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    'कोई बचाने तक नहीं आया', त्रिपुरा के छात्र की हत्या के बाद हंगामा; चाचा ने देहरादून पुलिस पर उठाए सवाल

    Updated: Wed, 31 Dec 2025 12:27 PM (IST)

    त्रिपुरा के एमबीए छात्र अंजेल चकमा की देहरादून में निर्मम हत्या के बाद देश भर में गुस्सा है। नस्लीय टिप्पणी का विरोध करने पर हुए हमले में अंजेल को चाक ...और पढ़ें

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    अंजेल को चाकू मार दिया गया और वह 17 दिन अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ते रहे है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। त्रिपुरा के 24 साल के एमबीए छात्र अंजेल चकमा की उत्तराखंड के देहरादून में हुई निर्मम हत्या के बाद देशभर में गुस्सा भड़क उठा है। अंजेल और उनके छोटे भाई माइकल पर कुछ स्थानीय लोगों ने नस्लीय टिप्पणियां कीं थीं। जब दोनों भाइयों ने इसका विरोध किया तो उनपर हमला हो गया।

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    अंजेल को चाकू मार दिया गया और वह 17 दिन अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ते रहे, लेकिन आखिरकार 26 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। परिवार का कहना है कि हमले के दौरान आसपास के लोग तमाशा देखते रहे, लेकिन किसी ने बचाने की कोशिश नहीं की।

    एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अंजेल के चाचा मोमेन चकमा ने कहा, "वे (अंजेल और उसका भाई) बाजार कुछ सामान खरीदने गए थे। कुछ नशे में धुत लोग थे, जिन्होंने उन्हें चीनी कहकर टिप्पणी की। माइकल ने मना किया तो उन पर हमला हुआ। अंजेल भाई को बचाने गए तो उन्हें पीटा और चाकू घोंप दिया। कोई बचाने नहीं आया। उत्तराखंड पुलिस कह रही है कि यह नस्लवाद नहीं है, लेकिन यह साफ तौर पर नस्लवाद की घटना है।"

    परिवार और छात्र संघ का पुलिस पर फूटा गुस्सा

    अंजेल के पिता तरुण चकमा मणिपुर में बीएसएफ में तैनात हैं। उन्होंने भी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि देहरादून के सेलाकुई इलाके की पुलिस ने शुरू में शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया था। मामला छोटा बताकर टालते रहे थे। चकमा छात्र संघ के दबाव के बाद 48 घंटे बाद एफआईआर दर्ज हुई। संघ के बिपुल चकमा ने बताया कि पुलिस शुरू में कार्रवाई करने को तैयार नहीं थी।

    हमले की घटना 9 दिसंबर की है। दोनों भाई बाजार गए थे जब नशे में कुछ लोग टिप्पणियां करने लगे। विरोध करने पर झगड़ा हुआ और चाकू व अन्य हथियारों से हमला किया गया। माइकल के सिर पर चोट आई, जबकि अंजेल को गर्दन और पेट में चाकू मारे गए। अंजेल ने आखिरी सांस तक कहा कि वह भी भारतीय हैं।

    पुलिस का क्या है पक्ष?

    देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने शुरू में कहा कि यह नस्लीय हमला नहीं है क्योंकि हमलावरों में एक व्यक्ति उत्तराखंड का ही था और टिप्पणियां मजाक में की गई थीं।

    उन्होंने बताया कि शुरुआती सबूतों से ऐसा लगता है कि बातें हल्के में कही गईं, जिन्हें गलत समझ लिया गया। लेकिन दबाव बढ़ने पर उन्होंने स्पेशल टीम बनाई और कहा कि नस्लवाद के पहलू की भी जांच होगी।

    अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि छठा आरोपी, जो नेपाली मूल का बताया जा रहा है, फरार है। पुलिस टीमें उसे पकड़ने में लगी हैं।

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