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    सुप्रीम कोर्ट ने घग्गर नदी की बाढ़ पर हरियाणा और पंजाब को फटकारा, कहा- राजनीति से पहले जनहित पर करें विचार

    By AgencyEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Tue, 15 Nov 2022 09:29 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने घग्गर नदी की बाढ़ पर हरियाणा और पंजाब को फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि राज्य सरकारें राजनीति से पहले जनहित पर विचार करें और सिर्फ बैठकें करने के बजाय बाढ़ग्रस्त 25 गांवों के संकट दूर करें।

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    Supreme Court ने घग्गर नदी की बाढ़ पर हरियाणा और पंजाब को फटकारा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने घग्गर नदी में आने वाली बाढ़ से 25 गांवों के डूबने की समस्या पर चिंता जताते हुए कहा कि हरेक राज्य सरकार को राजनीति से पहले जनहित पर विचार करना चाहिए। सर्वोच्च अदालत ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों से इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि सिर्फ बैठकें करने के बजाय बाढ़ग्रस्त गांवों के संकट को दूर करें।

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    CWPRS की सिफारिश का नहीं किया गया पालन

    जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की खंडपीठ ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा कि घग्गर स्थाई समिति की केवल दो बैठकें हुई हैं, जिनमें कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इन राज्यों ने इस संबंध में सर्वोच्च अदालत के पिछले आदेशों का पालन भी नहीं किया और केंद्रीय जल और विद्युत अनुसंधान केंद्र (CWPRS), पुणे की किसी भी सिफारिश का पालन नहीं किया है।

    आम आदमी को बैठकों में कोई रुचि नहीं 

    पीठ ने कहा कि आम आदमी को बैठकों में कोई रुचि नहीं है, उसे केवल समाधान मिलने से मतलब है। हरेक सरकार को राजनीति से ऊपर जनहित को रखने पर विचार करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि अगस्त में सर्वोच्च अदालत ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों को निर्देशित किया था कि वह सीडब्ल्यूपीआरएस, पुणे की सिफारिशों पर अमल करें, ताकि घग्घर नदी की बाढ़ में डूबने वाले 25 गांवों की समस्या का समाधान हो सके।

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    डीपीआर तैयार कर जमा करने का निर्देश

    मंगलवार को सर्वोच्च अदालत ने कहा कि संबंधित राज्यों ने भले ही स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी है, लेकिन ऐसा लगता है कि बैठकें करने के अलावा कोई और ठोस कदम नहीं उठाया गया है। पीठ ने संबंधित राज्यों को सीडब्ल्यूपीआरएस, पुणे द्वारा प्रस्तुत अंतिम माडल अध्ययन रिपोर्ट में की गई सिफारिशों और शीर्ष अदालत द्वारा पारित आदेशों को चार सप्ताह के भीतर लागू करने के लिए प्रस्तावित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार और जमा करने का निर्देश दिया।

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