झींगा से लेकर तौलिया तक... अमेरिका में क्या-क्या एक्सपोर्ट करता है भारत; टैरिफ के बाद कितनी होगी कीमत?
अमेरिका के बाजार में भारतीय वस्तुओं पर शुल्क लगने से निर्यातकों में चिंता है। 7 अगस्त से 25% शुल्क लागू हो गया है और 27 अगस्त से यह 50% तक पहुँच जाएगा। निर्यातक अमेरिकी बाजार खोने की आशंका जता रहे हैं क्योंकि वे चीन वियतनाम जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा करते हैं जिन पर इतना शुल्क नहीं है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका के बाजार में सात अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत का शुल्क लागू हो गया तो आगामी 27 अगस्त से 25 प्रतिशत और शुल्क यानी कि 50 प्रतिशत का शुल्क लगेगा। इसके अलावा अप्रैल से पहले लगने वाले शुल्क भी लगेंगे। निर्यातकों का कहना है कि अगर अगले 20 दिनों में इस शुल्क को लेकर कोई हल नहीं निकलता है तो हम अमेरिकी बाजार को खो सकते हैं।
अमेरिका के बाजार में भारत का मुकाबला मुख्य रूप से चीन, वियतनाम, बांग्लादेश, इंडोनेशिया जैसे देशों से है और इनमें किसी भी देश पर इतना शुल्क नहीं लगा है। निर्यातकों ने बताया कि अमेरिकी खरीदारों ने सभी ऑर्डर को होल्ड पर कर दिया है और वे नए ऑर्डर नहीं ले रहे हैं। निर्यातक यह भी आशंका जाहिर कर रहे हैं कि सरकार भी उन्हें एक सीमा तक ही मदद दे सकती है। 50 प्रतिशत के शुल्क को समायोजित करना मुश्किल काम है।
'वस्तु निर्यात में गिरावट तय'
तभी फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के सीईओ व महानिदेशक अजय सहाय कहते हैं कि अगर अगले 20 दिनों में शुल्क का कोई हल नहीं निकलता है तो हम निश्चित रूप से अमेरिका के बाजार को खो देंगे। वस्तु निर्यात में गिरावट तय है। सरकारी मदद से पांच-सात प्रतिशत तक के भार को कम किया जा सकता है।
काउंसिल ऑफ लेदर एक्सपोर्ट के चेयरमैन और अमेरिका के बाजार में लेदर आइटम के निर्यातक आर. के. जालान कहते हैं कि हमारे खरीदार ने सबकुछ होल्ड पर कर दिया है। पूरी तरह से अनिश्चितता की स्थिति है। सरकार को इसका हल निकालना चाहिए। निर्यातकों के मुताबिक नए बाजार को तलाशने और वहां पैर जमाने में वक्त लगेगा। दूसरी तरफ एक बार अमेरिका का खरीदार उन्हें छोड़कर किसी और देश से खरीदारी करने लगा तो फिर उसे वापस लाना कठिन होगा। लेदर निर्यातक रफीक अहमद कहते हैं कि देश के जीडीपी में निर्यात का भी बड़ा योगदान और सरकार को इसे भी ध्यान में रखना चाहिए।
मुख्य रूप से प्रभावित होने वाले सेक्टर
समुद्री उत्पाद झींगा: भारत अमेरिका में दो अरब डॉलर के झींगा का निर्यात करता है और अमेरिका के झींगा आयात में भारत की हिस्सेदारी 9.5 प्रतिशत है। भारत के झींगा पर पहले 10 प्रतिशत शुल्क लगता था और 27 अगस्त से 60 प्रतिशत का शुल्क लगेगा। झींगा में अमेरिका के बाजार में भारत का मुकाबला चिली और कनाडा से है। कनाडा पर 10 प्रतिशत तो कनाडा के झींगा पर शून्य शुल्क है। ऐसे में भारत के झींगा की खरीदारी हर हाल में प्रभावित होगी।
आर्गेनिक केमिकल: पिछले वित्त वर्ष में भारत ने अमेरिका में 2.7 अरब डॉलर के आर्गेनिक केमिकल्स का निर्यात किया था और इस सेक्टर में भारत का मुकाबला आयरलैंड और स्विट्जरलैंड से है। भारत के केमिकल्स पर अब 54 प्रतिशत का शुल्क लगेगा जबकि आयरलैंड पर 36 प्रतिशत तो स्विट्जरलैंड पर 39 प्रतिशत।
कार्पेट: अमेरिका के बाजार में कार्पेट का सबसे बड़ा निर्यातक भारत है और अमेरिका के कार्पेट आयात में भारत की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत की है। भारत सालाना अमेरिका में 1.2 अरब डॉलर के कार्पेट का निर्यात करता है। भारत के कार्पेट पर अब 52 प्रतिशत का शुल्क लगेगा जबकि टर्की के कार्पेट पर 10 प्रतिशत तो चीन के कार्पेट पर 30 प्रतिशत का शुल्क लगेगा।
बुनाई वाले कपड़े: अमेरिका के बाजार में बुनाई वाले कपड़े के निर्यात में भारत का मुकाबला चीन, वियतनाम व कंबोडिया जैसे देशों से है। भारत सालाना 2.7 अरब डॉलर के बुनाई वाले कपड़े का निर्यात करता है। भारत के बुनाई वाले कपड़ों पर अब अमेरिका के बाजार में 63.9 प्रतिशत का शुल्क लगेगा जबकि चीन के कपड़ों पर 30 प्रतिशत, वियतनाम पर 20 प्रतिशत तो कंबोडिया पर 18 प्रतिशत का शुल्क लगेगा।
अन्य गारमेंट: अन्य प्रकार के भारतीय गारमेंट पर अब अमेरिका के बाजार में 60.3 प्रतिशत का शुल्क लगेगा जबकि चीन पर 30 प्रतिशत, वियतनाम पर 20 प्रतिशत और बांग्लादेश पर 18 प्रतिशत का शुल्क ल गेगा। इससे 2.8 अरब डॉलर का भारतीय निर्यात प्रभावित होगा।
मेड-अप्स: बेडशीट, तौलिया जैसे कपड़ों को मेड-अप्स की श्रेणी में रखा जाता है और भारत सालाना तीन अरब डॉलर के मेडअप्स का अमेरिका में निर्यात करता है। भारतीय मेडअप्स पर अब 59 प्रतिशत का शुल्क लगेगा जबकि चीन पर 30 प्रतिशत तो पाकिस्तान के मेडअप्स पर 17 प्रतिशत का शुल्क लगेगा।
जेम्स व ज्वैलरी: अमेरिका के बाजार में भारत 10 अरब डॉलर के जेम्स व ज्वैलरी का निर्यात करता है। भारत के जेम्स व ज्वैलरी पर अब 52.1 प्रतिशत का शुल्क लगेगा जबकि कनाडा की ज्वैलरी पर 35 प्रतिशत तो स्विट्जरलैड पर 39 प्रतिशत का शुल्क लगेगा जिससे भारत का निर्यात प्रभावित होगा।
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