'इंसान ही इंसान को खींचे ये बेहद अमानवीय', महाराष्ट्र के माथेरान में हाथ-रिक्शा पर SC का बैन
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को माथेरान में हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शा को 6 महीने में बंद करने का निर्देश दिया है। अदालत ने इस प्रथा को अमानवीय और सामाजिक-आर्थिक न्याय के खिलाफ बताया। कोर्ट ने ई-रिक्शा चलाने और स्थानीय लोगों को किराए पर देने की संभावना तलाशने का भी सुझाव दिया जैसा केवडिया गुजरात में किया गया है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सु्प्रीम कोर्ट ने हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शा के इस्तेमाल पर निराशा जताते हुए बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को माथेरान में छह महीने के भीतर इस अमानवीय प्रथा को बंद करने और इसकी जगह ई-रिक्शा चलाए जाने का निर्देश दिया।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देश में ऐसी प्रथा की अनुमति देना सामाजिक और आर्थिक न्याय के संविधानिक वादों को कमतर करता है। यह मानव की गरिमा की मूल अवधारणा के खिलाफ है।
हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शे नहीं चलेंगे
इसके साथ ही पीठ ने माथेरान में हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शा पर पूरी तरह से रोक लगाने का आदेश दिया। राज्य सरकार को निर्देश दिया गया कि वह माथेरान में स्थानीय लोगों को ई-रिक्शा किराए पर देने की संभावना तलाशे, जैसा कि गुजरात के अधिकारियों ने केवडिया में किया था।
पीठ ने आजादी के इतने वर्षों बाद भी हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शे के इस्तेमाल की प्रथा की निंदा की। उसने इसे अमानवीय करार दिया।
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