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    लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने से जुड़ा बड़ा अपडेट आया सामने, क्या है सरकार का प्लान?

    Updated: Sat, 07 Dec 2024 10:24 PM (IST)

    लड़की की विवाह की न्यूनतम आयु लड़कों के बराबर 21 वर्ष करने का क्रांतिकारी प्रस्तावित कानून फिलहाल ढंडे बस्ते में चला गया है। 17वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही यह लंबित विधेयक लैप्स हो गया है और सरकारी महकमे में नया विधेयक लाने को लेकर अभी कोई सुगबुगाहट नहीं है। इसमें लड़कियों की उम्र लड़कों के बराबर करने का प्रावधान था।

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    17वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होते ही लैप्स हुआ विधेयक। (सांकेतिक फोटो)

    माला दीक्षित, नई दिल्ली। लड़की की विवाह की न्यूनतम आयु लड़कों के बराबर 21 वर्ष करने का क्रांतिकारी प्रस्तावित कानून फिलहाल ढंडे बस्ते में चला गया है। 17वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही यह लंबित विधेयक लैप्स हो गया है और सरकारी महकमे में नया विधेयक लाने को लेकर अभी कोई सुगबुगाहट नहीं है।

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    दो सप्ताह पहले महिला बाल विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति ने जब इस पर चर्चा के संकेत दिए थे तो कुछ उम्मीद जगी थी लेकिन सूत्र बताते हैं कि इस दौरान नया विधेयक लाए जाने के बारे में सरकार की ओर से कोई संकेत नहीं दिये गए।

    अगर पास होता तो सभी धर्मों पर लागू होता कानून

    लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के कारण लैप्स हुए बाल विवाह निषेध विधेयक 2021 में लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर लड़कों के बराबर 21 करने का प्रविधान था। इसकी सबसे बड़ी खासियत थी कि यह कानून सभी धर्मों और वर्गों पर समान रूप से लागू होता। यानी लड़की किसी भी धर्म की क्यों न हो और विवाह किसी भी धर्म का पालन करने वालों के बीच हो रहा हो लड़की की न्यूनतम आयु 21 वर्ष होना जरूरी था।

    अभी धर्मों में अलग-अलग विवाह की उम्र

    अभी मौजूदा समय में अलग अलग धर्मों में विवाह की आयु अलग अलग है। हिन्दू, ईसाई आदि धर्मों के कानूनों में लड़की की विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की 21 वर्ष है लेकिन मुस्लिम लॉ में लड़की की विवाह की कोई न्यूनतम आयु तय नहीं है। मुस्लिम लॉ कहता है कि लड़की की यौवनावस्था आने के बाद उसकी शादी हो सकती है।

    ऐसे में कई बार 15, 16 वर्ष की लड़की की शादी को लेकर विवाद कोर्ट तक भी गए और बात उसे बाल विवाह माने जाने को लेकर उठी। इस मुद्दे पर देश की विभिन्न अदालतों ने भिन्न-भिन्न फैसले दिए हैं। ऐसे में प्रस्तावित विधेयक कानून की शक्ल लेता तो यह विवाद समाप्त हो जाता क्योंकि प्रस्तावित कानून में सभी कानूनों को ओवर राइड करने का प्रविधान था।

    जया जेटली समिति ने की थी सिफारिश

    पिछली बार सरकार ने लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने को लेकर काफी अध्ययन कराया था और जया जेटली की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित की थी जिसने अपनी रिपोर्ट में लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाने का समर्थन किया था। महिला, शिक्षा, युवा और खेल मामलों की संसदीय समिति ने दो सप्ताह पहले इस विषय पर चर्चा के लिए महिला बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया था।

    नए विधेयक को लाने के संकेत नहीं

    सूत्र बताते है कि सरकार की ओर से लैप्स हो गए विधेयक के प्रविधान समिति को बताए गए लेकिन नये विधेयक को लाने के बारे में कई संकेत नहीं दिए गए। बाल विवाह कानून पर गौर किया जाए तो 1929 में बाल विवाह निषेध कानून बना था जिसे शारदा एक्ट भी कहा गया जिसमें लड़कियों की 14 साल और लड़कों की 18 विवाह की न्यूनतम आयु तय की गई।

    1978 में बना कानून

    1978 में कानून में संशोधन कर विवाह की उम्र बढ़ाकर क्रमश: 18 और 21 साल की गई। 2006 में कानून में फिर संशोधन हुआ हालांकि इसमें उम्र सीमा में बदलाव नहीं किया गया मगर अधिकारियों की नियुक्ति और बाल विवाह पीड़ित लड़की-लड़के को वयस्क होने के दो साल के भीतर विवाह को शून्य घोषित कराने का अधिकार मिला। 

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