है। इसकी तीन स्कीमों का ऐलान कर जेटली ने सोने के अर्थव्यवस्था में इस्तेमाल का रास्ता खोल दिया है।

    सामाजिक सुरक्षा कवच

    राजकोषीय मोर्चे पर बेहद तंगी की स्थिति के बावजूद वित्त मंत्री ने सामाजिक विकास के लिए खजाने का मुंह खुला रखा है। देश में पहली बार हर नागरिक के लिए सामाजिक सुरक्षा के सपने को हकीकत में बदलने की मजबूत नींव रखी है। वह दिन दूर नहीं जब देश के हर नागरिक के पास अपना बीमा होगा और हर मजदूर के पास अपनी पेंशन स्कीम। वरिष्ठ नागरिकों के साथ साथ अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों के विकास को भी बजट में पूरी तरजीह दी गई है। किसानों के लिए लागत घटाने और उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने का तंत्र विकसित करने के साथ साथ कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए मिïïट्टी की सेहत और सिंचाई की व्यवस्था कर कृषि क्षेत्र की विकास दर बढ़ाने का इंतजाम किया है। मनरेगा की आलोचना के बावजूद वित्त मंत्री जेटली ने ग्रामीण विकास में इसके महत्व को स्वीकारते हुए इसे बजटीय आवंटन जारी रखा है।

    कठोर वित्तीय अनुशासन

    सीमित संसाधनों के बीच जेटली ने अगले वित्त वर्ष के बजट में वित्तीय अनुशासन का ठोस तीन वर्षीय रोडमैप दिया है जिसके तहत राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के तीन फीसद तक लाना है। अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए राजग सरकार एक बार फिर से विनिवेश की अपनी पुरानी नीति पर लौटी है जिसमें सरकारी कंपनियों को सीधे निजी हाथों में सौंपने की बात है। वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई है कि इन उपायों से राजस्व बढ़ता है तो सामाजिक विकास के लिए वो और धन दे सकते हैं। अर्थव्यवस्था के विकास में बुनियादी ढांचे पर सरकार का पूरा फोकस रहा है। इस क्षेत्र की वित्तीय जरूरतें पूरी करन के लिए अलग से फंड बनाने का ऐलान किया गया है तो बिजली उत्पादन को रफ्तार देने के लिए नए अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट लगाने का ऐलान किया गया है। इसके लिए सरकार ने पीपीपी माडल का ढांचा बदलने के भी संकेत दे दिए हैं।

    नमामि गंगे को तरजीह

    बजट में मेक इन इंडिया से लेकर डिजिटल इंडिया और स्वच्छ भारत से लेकर नमामि गंगे जैसे मोदी सरकार के सभी प्रमुख कार्यक्रमों को तरजीह देते हुए इन्हें देश के विकास के साथ जोड़ा गया है। दुनिया में सर्वाधिक युवा जनसंख्या को देखते हुए कौशल विकास के जरिए रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने के प्रावधान वित्त मंत्री के बजट में हैं। यही वजह है कि वित्त मंत्री ने शिक्षा को लेकर बड़ी बड़ी घोषणाएं करने के बजाए युवाओं को हुनरमंद बनाने पर ज्यादा जोर दिया है।

    बढ़ी राज्यों की जिम्मेदारी

    देश के विकास में राज्यों को साथ लेकर चलने की मोदी की नीति की झलक भी वित्त मंत्री ने दी है। केंद्रीय करों में अधिक हिस्सेदारी देकर राज्यों पर भी विकास में योगदान की जिम्मेदारी डाली गई है। अगले वित्त वर्ष से जीएसटी का लागू होना तय है। यह भी राज्यों की माली हालत मजबूत करेगा। हालांकि, रेल बजट को राजनीति से परे रखने वाली सरकार ने आम बजट में बिहार और बंगाल को आंध्र की तर्ज पर विशेष सहायता देकर चुनावी राजनीति का पासा फेंक दिया है।

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