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    'कमजोर-भटके हुए युवाओं को बनाया जा रहा निशाना', देश में उभरते खतरे को लेकर गृह सचिव ने क्या कहा?

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 07:00 AM (IST)

    केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने देश में बढ़ते सुरक्षा खतरों, विशेषकर कट्टरपंथ से युवाओं के शोषण पर चिंता जताई। उन्होंने 27 दिसंबर को एनआईए द्वारा आयो ...और पढ़ें

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    केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने देश के सामने उभरते सुरक्षा खतरों, खासकर कट्टरपंथ से पैदा होने वाली चुनौतियों को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि कमजोर और भटके हुए युवाओं की भर्ती व शोषण कर हिंसक गतिविधियों में झोंकने की कोशिशें बढ़ रही हैं, जिन्हें समय रहते पहचानकर नाकाम करना बेहद आवश्यक है।

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    गृह सचिव ने ये बातें 27 दिसंबर को दो दिवसीय आतंकवाद रोधी सम्मेलन- 2025 के समापन अवसर पर कहीं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में भारत की आतंकवाद-रोधी क्षमताओं को मजबूत करने पर व्यापक चर्चा हुई। सम्मेलन में समन्वय बढ़ाने और वास्तविक समय में सूचनाओं के निर्बाध आदान-प्रदान के लिए एक आदर्श एंटी-टेरर स्क्वाड (एटीएस) ढांचे पर भी जोर दिया गया।

    'आतंकवाद के नए स्वरूप से निपटने के लिए सक्षम बनना होगा'

    मोहन ने बताया कि सम्मेलन में शुरू किए गए ट्रैक-2 सत्र के तहत डिजिटल उपकरणों से मिलने वाले डाटा, बड़े डाटा एनालिटिक्स और विशेष रूप से डिजिटल गुमनामी को उजागर करने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल के साथ आतंकवाद के नए स्वरूप सामने आ रहे हैं, जिनसे निपटने के लिए जांच एजेंसियों को तकनीकी रूप से और सक्षम बनाना होगा।

    नए खतरों पर भी हुआ मंथन

    गृह सचिव ने एनआईए की 90 प्रतिशत से अधिक सजा दर की सराहना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का लक्ष्य देशभर की सभी पुलिस एजेंसियों में इसी स्तर की सजा दर हासिल करना है। सम्मेलन में वामपंथी उग्रवाद, पूर्वोत्तर, समुद्री आतंकवाद, आतंक के वित्तपोषण, अवैध तस्करी, डीपफेक और हाइब्रिड युद्ध जैसे नए खतरों पर भी मंथन किया गया। अधिकारियों ने आतंकवाद-रोधी जांच में डिजिटल फोरेंसिक और डाटा विश्लेषण की भूमिका को निर्णायक बताया।

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