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    Chandrayaan-3: क्या था अमेरिका का प्रोजेक्ट ए119, जिससे चांद के अस्तित्व पर मंडराया खतरा

    By Achyut KumarEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Sat, 29 Jul 2023 05:12 PM (IST)

    इसरो के चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। ऐसी संभावना है कि यह 23 अगस्त को चांद पर लैंड करेगा लेकिन क्या आपको पता है कि एक समय ऐसा भी आया था जब अमेरिका ने चांद को न्यूक्लियर बम से उड़ाने की योजना बनाई थी। सुनने में यह बात भले ही अजीब लगे लेकिन सच है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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    Chandrayaan 3 update: जब अमेरिका ने बनाया था चांद पर परमाणु बम से हमला करने की योजना

    US Planned to blow up Moon with Nuclear Bomb: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान-3 मिशन इस समय चर्चा में है। इस मिशन का मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करना है, जिसे काफी मुश्किल माना जाता है। इसरो के इस मिशन पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि एक बार चांद को न्यूक्लियर बम से उड़ाने का प्लान बना था। आखिर यह प्लान किसने बनाया था और इसका खुलासा कैसे हुआ, आइए इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं...

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    चांद को न्यूक्लियर बम से कौन उड़ाना चाहता था?

    चांद को न्यूक्लियर बम से उड़ाने का प्लान संयुक्त राज्य अमेरिका ने बनाया था। हालांकि, सेना के आपत्ति जताने पर इस प्लान को कैंसिल करना पड़ा था। सेना का मानना था कि अगर यह प्लान असफल रहा तो इसके पृथ्वी पर खतरनाक परिणाम होंगे। 

    कब बनाया गया प्लान?

    • दरअसल, यह पूरा प्लान 1950 में बनाया गया था। इसे बेहद गोपनीय रखा गया था। इस योजना को स्टडी ऑफ ल्यूनार रिसर्च फ्लाइट नाम दिया गया था। इसका कोड नाम प्रोजेक्ट ए119 था।
    • चांद को न्यूक्लियर बम से उड़ाने का मकसद वहां की मिट्टी, धूल के साथ मौजूद गैसों का परीक्षण किया जाना था।
    • इस योजना को लागू करने का जिम्मा एक युवा खगोलविद को दी गई थी। हालांकि, अमेरिकी सेना ने वैज्ञानिकों के इस मिशन को पूरी तरह खारिज कर दिया।
    • सेना ने कहा कि इसका गंभीर परिणाम होगा और मानव जीवन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा, जिसके बाद इस मिशन को बंद करने का फैसला किया गया।

    चांद को न्यूक्लियर बम से क्यों उड़ाना चाहता था अमेरिका?

    चांद को न्यूक्लियर बम से अमेरिका इसलिए उड़ाना चाहता था, क्योंकि वह तत्कालीन सोवियत संघ (Soviet Union) को अपनी ताकत दिखाना चाहता था। वह रूस को दिखाना चाहता था कि वह अंतरिक्ष में क्या कर सकता है।

    दरअसल, 1950 के दशक में सोवियत यूनियन अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका से काफी आगे निकल गया था, जिससे अमेरिका बौखलाया हुआ था। वह कुछ ऐसा करना चाहता था, जिससे दुनिया को अपनी ताकत दिखा सके। इसीलिए उसने चांद पर परमाणु बम से हमला करने की योजना बनाई, ताकि इससे सोवियत यूनियन डर जाए।

    कृत्रिम चांद भी बनाना चाहता था अमेरिका

    अमेरिका ने 1957 में अपना उपग्रह स्पेस में पहुंचाने की कोशिश की थी, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली। उपग्रह को ले जाने वाला रॉकेट लॉन्च होती ही उड़ गया। अमेरिका कृत्रिम चांद भी बनाना चाहता था, लेकिन उसकी यह योजना फ्लॉप हो गई।

    अमेरिका के प्लान के बारे में पहली बार कब जानकारी मिली?

    अमेरिका के इस विनाशकारी प्लान के बारे में सबसे पहले 1990 में जानकारी मिली। इसका खुलासा प्रोजेक्ट की प्लानिंग में शामिल वैज्ञानिक कार्ल सेगन ने किया। उन्होंने एक यूनिवर्सिटी में किए गए अपने आवेदन में इस प्लानिंग के बारे में जिक्र किया था।

    अमेरिका इस विनाशकारी प्रोजेक्ट के जरिए परमाणु बम को चांद की उजाली और अंधेरे साइड के बीच की सीमा, जिसे टर्मिनेटर लाइन कहा जाता है, पर विस्फोट करना चाहता था। इसके जरिए वह रोशनी की ऐसी तेज चमक पैदा करना चाहता था, जो रूस से आम लोगों को खुली आंखों से दिखाई दे।

    सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव से बेचैन था अमेरिका

    अंतरिक्ष क्षेत्र में सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव से अमेरिका बेचैन था। वह किसी भी कीमत पर सोवियत संघ को पीछे करना चाहता था। अमेरिका के लोगों को भी लगता था कि सोवियत संघ के पास अमेरिका से कहीं ज्यादा परमाणु हथियार है।

    अमेरिका ने पहले हाइड्रोजन बम का प्रयोग कब किया था?

    जब अमेरिका ने 1952 में पहले हाइड्रोजन बम का प्रयोग किया था, लेकिन उसके तीन साल बाद ही सोवियत यूनियन ने भी हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। 1957 में रूस ने स्पुतनिक-1 उपग्रह का परीक्षण किया। यह दुनिया का पहला कृत्रिम उपग्रह था।

    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया गया। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया।

    चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करने की संभावना है। यह अभी पृथ्वी की कक्षा में घूम रहा है।

    सोवियत संघ अब रूस को माना जाता है। जब सोवियत संघ का पतन हुआ तो कई देश अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर लिए। सोवियत संघ को यूएसएसआर भी कहा जाता था।