'आपका पैसा नहीं, सम्मान चाहिए', समय रैना को दिव्यांगों के लिए करना होगा स्पेशल शो; SC का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन समय रैना को दिव्यांगों के लिए विशेष शो करने का आदेश दिया है। रैना पर स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी से पीड़ित लोगों का मजाक उड़ाने का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को पैसे नहीं, सम्मान की जरूरत है। रैना को मंच का इस्तेमाल उनकी उपलब्धियों को दिखाने के लिए करने को कहा गया है।

समय रैना को दिव्यांगों के लिए करना होगा स्पेशल शो। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कॉमेडियन समय रैना से जुड़े मामले में अपना आदेश दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने समय रैना समेत अन्य कॉमेडियन्स को दिव्यांग लोगों के लिए एक स्पेशल शो आयोजित करने का आदेश दिया है।
वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि बाकी कंटेंट क्रिएटर्स पर यह निर्भर है कि वे दिव्यांग व्यक्तियों को अपने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राजी करें। सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने यह आदेश क्यूर एसएमए इंडिया फाउंडेशन द्वारा दायर एक मामले में दिया।
दिव्यांगों का मजाक उड़ाने का लगा है आरोप
गौरतलब है कि समय रैना ने अपने एक शो के दौरान स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी से पीड़ित लोगों के ऊपर चुटकुला सुनाया था। अपने इस जोक के कारण वह मुसीबत में आ गए थे। स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी एक अनुवांशिक विकार है, जो मांसपेसशियों में कमजोरी और क्षय का कारण बनता है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जिन कॉमेडियन्स को ये आदेश दिया है, उनमें समय रैना के अलावा विपुल गोयल, बलराज परमारजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर, आदित्य देसाई और निशांत जगदीप तंवर शामिल हैं।
'रैना की टिप्पणी ने किया आहत'
इस बीमारी से पीड़ित लोगों के हितों के लिए लड़ने वाले एक संगठन का प्रतिनिधित्व करने वाली एक वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि समय रैना की टिप्पणी ने प्रभावित बच्चों का उपहास और अपमान किया है। उन्होंने कहा कि ये सभी बच्चे निपुण और बेहद प्रतिभाशाली हैं। जब इस तरह के मंच पर ऐसी टिप्पणियां की जाती हैं, तो क्राउडफंडिंग मुश्किल हो जाती है।
कोर्ट ने कहा- पीड़ितों को सम्मान चाहिए
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने रैना से स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी से पीड़ित लोगों के लिए एक शो होस्ट करने पर विचार करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि इस बीमारी से पीड़ित लोगों को आपका पैसा नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें केवल गरिमा और सम्मान चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अपने मंच का इस्तेमाल उनकी उपलब्धियों को दिखाने के लिए करें।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।