बिहार में वोटिंग लिस्ट पर 'बवाल', अब चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं TMC सांसद महुआ मोइत्रा
Mahua Moitra Supreme Court बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में संशोधन को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं। उन्होंने चुनाव आयोग के आदेश को संविधान का उल्लंघन बताते हुए जनहित याचिका दायर की है। महुआ का कहना है कि इससे बड़ी संख्या में मतदाता वोट देने से वंचित रह जाएंगे।

पीटीआई, नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में संशोधन को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया है। चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में संशोधन का एलान किया है, जिसका कई विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं। वहीं, अब तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
महुआ मोइत्रा ने चुनाव आयोग के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। महुआ ने इसे संविधान का उल्लंघन करार दिया है।
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महुआ ने कोर्ट में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में महुआ ने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका चुनाव आयोग के 24 जून 2025 को जारी किए आदेश के खिलाफ है, जिसमें मतदाता सूची पुनरीक्षण करने की बात कही गई है। यह आदेश अनुच्छेद 14, 19(1)(a), 325 और 328 का उल्लंघन है। इससे बड़ी संख्या में मतदाता वोट नहीं दे सकेंगे, जिससे न सिर्फ लोकतंत्र की मर्यादा का हनन होगा बल्कि फ्री और फेयर चुनाव प्रणाली पर भी सवाल उठेंगे।"
महुआ ने अपनी याचिका में दावा किया है-
पहली बार चुनाव आयोग के द्वारा ऐसा कोई कदम उठाया जा रहा है, जिसमें उन लोगों को भी नागरिकता प्रमाण पत्र देना होगा, जो पहले भी कई बार वोट दे चुके हैं। इस प्रक्रिया से कई लोगों का नाम वोटिंग लिस्ट से बाहर हो जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि बिहार चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने का फैसला किया है। इसके लिए चुनाव आयोग ने 11 दस्तावेजों के नाम जारी किए हैं, जिनमें से मतदाताओं को कोई 1 दस्तावेज दिखाना अनिवार्य होगा।
कब से कब तक चलेगी प्रक्रिया?
चुनाव आयोग के अनुसार, पुनरीक्षण प्रक्रिया 1 जुलाई से 31 जुलाई तक चलेगी। पुनरीक्षण के बाद 1 अगस्त को नई मतदाता सूची जारी की जाएगी और 1 सितंबर तक शिकायत दर्ज करने का अधिकार होगा। वहीं, 30 अगस्त तक दस्तावेज न देने पर जांच होगी और उसके बाद ही नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा।
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