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    कुम्हार को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग पर नोटिस

    By vivek pandeyEdited By:
    Updated: Tue, 18 Nov 2014 01:29 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने ये नोटिस सोमवार को दलित शोषित वेलफेयर सोसाइटी की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने ये नोटिस सोमवार को दलित शोषित वेलफेयर सोसाइटी की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए।

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    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 29 मई को दिए गए फैसले में कसेरा व कुम्हार आदि जातियों को उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति मानने से इन्कार कर दिया था। दलित शोषित वेलफेयर सोसाइटी ने इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जस्टिस सुधांशु ज्योति मुखोपाध्याय व जस्टिस एनवी रमना की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील संजय पारिख की दलीलें सुनने के बाद केंद्र, उत्तर प्रदेश व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से याचिका पर जवाब मांगा है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस याचिका को इसी मसले पर पहले से लंबित उत्तर प्रदेशिया प्रजापति महासभा की याचिका के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का आदेश भी दिया। इससे पहले पारिख ने उत्तर प्रदेश में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति में शामिल माने जाने की मांग करते हुए कहा कि शिल्पकार अनुसूचित जाति है और 26 जातियां शिल्पकार की उपजातियां हैं, जिसमें कुम्हार भी शामिल हैं। ऐसे में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति माना जाना चाहिए।

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