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    बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था UNICEF ने पूरे किए 70 साल

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Mon, 19 Dec 2016 10:18 PM (IST)

    एंथनी लेक ने इस मौके पर कहा, 'इसकी शुरुआत इस लक्ष्य से की गई थी कि खतरनाक माहौल में जी रहे बच्चों को डर से मुक्ति मिले और उनके जीवन में उम्मीद लौटाई जा सके।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र संस्था 'यूनिसेफ' ने अपने 70 साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर इसके भारत प्रतिनिधि लूई जॉर्ज आर्सेनाल्ट ने कहा है कि देश में सभी बच्चों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए यह अपने काम को और तेजी करेगी। भारत में यह संस्था टीकाकरण से ले कर स्वच्छता जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए काफी अहम सहयोग कर रही है।

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    दूसरे विश्व युद्ध के तुरंत बाद वर्ष 1946 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा की सहमति से शुरू की गई इस अंतरराष्ट्रीय संस्था के कार्यकारी निदेशक एंथनी लेक ने इस मौके पर कहा, 'इसकी शुरुआत इस लक्ष्य से की गई थी कि खतरनाक माहौल में जी रहे बच्चों को डर से मुक्ति मिले और उनके जीवन में उम्मीद लौटाई जा सके। इसने तब भी यह नहीं देखा कि बच्चे किस देश में रहते हैं और उस देश की युद्ध में क्या भूमिका है और यह मिशन आज भी उतना ही अहम है।' बच्चों के लिए काम करने वाली दुनिया की इस सबसे बड़ी संस्था ने भारत में 1949 से काम करना शुरू कर दिया था।

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    भारत में सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के साथ मिल कर काम करने वाली इस संस्था के भारत प्रतिनिधि आर्सेनाल्ट ने कहा कि बच्चों को जीवन की सही शुरुआत दिलाने के लिए वे भारत सरकार के साथ मिल कर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दुहराते हैं। 'यह हमारी साझा जिम्मेवारी है कि बच्चे स्वस्थ्य, सुरक्षित और शिक्षित हों और उनको सही देख-भाल मिले।' इस मौके पर यूनिसेफ ने पिछले दिनों मशहूर भारतीय अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को अपना अंतरराष्ट्रीय गुडविल एंबेस्डर बनाया है। उनके साथ ही दुनिया भर में मशहूर फुटबालर डेविड बेखम और फिल्म अभिनेता जैकी चान सहित छह और लोगों को गुडविल एंबेस्डर बनाया गया है। इस मौके पर यूनिसेफ ने 'फॉर एवरी चाइल्ड, होप: यूनिसेफ ऐट 70' नाम की किताब भी प्रकाशित की है।

    भारत की चुनौतियां

    भारत में बच्चों के लिए आज भी कई बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद आज भी भारत में 60 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा रहे। लगभग एक करोड़ बच्चें विभिन्न तरह के काम में लगाए गए हैं। हर रोज लगभग 3200 बच्चे अपना पांचवां जन्मदिन मनाने से पहले ही मारे जाते हैं। इसी तरह पांच साल से कम के लगभग 39 फीसदी बच्चे स्टंटेड (सही पोषण नहीं मिलने से ठिगने कद के रह गए) हैं। 22 लाख से ज्यादा लड़कियों की आज भी तय आयु से पहले ही शादी कर दी जाती है और लगभफग 47 फीसदी लड़कियों को दसवीं पास करने से पहले ही स्कूल छोड़ना पड़ता है।

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