Geminid Meteor Shower: आज की रात ‘जादुई बारिश’ से जगमग होगा आसमान, हर साल होती है यह खगोलीय घटना; क्या है रहस्य
Geminid Meteor Shower - आज यानी 14 दिसंबर और गुरुवार की रात को आसमान में ‘जादुई बारिश’ होगी जिससे पूरा आसमान जगमग होगा। यह खगोलीय घटना हर साल होती है लेकिन इस साल की यह घटना बेहद खास है खासकर उन लोगों के लिए जो अंतरिक्ष के रोचक रहस्यों में रुचि रखते हैं। आइए जानते हैं क्या है जेमिनिड मीटियोर शॉवर और इसका रहस्य क्या है?
डिजिटल डेस्क, नैनीताल। Geminid Meteor Shower - आज यानी 14 दिसंबर और गुरुवार की रात को आसमान में ‘जादुई बारिश’ होगी, जिससे पूरा आसमान जगमग होगा। यह खगोलीय घटना हर साल होती है, लेकिन इस साल की यह घटना बेहद खास है, खासकर उन लोगों के लिए जो अंतरिक्ष के रोचक रहस्यों में रुचि रखते हैं। आइए जानते हैं क्या है जेमिनिड मीटियोर शॉवर और इसका रहस्य क्या है?
दरअसल, आसमान में होने वाली यह घटना (जेमिनिड मीटियोर शॉवर) 3200 फेथान के कारण होती है, जोकि एक धूमकेतु है। यह 524 दिन में सूर्य का चक्कर लगाता है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य के चक्कर लगाते समय यह ढेर सारे धूल-कण व उल्काओं को छोड़ देता है, जो पृथ्वी के रास्ते में आते हैं।
पृथ्वी इस रास्ते पर दिसंबर के महीने में गुजरती है। इस दौरान फेथान के उल्का पृथ्वी के वायुमंडल से टकराते हैं तो यह जल उठते हैं और आतिशबाजी जैसा नजारा उत्पन्न होता है। अंतरिक्ष की यह खगोलीय घटना 14 दिसंबर की रात चरम पर मानी जा रही है।
क्या पड़ा जेमिनिड मीटियोर शॉवर नाम
नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशि भूषण पांडे ने बताया कि जेमिनिड उल्काएं मिथुन तारामंडल से आती हुई प्रतीत होती हैं, जिस कारण इस इसका नाम जेमिनिड्स (मिथुन) से जोड़ा गया है। इसलिए मिथुन तारामंडल की सभी दिशाओं में उल्कावृष्टि नजर आएगी।
ऐसे दिखेगी उल्कावृष्टि
अंतरिक्ष धूल-कणों से भरा हुआ है, जिस कारण जलती उल्काओं को अक्सर देखा जा सकता है। सामान्य अंधेरी रात में किसी अंधेरी जगह से प्रति घंटे 10 उल्कावृष्टि देखी जा सकती हैं। मगर अधिक संख्या में देखने के लिए वर्ष में कुछ ही रातों में यह अवसर मिलता है। इनमें से जेमिनिड शॉवर की रात सबसे आकर्षक मानी जाती है। ध्यान रहे कि इन्हें देखने के लिए आपको प्रदूषण रहित वातावरण में रहना होगा और बिल्कुल अंधेरा होना चाहिए। अर्थात ऐसी जगह जहां पर कृत्रिम रोशनी का विघटन न हो रहा हो।
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